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कैसे छत्तीसगढ़ में हथकरघा बन रहा है लोगों की जीविका का एक बड़ा साधन

हमारे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को केंद्र व राज्य सरकार द्वारा आर्थिक व रोज़गार की दृष्टि से बहुत सारी महत्वपूर्ण योजनाएं उपलब्ध कराई जाती है। सरकार ने हमें बहुत सारी योजनाएं दी है, उनमें से एक है हथकरघा योजना।

यह योजना छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चलाई जाती है, जो रायपुर से संचालित होती हैं। सरकार की यह एक अमूल्य भेंट है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोज़गार युवाओं और महिलाओं को, चाहे वह शिक्षित हो या अशिक्षित, उनके लिए एक रोज़गार प्रदान करता है।

हथकरघा मशीन

यह लकड़ी की बनी एक लंबी-चौडी मशीन होती है, जिसमें धागे लगे होते हैं। एक व्यक्ति उसमें बैठकर उसपर काम करता है। इसमें व्यक्ति बैठकर अपने हाथों के द्वारा और पैरों के द्वारा काम करता है।

इसमें चारों हाथ-पैर का योगदान सामान्य होता है। इस मशीन के द्वारा गाँव की महिलाएं और पुरुष अपना कुछ समय निकालकर इस पर काम करते हैं। इसके बदले उन्हें कम-से-कम इतनी राशि मिल जाती है, जो परिवार चलाने के लिए मददगार सिद्ध होती है। हथकरघा मशीन सरकार द्वारा प्रदत्त किया एक महत्वपूर्ण साधन है।

हथकरघा मशीन के अंदर बैठ के करते है काम

कैसे मिलती है हथकरघा मशीन 

हथकरघा मशीन प्राप्त करने के लिए लोगों को छह माह की ट्रेनिंग लेनी आवश्यक है। तब कहीं जाकर हथकरघा मशीन मिलती है। यह मशीन सिर्फ लकड़ी का ही बना होता है, ताकि बीच-बीच में गाँव के लोगों को भी इससे रोज़गार मिल सके और आगे बढ़ सके।

ग्रामीण क्षेत्र में कच्चे माल यानी धागे को संबंधित विभाग या कंपनी द्वारा उपलब्ध कराया जाता है और उस धागे को अपने हाथ द्वारा मशीन में फिट किया जाता है। इसके बाद सभी धागे को सावधानीपूर्वक लगाया जाता है और सेट हथकरघा मशीन पर कारीगर जितना अधिक-से-अधिक काम करेगा। उसे उतना ही पैसा मिलेगा।

इस राशि का फैसला कंपनी या विभाग करता है। लोगों को 5000 से 8000 रुपए तक मिल जाते हैं। मेहनताना राशि निर्मित कपड़ा प्रति मीटर के हिसाब से दिया जाता है जैसे कि प्रति मीटर ₹24 होता है।

जीविका का साधन 

गाँव में रहने वाले लोगों के लिए, चाहे वह महिला हो या पुरुष हों, रोज़गार के लिए एक यह अच्छा साधन है। जिससे उनका भरण-पोषण, घर का खर्चा और हर प्रकार की आर्थिक सहायता मिलती है।

जो हथकरघा विभाग में ट्रेनिंग करता है, सिर्फ वही जानता है कि दूसरों के लिए कपड़ा बनाना भी एक भारी काम होता है। हथकरघा विभाग में व्यक्ति को चार-पांच साल काम करने के पश्चात सरकार की तरफ से ढाई लाख की आवास योजना का प्रावधान भी है।

सावधानियां

मशीन पर काम करने के लिए खास करके सिर्फ मेहनत की ज़रूरत होती है, जिसे महिला और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। इस मशीन को चलाने के लिए हाथों और पैरों को चलाने की ज़रूरत होती है। अतः सावधानियां केवल हाथों-पैरों पर पूरा नियंत्रण रखने की है।

दिक्कत इसमें यह भी होती है कि इसमें जब हम लोग धागा फंसाते हैं या धागे को मशीन की सहायता से एक जगह से दूसरी जगह लगाते हैं, तो धागा फंस जाता है। कपड़े बनाने के लिए तब इसमें बहुत सारी दिक्कत होती हैं, क्योंकि इसमें 3- 4 दिन या कभी-कभी सप्ताह भर का समय लग जाता है।


(लेखक परिचय : राकेश नागदेव छत्तीसगढ़ के निवासी है। वॆ मोबाइल रिपेयरिंग का काम करते हैं। वो खुद की दुकान भी चलाते हैं। इन्हें लोगों के साथ मिल जुलकर रहना पसंद है और वो लोगों को अपने काम और कार्य से खुश करना चाहते हैं। उन्हें गाने और जंगलों में प्रकृति के बीच समय बिताने का बहुत शौक है।)

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