लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 में इंदौर के एक मराठी परिवार में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर और माँ शेवंती मंगेशकर, जो उनके पिता की दूसरी पत्नी थी। उनके पिता एक रंगमंच अभिनेता और शास्त्रीय संगीत के गायक भी थे। लता मंगेशकर का जन्म का नाम हेमा रखा गया था परंतु उनके माता-पिता ने बाद में उनका नाम बदलकर लता रख दिया। लता अपनी तीन बहनों मीना, आशा, उषा और भाई हृदयनाथ मंगेशकर में सबसे बड़ी हैं।
13 वर्ष की उम्र में ही परिवार का भार अपने कंधों पर लिया
24 अप्रैल 1942 का दिन मंगेशकर परिवार पर एक मुसीबत का पहाड़ बनकर टूटा क्योंकि उस दिन लता मंगेशकर के पिता की मृत्यु हुई थी, तब लता केवल 13 वर्ष की थीं। अपने परिवार में सबसे बड़ी होने की वजह से पिता की मृत्यु के बाद परिवार के लालन-पालन का पूरा भार उनके कन्धों पर आ गया था।
आर्थिक तंगी और परिवार की दुर्दशा सुधारने के लिए लता को ना चाहते हुए भी अभिनय करना पड़ा। उन्होंने कुछ मराठी और हिंदी फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं निभाईं। 1942 में आई फिल्म ‘मंगला गौर’ में लता जी की आवाज़ हमें सुनने को मिली। 1943 में रिलीज हुई फिल्म ‘गजाभाऊ’ में लता जी ने हिंदी गाना गया था।
मुंबई और लता जी का रिश्ता
वर्ष 1945 में लता मंगेशकर मुंबई चली आई वहां से उनका करियर शुरुआती तौर पर आकार लेने लगा। उन्होंने उस्ताद अमन अली खान से शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया। उसी दौरान वर्ष 1945 में आई फिल्म बड़ी माँ में उनके गाए भजन ने दर्शकों की तरफ अपना ध्यान खींचा परंतु निरंतर कड़ी मेहनत से लता जी के जीवन में वर्ष 1949 एक ऐसा सौभाग्यशाली वर्ष साबित हुआ जिसमें उन्होंने लगातार चार हिट फिल्मों में अपने गायन के जादू से सभी को अपनी ओर आकर्षित कर लिया, जिसमें महल फिल्म का सबसे लोकप्रिय गीत ‘आएगा आने वाला’ सुपर हिट हुआ और वहां से लता जी ने अपने पैर हिंदी सिनेमा में जमा लिए और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
हर कामयाब फिल्म की आवाज़ बनीं
वर्ष 1950 से लता जी का दौर हिंदी फिल्मों शुरू हो चुका था। हर कामयाब फिल्म की आवाज़ लता जी होती थी और कई फिल्में तो महज़ इसलिए सफल हो गई, क्योंकि लता जी ने उस फिल्म में गाने गाए थे। लता जी की अदाकारी हर गाने को अलग तरह से पेश करने का उनका तरीका और हर गाने को लेकर उनकी मेहनत उनके गाए गानों में साफ सुनाई देती है।
लता जी ने अपने जीवन में 20 अलग-अलग भाषाओं में 40 हज़ार से भी अधिक गाने गाए हैं। उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण गीतों में से एक ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को माना जाता है जिसे सुनकर जवाहर लाल नेहरू भी रो पड़े थे। इसी के साथ लता जी ने मदर इंडिया, बरसात, देवदास, मधुमति, बागी, मुगल-ए-आज़म , आजाद, आशा, दीदार ,वो कौन थी, मेरे हमदम मेरे दोस्त, दो रास्ते और सैकड़ों फिल्मों में अपनी मधुर आवाज़ से सभी का दिल जीता है।
सम्मान और पुरस्कार
लता जी ने अपने जीवन में जितना सम्मान और प्रेम कमाया है उतना शायद ही कोई गायिका हासिल कर सकती है। उन्हें अपने जीवन में इतने पुरस्कार मिले हैं की बहुत से उन्होंने लेने से भी इनकार कर दिए और वर्ष 1970 के बाद उन्होंने फिल्म फेयर अवार्ड ना लेने से यह स्पष्ट कर दिया था कि सर्वश्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार वह नहीं लेंगी और उनके बजाय यह पुरस्कार नई गायिका को देना चाहिए।
भारत सरकार की ओर से वर्ष 1969 में लता जी को पद्म भूषण, 1989 में दादासाहेब फालके, 1999 में पद्म विभूषण, 2001 में भारत रत्न जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इसके साथ-ही-साथ उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका 1972, 1974, 1990 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी दिया गया।
इसके अलावा उन्हें 7 फिल्म फेयर अवॉर्ड्स भी मिले। महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार की ओर से भी उन्होंने 5 पुरस्कार हासिल किए और बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवॉर्ड्स की तरफ से 15 बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर अवार्ड मिले। इसके साथ ही मध्य प्रदेश सरकार ने लता मंगेशकर के नाम पर पुरस्कार भी स्थापित किया है। लता मंगेशकर एक ऐसी लीजेंडरी गायिका हैं जिन पर पूरे देश को गर्व है और साथ ही सभी से प्रेम करने वाली गायिका हैं।
आर्टिकल सोर्स- वेब दुनिया।