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“नौकरी के लिए बड़े-बड़े संस्थान काबिलियत नहीं, सोर्स देखते हैं”

मैं पेशे से पत्रकार हूं और मुझे इस फिल्ड में करीबन 6 साल हो चुके हैं लेकिन इन 6 सालों में आज तक मुझे कभी किसी बड़े और नामी  संस्थान के साथ जुड़कर काम करने का मौका नहीं मिला, जबकि ऐसा कोई नामचीन संस्थान नहीं है, जहां अब तक मैंने इंटरव्यू ना दिया हो।

अब आपको लग रहा होगा, तो मुझ में ही कहीं कोई कमी होगी, जो इन संस्थानों में मुझे काम नहीं मिला!

बड़े संस्थानों की डिग्री ना होना भी एक वजह

हालांकि ये बात सच है मुझ में कमी है। किसमें नहीं होती? लेकिन ये वे कमियां हैं, जिनके दम पर काम मिलता है या अपकी काबिलियत को देखा-परखा जाता है। ये वे कमियां हैं, जो मेरे जैसे और भी कई लोगों के अंदर मिल जाएंगी, तो चलिए पहले आपको अपनी इन कमियों से रुबरू करवाती हूं।

इन कमियों में सबसे पहली आती है, इन संस्थानों के कॉलेज या इंस्टीट्यूट से पढ़ाई ना करना। दूसरी कमी अपने दम पर नाम कमाने और काम करने की ख्वाहिश रखना।

तीसरी कमी किसी को अपना गॉडफादर या गॉडमदर ना बनाना। चौथी कमी किसी के आगे पीछे नाघूमना और पांचवी सबसे बड़ी कमी ये है कि आपके पास कोई बड़ा सोर्स नहीं है, जिसके दम पर आप काम और पैसा दोनों पा सकते हैं

सोर्स ना होना सबसे बड़ी कमी

मैंने कई बार कई चैनलों में इंटरव्यू के लिए घंटों बैठकर इंतज़ार किया और अपनी बारी आने पर अपने अब तक के जीवन और काम का परिचय दिया, जिसका इनडायरेक्टली मज़ाक ही बनाया गया और मुझे बोला गया मेरे रिज्यूम में कमी है।

मगर इसका मतलब ये नहीं है कि मुझ में कमी है, मेरे रिज्यूम में कमी है, बल्कि इसका मतलब ये भी नहीं है कि मेरे काम में कमी है और ना ही इसका मतलब ये है कि अब तक के तजुर्बे में कमी है?

अगर मेरे रिज्यूम में कमी है, तो इसका मतलब ये है कि मेरे पास इन बड़े संस्थानों में काम करने के लिए कोई बड़ा सोर्स नहीं है। इसलिए मेरा रिज्यूम आज इतना प्रभावशाली नहीं बन पाया कि कोई अच्छा संस्थान उसको देखने के बाद मुझे नौकरी दे सके।

कई अनुभव, जहां मुझे बड़े नामों के लिए पूछा गया

मैं आपको मेरे साथ हुए कई ऐसे किस्से बता सकती हूं, जहां मुझसे इनडायरेक्टली पूछा गया कि क्या मेरे पास कोई ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति का सोर्स है, जिसके दम पर ये नौकरी पा सकती हूं।

एक दो किस्से तो आपके साथ साझा कर रही हूं। आप सभी जानते हैं कि साल 2020 से ही कोरोना के चलते काफी लोगों के काम पर खासा प्रभाव पड़ा! उन्हीं में से एक मै भी हूं। मैं भी जिस संस्थान में काम किया करती थी, कुछ कारणों से उसको छोड़ना पड़ा।

हालांकि, मैं फ्रीलांस लिखने का काम करती रही और किसी तरह काम चलता रहा। इसके बाद साल 2021 यानि कि आज के समय में मेरे पास काम नहीं है और अब मैं काम की तलाश में हूं।

मेरे कुछ दोस्तों ने मेरी इसमें मदद भी की। कुछ लोगों और सीनियर्स के नंबर मेरे साथ साझा किए, इसके अलावा मैंने खुद भी कई संस्थानों में अपने रिज्यूमे मेल किए और कई लोगों से संपर्क किया, जिन्होंने इंटरव्यू के लिए मेरी मदद भी की लेकिन सच बताऊं तो कुछ भी मेरे काम नहीं आया और उसके पीछे की वजह ये है कि मैंने इंटरव्यू के वक्त सब सच बताया कि मेरे पास इस समय में क्या काम है या काम के लिए क्या नहीं कर सकती!

