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बिहार का रोहतास गढ़ किला : रोमांच, युद्ध और किले में बने महलों की किस्से-कहानियां

बिहार का रोहतास गढ़ किला : रोमांच, युद्ध और किले में बने महलों की किस्से-कहानियां

इतिहास किस्सों और कहानियों से भरा होता है। कई बातें सच होती हैं, तो कई बनावटी लेकिन यही चीज़ें हीं तो उसे लोगों में मशहूर करती हैं।

आज हम आपको बिहार ज़िले के ऐतिहासिक किले के सफर पर लेकर जा रहे हैं। बिहार नाम सुनकर आमतौर पर कोई यहां के ऐतिहासिक किले के बारे में नहीं सोचता इसलिए आज हम आपको बिहार के रोहतासगढ़ किले के बारे में गहराई से बताने जा रहे हैं।

रोहतास गढ़ का किला बिहार के रोहतास ज़िला मुख्यालय सासाराम से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि सोन नदी के बहाव वाली दिशा में पहाड़ी पर स्थित इस प्राचीन और मज़बूत किले का निर्माण त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा त्रिशंकु के पौत्र (बेटे का बेटा) व राजा सत्य हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व ने कराया था।

इतिहासकारों की मानें तो किले की चारदीवारी का निर्माण शेरशाह ने सुरक्षा को देखते हुए कराया था, ताकि किले पर कोई भी हमला ना कर सके। ऐसा बताया जाता है कि स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई (1857) के समय अमर सिंह ने यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का संचालन किया था।

रोहतास गढ़ किले का इतिहास

रोहतास किले का इतिहास बहुत ही लंबा और रोचक है। हालांकि, इस किले से जुड़ी हुई कई बातें अस्पष्ट भी हैं। इस किले का संबंध 7 वीं शताब्दी के राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व से किया जाता है। मध्य काल के भारत में यह किला पृथ्वीराज चौहान ने जीत लिया था।

इस किले को ज़्यादा महत्व तब मिला जब इस किले को शेर शाह सूरी ने साल 1539 में एक हिन्दू राजा से जीत लिया था, जब शेर शाह सूरी का शासन था, तब इस किले की पहरेदारी करने के लिए 10,000 सैनिक तैनात किए गए थे। जानकारी के अनुसार, शेर शाह सूरी के शासन में उसके एक सैनिक हैबत खान ने किले के परिसर में जामा मस्ज़िद का निर्माण भी करवाया था।

साल 1588 में यह किला अकबर के जनरल मान सिंह के नियंत्रण में आ गया था। उसने खुद के लिए इस किले में एक शानदार ‘तख्ते बादशाही’ नाम का महल भी बनवाया था। उसने अपनी पत्नी के लिए आइना महल और किले के द्वार के रूप में हथिया पोल का निर्माण करवाया था।

महल के बाहर के परिसर में जामा मस्जिद, हब्श खान का मकबरा और सूफी सुलतान का मकबरा भी बनाया गया था। मान सिंह महल के करीब आधे किमी. की दूरी पर पश्चिम दिशा में राजपूताना शैली में बनाया हुआ भगवान गणेश का मंदिर भी है।

बक्सर की लड़ाई के बाद अंग्रेज़ों ने इस किले पर कब्ज़ा जमा लिया था। उन्होंने किले के कई हिस्सों को तबाह कर दिया। अगर सैन्य दृष्टि से देखा जाए तो यह किला पहाड़ के सबसे ऊपरी दिशा में बसा हुआ है। आपको इस किले में हिन्दू और मुस्लिम की बहुत सारी इमारतें देखने को मिलेंगी, जो इस किले के इतिहास की याद दिलाती हैं।

किले के दरवाजे से टपकता था खून, अन्धविश्वास या झूठ?

