विकास के नाम पर भारत सरकार विनाश ही विनाश कर रही है। जिस देश में एक अच्छा सरकारी अस्पताल नहीं है उस अस्पताल में एक डॉ. नहीं है, उस देश में भव्य मंदिर का निर्माण किया जाता है। लोगों के पीने के लिए पानी तो नहीं है पर धर्म के नाम पर भारत सरकार गंगा स्नान जरूर कर लेती है। इस देश के हर गांव में स्कूल तो बने हैं पर उन स्कूलों में ना तो शिक्षक है और ना सभी सुविधाएं उपलब्ध है। देश के सभी राज्यों में सुविधाएं तो पहुंच चुकी है पर वह सब भारत सरकार के भाषणों में जो वह अपनी चुनावी रैलियों में जनता को सुनाती है।
विकास के नाम पर देश में कई कानून लाए जाते हैं जो कभी किसान के नाम पर होता है कभी धर्म के नाम पर देश की जनसंख्या कम करने के लिए तो कभी सरकारी संपत्तियों का निजीकरण कर उन संपत्तियों को बेचा जाता है। देश में गरीबों को ना तो घर मिला ना उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा और ना अच्छा इलाज, राशन के नाम पर भी सरकार ने उन्हें अपना चुनावी प्रचार ही दिया है क्यूंकि भारत सरकार के लिए जनता नहीं अपनी गद्दी अधिक प्यारी है।
देश के कई पुराने धरोहरों, इमारतों, मंदिरों और शिवालयों को तोड़ दिया गया है जहाँ कभी उन इमारतों में पुस्तकालय बने थे कई विद्वानों ने उस जगह आपनी शिक्षा प्राप्त की कई लेखकों ने आपने ग्रंथ और पुस्तक लिखे उन धरोहर को आज सरकार ने तोड़ कर वैसे ही छोड़ दिया है क्या इस तरह सरकार देश के सभी धरोहरों की रक्षा करेगी?क्या इस तरह भारत का विकास होगा? सरकार ने अब तक देश का कितना विकास किया है यह मैं और आप समझ ही चुकें हैं।