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क्या समाज में नफरत फैलाने में है सोशल मीडिया की भूमिका?

क्या समाज में नफरत फैलाने में है सोशल मीडिया की भूमिका?

फेसबुक आज के समय में पूरी दुनिया में छाया हुआ है, शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो फेसबुक का इस्तेमाल ना करता हो। आज फेसबुक दुनिया का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला एप्प है। 2021 में किए गए एक सर्वे से पता चला कि दुनिया भर में 2 बिलियन के लगभग लोग फेसबुक के एक्टिव यूजर हैं।

सोशल नेटवर्किंग के इतने बड़े समुन्दर के आम लोगों को बहुत फायदे हैं। हम इसके माध्यम से उन लोगों से जुड़े रहते हैं, जिनसे हमें मिले बहुत समय हो गया है। फेसबुक कई तरह के व्यवसायों को आगे बढ़ाने में भी बहुत मददगार साबित हो रही है।

एक तरफ जहां इसके इतने फायदे हैं, तो दूसरी तरफ इसके नुकसान भी हैं। लोगों को इसकी लत लग रही है पर लोगों को लत लगना इतनी बड़ी समस्या नहीं है। इससे असल समस्या है कि फेसबुक पर लोगों द्वारा फैलाई जा रही नफरत और देश की सामाजिक समरसता और एकता को नुकसान पहुंचाया जाना।

फेसबुक के ज़रिये फैलने वाली नफरत है बड़ा मुद्दा

यह आज सबसे गंभीर मुद्दा बना हुआ है और आम लोगों को इसका कोई अंदाज़ा नहीं है, जब भी हम फेसबुक खोलते हैं, तो हर तरफ सिर्फ भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के बारे में, हिन्दू-मुसलमान के बारे में, राजनीति के बारे में और विरोधी पार्टियों के बारे में आपत्तिजनक सामग्री ही देखने को मिलती है।

आज भारत देश पूरी दुनिया में फेसबुक पर हेट स्पीच के लिए बदनाम हो गया है। फेसबुक पर जितना एंटी मुस्लिम कंटेंट भारत में पब्लिश होता है, उतना कहीं और नहीं होता और फेसबुक इस तरह की हेट स्पीच को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।

कुछ समय पहले फेसबुक ने कुछ एकाउंट्स को बैन कर दिया था, जिनसे सेंसिटिव कंटेंट पोस्ट हुआ था, तो क्या यह मानना सही है कि फेसबुक हमारे समाज में नफरत फैला रहा है?

फेसबुक पर अकाउंट बनाना बहुत आसान है। एक इंसान फेसबुक पर अपने दो-तीन अकाउंट बना कर उन अकाउंट्स से कुछ भी पोस्ट कर सकता है पर इसका मतलब यह नहीं  है कि फेसबुक नफरत फैला रहा है।

फेसबुक एक माध्यम है, लोगों को जोड़ने का, हमारे विचारों और सोच को दुनिया के आगे प्रकट करने का, कई लोगों के लिए फेसबुक अपना बिज़नेस चलाने का माध्यम है, बस कमी इस बात की है कि फेसबुक पर पोस्ट होने वाला कंटेंट फ़िल्टर नहीं होता है।

हालांकि फेसबुक ऐसा दावा करता है कि वो अपने प्लेटफार्म पर आने वाले हर कंटेंट को फिल्टर करता है पर कुछ जगह वो सरकारों के दबाव में और अपने बिज़नेस को नुकसान से बचाने के लिए रिसोर्सेज की कमी का रोना भी रो देता है। 

कई बार तो वो अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश करता है तो कई बार अभिव्यक्ति की आज़ादी जैसे तर्कों का सहारा लेता है।

हेट स्पीच रोकने के लिए क्या कर रहा है फेसबुक

फेसबुक पर हर रोज़ मिलियन तस्वीरें अपलोड होती हैं। हालांकि, फेसबुक अपने प्लेटफार्म से इन हेट स्पीचों को रोकने के लिए काफी प्रयास कर रहा है।

2016 में फेसबुक ने एक पॉलिसी बनाई जिसका नाम था, Remove Reduce and Inform सबसे पहले फेसबुक की आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस यानि AI  पोस्ट होते कंटेंट को देखेगी कि वो फेसबुक की कम्युनिटी गाइडलाइंस को फॉलो करता है या नहीं।

अगर नहीं तो वो उस पोस्ट को ऑटोमैटिक तरीके से अपने प्लेटफार्म से रिमूव कर देगी, उसके बाद अगर कोई पोस्ट रह जाती है तो उसको फिल्टर करके उसे Reduce कर देगी अर्थात उसे पब्लिक में जाने से रोकेगी।

लोगों तक उसकी पहुंच को कम कर देगी और अगर फिर भी कोई पोस्ट रह जाती है, तो लोगों को पोस्ट से पहले यह बताएगी कि ये सेंसेटिव कंटेंट है यानि लोगों को सूचित करेगी।

कुछ समय पहले भारतीय जनता पार्टी के एक MLA टी राजा सिंह को फेसबुक ने फेसबुक और इंस्टाग्राम से बैन कर दिया और उन्हें Dangerous Individual की श्रेणी में डाल दिया गया, क्योंकि उन्होंने फेसबुक पर नफरत फैलाने की कोशिश की थी।

यह तो सिर्फ महज़ एक उदाहरण है। हर रोज़ ऐसे बहुत सारे उदाहरण हमें देखने को मिलते हैं।

कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म दुनिया में नफरत नहीं फैलाता है। वह समाज में, जो कुछ हो रहा है उसे हमारे सामने पेश करता है। उसमें कुछ अच्छी और कुछ बुराई से सम्बन्धित बातें भी होती हैं। अब यह हमारी सोच समझ पर निर्भर करता है कि हमें वहां से कौन सी चीज़ ग्रहण करनी है।  

ये सब एक आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस होता है। आप जो चीज़, जिस तरह का कंटेंट देखना चाहते हैं, तो वहां आपको उसी तरह का कंटेंट दिखाया जाएगा, आपकी दिलचस्पी को देखकर आपके सामने वीडियो, फोटो पेश किए जाएंगे।

हमें एक बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है कि अगर बहुत ज़्यादा लोग या बहुसंख्यक समाज किसी बात को कहता है, तो ज़रूरी नहीं है कि वो सही ही हो।

ऐसे कोई भी बहुसंख्यक समाज गलत खबरों, अफवाहों का कैंपेन फेसबुक पर चला सकता है, क्योंकि फेसबुक एक बिज़नेस है, इसलिए वो अपने आर्थिक हितों को ऊपर रख कर समाज में फैलनी वाली नफरत के प्रति आंखें  मूंद भी सकता है। 

इसलिए फेसबुक पर पोस्ट होने वाली अफवाहों और हेट स्पीच के ऊपर ध्यान देने के साथ-साथ अपने विवेक से सोचने की भी ज़रूरत है। आपको अगर कोई कंटेंट सही नहीं लगता या लगता है कि इससे समाज में नफरत फैल  सकती है या किसी और तरह का सामाजिक नुकसान हो सकता है, तो आप उसे रिपोर्ट कर सकते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म उस पर उचित कार्रवाई कर सकते हैं।

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