Site icon Youth Ki Awaaz

उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार के ‘अच्छे दिनों’ की समीक्षा

उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार के 'अच्छे दिनों' की समीक्षा

2017 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ही उत्तर प्रदेश में अपराध, भ्रष्टाचार बढ़ता ही चला गया। महिलाओं, दलितों, मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार का एक सिलसिला, जो पहले से जारी था, वह अब इसके शासन में और तेज़ हो गया।

मुसलमानों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार

राज्य में मुस्लिम विरोधी तत्वों को बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से खुली छूट मिल गई। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ BJP सरकार, सरकारी तंत्र का इस्तेमाल अपराधियों को बचाने के लिए करने में लगी हुई है।

अफवाह, धर्म या किसी छोटी सी बात को आधार बना कर मुसलमानों की लिंचिंग उत्तर प्रदेश में अब एक आम बात हो चुकी है। एक आंकड़े के मुताबिक, यूपी में हर 3 दिन में कहीं-ना-कहीं मुसलमानों के खिलाफ एक मामला ज़रूर होता है। 

मुसलमान उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से दोयम दर्जे के नागरिक हैं, उसे किसी भी मामले पर अपना विरोध जताने का अधिकार भी नहीं है। दिसंबर 2019 में CAA का विरोध करने के कारण फिरोजाबाद, बिजनौर, मेरठ, बनारस समेत तकरीबन 13 ज़िलों में पुलिस की गोली लगने से 24 लोगों की जान चली गई थी।

हज़ारों बेगुनाह मुसलमानों के खिलाफ केस दर्ज़ किए गए थे। मुसलमान होने भर से कई बार उत्तर प्रदेश में अपराध के फर्जी मामले बना कर मुसलमानों को UAPA, NSA जैसे कठोरतम कानूनों के तहत कैद कर दिया जाता है। हाथरस मामले में रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार सिद्दीक कप्पन, डॉ. काफिल वगैरह इसके मुख्य उदाहरण हैं।

हिन्दू सेना के कार्यकर्त्ता (प्रतीतात्मक तस्वीर)

अराजकता और राज्य संरक्षित हत्याएं

उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने पुलिस बलों को एक तरह से गैर-न्यायिक हत्याओं के लिए प्रमाणित कर दिया है। अब किसी भी अपराध में आरोपी का जुर्म साबित होने से पहले ही प्रदेश की पुलिस आरोपी को अपराधी बनाकर मार देती है।

यह प्रकृति के न्याय सिद्धांत के विपरीत है। 2018 में अलीगढ़ में हुए एनकाउंटर और गैंगस्टर विकास दुबे की गाड़ी का नाटकीय रूप से पलट जाना इसके उदाहरण भर हैं। इनके अलावा भी न्यायेत्तर हत्याओं के उत्तर प्रदेश में कई मामले सामने आ चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद दो साल में उत्तर प्रदेश पुलिस ने तकरीबन 5178 एनकाउंटर्स किए थे, जिनमें से अक्सर फर्जी थे।

महिलाओं के खिलाफ प्रदेश में तेज़ी से बढ़ते अपराध

कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट्स में उत्तर प्रदेश को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य बताया गया है। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद पूरे देश में होने वाले महिलाओं के खिलाफ अपराधों का 14% केवल यूपी में है। 

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के ज़रिये जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग को जनवरी 2021 से अगस्त 2021 के बीच मिली कुल शिकायतों में से 50 फीसदी से ज़्यादा सिर्फ उत्तर प्रदेश से थीं।

दलितों के खिलाफ अत्याचार

उत्तर प्रदेश में कथित निचली जातियों या दलितों के खिलाफ अपराध बीजेपी के सत्ता में आने के बाद 47 फीसदी  बढ़ गए हैं। पूरे देश में दलितों के खिलाफ होने वाले अपराधों का 25% यूपी में होता है।

NCRB के आंकड़ों के मुताबिक,  उत्तर प्रदेश में होने वाले कुल अपराधों में 26% दलितों के खिलाफ होते हैं। यहां अगर अपराधी उच्च जाति से हो तो न्याय की उम्मीद भी नहीं रहती है। हाथरस वाले मामले में सभी ने देखा है कि किस तरह अपराधी का साथ पूरे तंत्र ने दिया और पीड़ित परिवार को अभी तक न्याय नहीं मिल सका है। 

बेरोजगारी

आंकड़ों में दर्ज़ है कि बीजेपी के सत्ता में आने के 2 साल के अन्दर-ही-उत्तर प्रदेश में बेरोजगारों की तादाद दोगुनी हो गई थी। Centre For Monitaring Indian Economy (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2017 में राज्य में बेरोजगारी दर 2.4% थी, जो बढ़ते-बढ़ते अगस्त 2021 में 7% हो गई। 

शिक्षकों को यहां स्थाई रोज़गार भी सरकार मुहैया नहीं करवा पा रही है। कई बेरोजगार युवा इसी कारण से राज्य के बाहर रोज़गार तलाशने को मज़बूर हैं।

बढ़ती बेरोज़गारी के खिलाफ युवाओं के प्रदर्शन की एक प्रतीतात्मक तस्वीर।

अन्य आम जनमानस से सरोकार रखने वाले मुद्दे

2017 के बाद से ही अल्पसंख्यक समुदाय और निचली जातियां उत्तर प्रदेश में सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। उच्च जातियों का सत्ता पर एकाधिकार हो गया है।

लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था यूपी में लगातार कमज़ोर हो रही है। इसके अलावा बेरोजगारी बढ़ गई, मातृ मृत्यु दर, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से ज़्यादा ख़राब हो गई है और हर नगर, गाँव के कई मुद्दे अब भी जस-के-तस बने हुए हैं

बेहतर सड़क, बिजली, पानी और कई बुनियादी ज़रूरतें हैं, जिनका वादा करने के बावजूद योगी सरकार अपने अब तक के कार्यकाल में पूर्णरूप से केंद्र सरकार के जैसे नाकाम रही है।

Exit mobile version