मतलब हुआ ये कि कुछ लोगों ने तो रिज्यूम देखते ही बोल दिया, “आपके पास अच्छी जगह का कोई नॉलेज नहीं है।” वहीं कुछ ने ये कह दिया कि आपकी तैयारी अच्छी नहीं है, फिर कभी आइएगा। 

ऐसे ही एक संस्थान में मैंने इंटरव्यू दिया, जहां उन्होंने मुझे पूछा कि आप फिलहाल क्या कर रही हैं, मैंने उनको बता दिया कि फिलहाल एक संस्थान के लिए फ्रीलांस लिखने का काम कर रही हूं और साथ ही उनके साथ SEO का काम भी कर रही हूं, जिससे मुझे काफी सीखने को मिल रहा है।

शायद उनको मेरी ये बात पसंद नहीं आई या अच्छी नहीं लगी। उन्होंने मुझे बोला मैं आपकी बात को समझ नहीं पा रहा हूं कि आप क्या काम करती हैं? इसके बाद एक बार फिर मैंने उनको अच्छी और आसान भाषा में बताया और सब शुरुआत से बताया।

फिर इसके बाद उन्होंने मुझसे पूछा कि आप जहां इससे पहले काम कर रहीं थीं, वहां कितना कमा लेती थीं? मैंने उनको बताया कि मेरी (30K) सैलरी क्या थी और मेरे पास इसका बैंक स्टेमेंट भी है।

पता नहीं उनको सैलरी सुनने के बाद क्या हुआ, उन्होंने बोला हमारे पास अभी इस लेवल का काम नहीं है। हम कुछ समय बाद आपको बुलाते हैं। ये सुनने के बाद मुझे दुख तो हुआ लेकिन हंसी इस बात को सोचकर आई कि उनका रिएक्शन ऐसा था कि मानो मैंने उनसे कहा हो कि हर महीने आप अपनी प्रॉपर्टी में से एक हिस्सा मुझे बतौर सैलरी दे दें।

इस इंटरव्यू के दौरान ना मेरा टेस्ट हुआ और ना कुछ अच्छे या नॉलेज वाले सवाल! बात यहां खत्म नहीं होती, बल्कि यहीं से इसकी शुरुआत होती है।

दरअसल, मेरे साथ एक दो कैंडिडेट और थे, जिनका इंटरव्यू वहां था और संस्थान के कुछ अंदर के बड़े सोर्स वाले लोग उनको जानते थे। इस बात का पता मुझे उस व्यक्ति से ही चला, जिसके रिफरेन्स से मेरे रिज्यूमे का चयन हुआ था। ऐसा मेरे साथ पहली बार नहीं हुआ, कई बार हुआ या ये कहूं कि बार-बार हुआ और शायद होता रहेगा।

खैर! मैंने अब आश छोड़ दी है कि मैं कभी किसी संस्थान के साथ जुड़कर काम कर पाऊंगी, क्योंकि इतने साल के काम से तो नहीं लेकिन इंटरव्यू दे-देकर, मैं इतना समझ चुकी हूं कि अगर आपके पास नॉलेज है, लिखने की काबिलियत या कुछ अलग करने की चाह है, तो उन सबका कोई मतलब नहीं है जब तक आपके पास कोई बड़ा सोर्स नहीं, जिसके दम पर आप अपनी काबिलियत को दिखा सकें और उसको बेच सकें।

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