जाति शब्द तो आप सभी जानते हैं। हर समाज भील, मीणा, मेघवाल, खटीक, हरिजन आदि जातियों के लोगों को नीचा मानता है। इनसे सभी समाज के लोग भेदभाव करते हैं।
ब्राह्मण, राजपूत, कुमार, गुज्जर आदि जातियों को सबसे ऊंचा माना जाता है। जहां भी जाओ, वहां सबसे पहले यही पूछते हैं कि तुम कौन सी जाति से हो?
आप सभी जानते हैं कि सालों से समाज में जाति प्रथा मौजूद है, जो आज तक भी चली आ रही है। पहले नीची जाति के लोगों जैसे- हरिजन, भील, मीणा, मेघवाल, खटीक, चमार आदि को शिक्षा नहीं दी जाती थी। उन्हें नीची जाति का बताकर किसी भी कथित ऊंचे समाज के व्यक्ति के सामने खाट पर बैठने भी नहीं दिया जाता था।
उनको इस तरह के कई अपमान सहने पड़ते थे और गाँव में उनके साथ छुआछूत का व्यवहार किया जाता था, अफसोस की बात है कि यह समाज में आज भी हो रहा है।
मेरे गाँव में भी यही होता है। ऊंची जाति के लोग हमसे भेदभाव करते हैं, जब हम पीने का पानी भरने जाते हैं और अगर वहां ऊंची जाति के लोग पानी भर रहे हैं, तो हमें उनसे दूर किसी स्थान पर जाकर खड़ा होना पड़ता है। अगर हम पानी पहले भर लेते हैं, तो वे उस जगह को पहले अच्छे से धोते हैं।
अगर पानी की टंकी से हमने पानी भरा हो, तो वह उसे वापस धोकर उसमें पानी भरते हैं। अगर वो किसी काम से हमारे घर आते हैं, तो बड़े सम्मान से उन्हें खाट पर बिठाया जाता है लेकिन हम उनके घर जाएं, तो वह हमको अपने घर के गेट पर ही खड़ा करके हमसे बात करते हैं।
मेरे गाँव में तो अधिकांश घर राजपूतों के हैं, जब हम किसी काम से गाँव में जाते हैं जैसे किसी दुकान से कुछ सामान खरीदना हो और हमें उनके घर के सामने से गुज़रना हो, तो हमें अपनी चप्पलें उतार कर हाथ में लेनी पड़ती हैं।
मैं आपको अपना ऐसा ही एक अनुभव बताती हूं। मेरी एक दोस्त है खुशबू कंवर, जो जाति से राजपूत है। उसका एक दुपट्टा मुझे बहुत पसंद आया, तो मैंने वह उससे दो दिन के लिए ले लिया। इस बात का जब उसके दादाजी को पता चला, तो उसकी दादी ने मुझे घर बुलाकर डांटते हुए पूछा कि मैंने खुशबू का दुपट्टा क्यों लिया?
उन्होंने और भी कई तरह की बातें मुझे सुनाई। उन्होंने कहा कि तू भील है और हम राजपूत हैं, तू हमारी कोई चीज़ नहीं ले सकती और तू पढ़ रही है, तो इसका मतलब यह नहीं कि तू हमसे समाज में ऊंची है। वह बोली कि तुम हमसे जाति में नीचे हो और यह कहते हुए उन्होंने मुझसे दुपट्टे के पैसे ले लिए लेकिन मुझसे दुपट्टा वापिस नहीं लिया।
नोट- मधु राजस्थान के चित्तौडगढ़ ज़िले से हैं। वर्तमान में मधु कक्षा 10 में पढ़ती हैं। लॉकडाउन के बाद से, वह अपने गाँव में वृद्धा पेंशन, टीकाकरण और कोविड महामारी के बारे में जागरूकता और इससे बचाव के मुद्दों पर काम कर रही हैं।
नोट: इस आर्टिकल को YKA पब्लिशर युवानिया के लिए मधु ने लिखा है, जिसे YKA पब्लिशर्स प्रोग्राम के तहत प्रकाशित किया गया है। मधु राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िले से हैं। वर्तमान में मधु कक्षा 10 में पढ़ती हैं। लॉकडाउन के बाद से वह अपने गाँव में वृद्धा पेंशन, टीकाकरण और कोविड महामारी के बारे में जागरूकता और से बचाव के मुद्दों पर काम कर रही हैं।