✅ शरद पूर्णिमा क्यों मनाते हैं ❓
✅ शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व क्या है ❓
✅ शरद पूर्णिमा का पौराणिक महत्व व कथा ❓
✅ शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
✅ शरद पूर्णिमा की कथा
शरद पूर्णिमा क्यों मनाते हैं ?
शरद पूर्णिमा को पूरे वर्ष की सभी पूर्णिमाओं में सबसे श्रेष्ठ माना गया है । आश्विन मास में आने वाली इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा, कोजागर पूर्णिमा, कौमुदी व्रत या रास पूर्णिमा भी कहा जाता है । इस दिन चंद्रदेव 16 कलाओं से पूर्ण होते हैं । हमारे हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार चन्द्रमा औषधियों के देवता माने गये हैं । इस दिन चंद्रमा कि किरणों से अमृत वर्षा होती है । जिससे पृथ्वी पर सभी पेड, पौधे, जीव, जन्तु मानव आदि सभी जीव पुष्ट होते हैं ।
शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व क्या है ?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस दिन कि बडी भारी महिमा मानी गयी है । वैज्ञानिकों ने भी इस दिन को खास माना है, इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं । इस पूर्णिमा पर दूध व चावल से बनी खीर को चांदनी रात में रखकर, उसका सेवन किया जाता है । इससे रोगप्रतिकारक क्षमता बढ़ती है । एक अध्ययन के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात औषधियों का प्रभाव बहुत अधिक हो जाता है । इस रात पौधों में रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता है, तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है । दूसरा वैज्ञानिकों के अनुसार दूध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है । यह तत्व शरद पुर्णिमा के चंद्रमा से पडने वाली किरणों में अधिक मात्रा में पाया जाता है । इन किरणों से दूध इस शक्ति को अधिक मात्रा में शोषित करता है । चावल में स्टार्च होने के कारण यह क्रिया और भी आसान हो जाती है । इसी कारण हमारे दूरदृष्टा ऋषि-मुनियों संतों ने शरद पूर्णिमा की रात को खीर खुले में चंद्रमा कि किरणों में रखने का विधान बताया है । इस खीर का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया है…
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