दो हज़ार फीट की उंचाई पर स्थित इस किले के बारे में कहा जाता है कि कभी इस किले की दीवारों से खून टपकता था। फ्रांसीसी इतिहासकार बुकानन ने लगभग दो सौ साल पहले रोहतास की यात्रा की थी। उस समय उन्होंने पत्थर से निकलने वाले खून की चर्चा एक दस्तावेज़ में की थी।

उन्होंने कहा था कि इस किले की दीवारों से खून निकलता है। वहीं, आस-पास के रहने वाले लोग भी इसे सच मानते हैं। वे तो ये भी कहते हैं कि बहुत पहले रात में इस किले से आवाज़ें भी आती थीं। इन आवाज़ों को सुनकर हर कोई डर जाता था। हालांकि, किले से आने वाली आवाज़ें और दीवारों से खून निकलने की बात अंधविश्वास है या सच ये रहस्य तो इतिहास में ही छुपा हुआ है, जिसकी चर्चा आज किस्से-कहानियों के रूप में होती है।

रोहतास किले में घूमने के लिए स्थान

रोहतास गढ़ का किला काफी भव्य है। किले का घेराव 28 मील तक फैला हुआ है। इसमें कुल 83 दरवाज़ें हैं, जिनमें मुख्य घोड़ाघाट, राजघाट, कठौतिया घाट व मेढ़ा घाट हैं। प्रवेश द्वार पर बने हाथी की मूर्ति, दरवाजों के बुर्ज, दीवारों पर पेंटिंग देखने में बहुत अद्भुत प्रतीत होती है।

रंगमहल, शीश महल, पंचमहल, खूंटा महल, आइना महल, रानी का झरोखा, मानसिंह की कचहरी आज भी यहां मौजूद हैं। परिसर में ऐसी ही कई इमारतें हैं जो कि काफी सुंदर हैं, जिसका मज़ा आप यहां आकर ही उठा सकते हैं।

1. आइना महल

यह महल मान सिंह की पत्नी के नाम पर है। इस महल को ऐना महल कहा जाता है। यह महल बीच में आता है।

2. रोहतासन मंदिर

महल के करीब एक मील की दूरी पर उत्तर पूर्वी दिशा में दो मंदिरों के अवशेष देखने को मिलते है। एक मंदिर भगवान शिव का है, जिसे रोहतासन मंदिर कहते हैं। यहां की सारी सीढ़ियां तोड़ दी गई हैं। अब यहां सिर्फ 84 सीढ़ियां ही अच्छी हालत में है जिन पर चढ़कर मंदिर तक पंहुचा जा सकता है।

3. जामा मस्जिद और हब्श खान का मकबरा

महल के आजू-बाजू के इलाके में जामा मस्जिद, हब्श खान का मकबरा और सूफी सुलतान का मकबरा है। यहां  खड़े स्तंभ पर प्लास्टर की शैली में कई सारे गुबंद बनाए गए हैं, जो की राजपूताना शैली की याद दिलाते हैं। यहां पर सभी गुबंद को छत्री भी कहा जाता है।

4. हथिया पोल

इस किले के मुख्य द्वार को हथिया पोल या हथिया द्वार भी कहा जाता है। इस द्वार को हथिया द्वार इसलिए कहा जाता है क्योंकि द्वार पर हाथी की बहुत सारी प्रतिमाएं हैं। उन प्रतिमाओं की वजह से द्वार बहुत ही ज़्यादा सुंदर दिखता है। यह किले का सबसे बड़ा द्वार है और इसे साल 1597 में बनाया गया था।

5. गणेश मंदिर

मान सिंह महल के पश्चिम दिशा में आधे किलोमीटर की दूरी पर गणेश मंदिर है। इस मंदिर में जाने के लिए दो तरफ से रास्ते बनाए गए हैं।

6. हैंगिंग हाउस

पश्चिम की दिशा में ही गुफा जैसी बनी हुई इमारत दिखती है लेकिन इस गुफा के कोई सबूत नहीं मिल पाए हैं। यहां के लोग इस इमारत जैसी गुफा को हैंगिंग हाउस कहते हैं। यहां से 1500 फीट नीचे की दूरी पर एक बहुत बड़ा झरना भी है।

रोहतासगढ़ जलप्रपातों (झरनों) के लिए भी प्रसिद्ध है, जो कैमूर की पहाड़ियों से पूर्व की ओर गिरते हैं और सोन नदी में मिल जाते हैं।

इस तरह से पहुंचें

नज़दीकी हवाईअड्डा – गया एयरपोर्ट (117 किमी.)
ट्रेन से – मुगलसराय जंक्शन, नरेंद्र रोड और अंकोरह।

तो कैसा लगा आप सभी को रोहतास गढ़ किले का रोमांचक सफर? यह किला आपको मिथ्य कहानियों, लड़ाइयां, सैन्य बल और किले से जुड़े लोगों की कहानियां कहता हुआ मिलेगा। आइए और आंखों से देखकर सुनिए इस किले के अब तक के सफर को।

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