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भारत में बढ़ती महंगाई को पाकिस्तान के नाम पर जस्टिफाई करने की कोशिश क्यों?

भारत में इस समय महंगाई आसमान छू रही है।  पेट्रोल, डीज़ल, खाने का तेल जैसी रोज़मर्रा इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ों के दाम इतिहास में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुके हैं।

महंगाई और सरकार

महंगाई पर पूछे जाने वाले किसी भी सवाल का जवाब सरकार के पास नहीं है इसलिए अब गोदी मीडिया ने सरकार से महंगाई पर सवाल पूछने के बजाए, उसे जस्टिफाई करने का ज़िम्मा उठाया है।

बाकी मुद्दों की तरह ही गोदी मीडिया ने महंगाई को भी जस्टिफाई करने के लिये पाकिस्तान के नाम का सहारा लिया है।

सरकार को बचाने  ज़ी न्यूज़ की नाकाम कोशिश 

बीते 17 अक्टूबर को ज़ी न्यूज़ की हिंदी वेबसाइट पर पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई के बारे में एक लेख लिखा गया, जिसमें बताया गया कि पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई के कारण वहां खाने का तेल 400 रूपये लीटर बिक रहा है।

वहां पेट्रोल 137.79 रूपये प्रति लीटर और डीज़ल 134.48 रूपये प्रति लीटर बिक रहा है।

इस तरह ज़ी न्यूज़ ने अप्रत्यक्ष रूप से भारत की भोली भाली मासूम जनता को पाकिस्तान के नाम के सहारे, ये बताने की कोशिश की है कि आपको मोदी सरकार 400 रूपये के मुकाबले 200 रूपये में खाने का तेल उपलब्ध करा रही है वहीं,  137 के मुकाबले 100-110 में पेट्रोल उपलब्ध करा रही है, 134 के मुकाबले 95/100 में डीज़ल उपलब्ध करवा रही है।

ऊपर ऊपर से देखने पर हमें ऐसा एहसास होने लगता है कि भारत में महंगाई बढ़ नहीं रही है बल्कि सामान्य स्तिथि में है और यही एहसास कराने के लिए गोदी मीडिया हमारे साथ रोज़ ऐसा छल कपट करती है।

ये छल कपट क्या है आइये आपको उससे रूबरू करवाते हैं।

क्या है असली सच्चाई 

दरअसल पाकिस्तान और भारत दोनों की मुद्रा का नाम एक है जिसे “रुपया” कहा जाता है।

एक जैसे करंसी नाम का फायदा उठाकर ज़ी न्यूज़ ने भारत में बढ़ती महंगाई को पाकिस्तान के नाम पर जस्टिफाई करने की कोशिश की है।

असल में पाकिस्तान की मुद्रा भारत के मुकाबले काफी कमज़ोर स्तिथि में है, जिस कारण भारत का एक रुपया पाकिस्तान के लगभग सवा दो रूपये के बराबर होता है। 

यदि हम दोनों  देशों की तुलना करें

अगर पाकिस्तान में पेट्रोल, डीज़ल और खाने के तेल की कीमतों कि  तुलना भारत की मुद्रा से करेंगे, तो परिणाम कुछ इस तरह होगा

खाने का तेल – 174 रूपये किलो

पेट्रोल – 59 रूपये प्रति लीटर

डीज़ल – 58 रूपये प्रति लीटर

[कैलकुलेशन लगभग में की गई है ]

मगर ज़ी न्यूज़ ने अपने पूरे लेख में कहीं पर भी भारत और पाकिस्तान की करंसी का तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया, क्योंकि वो जानते हैं कि पाकिस्तान के नाम पर भारत की जनता आँख बंद करके उस पर विश्वास करेगी।

ज़ी न्यूज़ मोदी सरकार के बचाव में पहले भी कई अनर्गल दावे कर चुका है यानि साफ तौर पर ज़ी न्यूज़ की इस पत्रकारिता को आप पक्षकारिता भी कह सकते हैं। 

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