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हिंदी फिल्मों में आइटम गाने और उनके कुछ यादगार डांसर्स

हिंदी फिल्मों में आइटम गाने और उनके कुछ यादगार डांसर्स

आइटम गाने आज सभी कमर्शियल फिल्मों का हिस्सा होते हैं। आइटम गानों का मुख्य उद्देश्य दर्शकों का मनोरंजन करना और फिल्म की मार्केटिबिलिटी को बढ़ाना होता है। आइटम गाने इन फिल्मों के लिए इतना महत्वपूर्ण होते हैं कि इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है रागिनी MMS 2 फिल्म पूरी तरह फ्लॉप रही लेकिन उस फिल्म में सनी लियोनी द्वारा अभिनीत गाना “बेबी डॉल” सनसनीखेज हिट बन गया था। इसी तरह “तीस मार खान” फिल्म में कैटरीना कैफ द्वरा अभिनीत “शीला की जवानी” सुपर हिट रहा लेकिन फिल्म उतनी ही बड़ी फ्लॉप थी।

कई शीर्ष बॉलीवुड के तथाकथित सितारे आइटम गाने करते हैं और बॉलीवुड में प्रवेश करने वाली कई नई अभिनेत्रियां (महिलाएं) आइटम गाने को स्वयं की सफलता के लिए एक शॉर्टकट रास्ता मानती हैं। इसका एक उदाहरण मोरक्को-स्पेनिश कलाकर नोरा फतेही हैं, जो हाल ही में रिलीज फिल्म भुज में आइटम गाने “जालिमा कोका कोला पिला दे” में नज़र आई थीं।

आइटम सांग हिंदी फिल्मों में कोई नया प्रयोग नहीं है 

आज आइटम गाने बॉलीवुड की हिंदी फिल्मों का अहम हिस्सा हो गए हैं। इसका यह अर्थ नहीं है कि आइटम नंबर कोई नया प्रयोग है। आज जिसे हम आइटम नंबर आइटम डांस या आइटम गाने कहते हैं उसकी शुरुआत दशकों पहले ब्लैक-एंड-वाइट सिनेमा के दौर में ही हो चुकी थी लेकिन उस समय के आइटम गाने अक्सर बार में डांसर खलनायकों की पार्टी में खलनायिका और कई बार कॉमेडी कलाकरों के माध्यम से किए जाते थे और इसमें केवल महिला कलाकर ही नहीं होती थीं बल्कि पुरूष कलाकार भी आइटम नंबर किया करते थे।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण जॉनी वॉकर और महमूद थे। जॉनी वॉकर अभिनीत फिल्म सी.आई.डी के गाने “यह है बॉम्बे मेरी जान” में उनका यह रूप नज़र आया था। वहीं महमूद अभिनीत फिल्म गुमनाम के गाने “हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं” में उनका भी वैसा ही स्वरूप नज़र आया था।

वैसे, तो हिंदी फिल्मों में अनेकों कलाकरों ने आइटम नम्बरों में अपना शानदार प्रदर्शन पेश किया है लेकिन कुछ कलाकर आइटम नंबर के वजह से ही चिन्हित होते हैं जैसे कोयल मोरे- 40 के दशक में इन्होंने हिंदी फिल्मों में काम करना शुरू किया था, जिनकी लचीली अदाओं को देख कर इन्हें रबर गर्ल भी कहा गया था। कोयल मोरे की पहली फिल्म “अरब का सितार” थी। फिल्म आवारा का गाना “एक-दो-तीन आजा मौसम है रंगीन” उनका  यादगार आइटम नंबर गाना है। 

50 और 90 के दशक की हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध आइटम सांग 

1. नादिरा-   श्री 420 के गाने “मुड़ मुड़ के ना देख” में अपने शानदार नृत्य से सबको मोह लिया था। 50 और 60 के दशक में नादिरा ने लगभग सभी फिल्मों में खलनायिका की भूमिका और आइटम नम्बरों और अपने शानदार प्रदर्शन से छायी रहीं। 

2. हेलेन- हेलेन एक एंग्लो-बर्मिज़ थीं, जिन्हें अपने शुरुआती दिनों में कोरस डांसर के रूप में काम मिला था। 1958 में शक्ति सावंत ने जब हावड़ा ब्रिज बनाई तब हेलेन को पहली बार अकेले आइटम नंबर करने के लिए मिला था, जिसका नाम “मेरा नाम चिन चिन चू” जो अपने समय में बहुत प्रसिद्धता के चरम पर था। 

3. मलाइका अरोड़ा- आज के दौर में आइटम नंबर की जब बात आती है तो मलाइका अरोड़ा का नाम सबसे ऊपर आता है। इन्होंने सबसे पहले मणिरत्नम की 1998 में आई फिल्म दिल से में “छैया छैया” गाने में अपनी शानदार भूमिका निभाई थी। उसके बाद दबंग फिल्म में “मुन्नी बदनाम हुई” जो उस समय सबसे ज़्यादा हिट रहा था। इसके अलावा इन्होंने हे बेबी, हाउसफुल, ओम-शांति-ओम आदि फिल्मों में भी आइटम नंबर्स में अपनी भूमिका निभाई है। 

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