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जानिए उत्तर प्रदेश के ललितपुर ज़िले के ऐतिहासिक देवगढ़ नगर के बारे में

जानिए उत्तर प्रदेश के ललितपुर ज़िले के ऐतिहासिक देवगढ़ नगर के बारे में

यूपी राज्य धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों के लिए जाना-जाता है। यहां आमतौर पर सैलानियों की भीड़ देखने को मिलती है। ऐतिहासिक स्थान लोगों के लिए रोमांचक किस्से, कहानियों और रहस्यों का स्थान होते हैं। इन्हीं रहस्यों के पिटारे से आज हम आपको ललितपुर ज़िले की ऐतिहासिक जगह “देवगढ़ नगर” के बारे में बताने जा रहे हैं।

जैन मंदिर

देवगढ़ नगर, ललितपुर ज़िले से 33 किलोमीटर की दूरी पर है। देवगढ़ को एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में जाना जाता है। यह जगह बेतवा नदी के तट पर स्थित है।

इस जगह पर गुप्त, गुर्जर प्रतिहार, गोंड, मुगल, बुन्देल और मराठों के वंश के कई ऐतिहासिक स्मारक और किले आज भी मौजूद हैं। इसके अलावा यहां कई हिन्दू और जैन मंदिर भी स्थित हैं। 

देवगढ़, दशावतार मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर की वास्तुकला काफ़ी खूबसूरत है। पहले इस मंदिर को उत्तर भारत के पंचयत्न मंदिर के नाम से जाना जाता था।

देवगढ़ किला: मंदिर और वास्तुकला का अनूठा संगम

देवगढ़ नगर 1974 तक झांसी ज़िले का भाग हुआ करता था। इसके अलावा यहां देवगढ़ किला भी मौजूद है। इस किले के अंदर 31 जैन मंदिर हैं। इन मंदिरों में सबसे सुंदर मंदिर जैन तीर्थंकर शांतिनाथ का मंदिर है।

किले की दीवारों पर उकेरी गईं पुरातत्व जैन मूर्तियां।

इन मंदिरों की सजावट चंदेल राजाओं ने बेहद ही खूबसूरत तरह से की है। इसके अलावा मंदिर की दीवारों पर प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत और रामायण के चित्र भी बने हुए है। यहां घूमने के लिए सबसे सही समय मई से सितम्बर का महीना होता है।

देवगढ़ किला चंदेरी से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस किले के अंदर आपको कई छोटे-बड़े जैन मंदिर दिखाई देंगे। इनका निर्माण 9वीं से लेकर 10वीं शताब्दी के बीच हुआ था। यहां आज भी प्राचीन मूर्तियां देखी जा सकती हैं। यहां की प्राचीन दीवारों पर बनी चित्रकला अपनी ही कोई कहानी कहती हैं।

किले में मौजूद दशावतार मंदिर और निर्माण

भगवान विष्णु को समर्पित दशावतार मंदिर का संबंध गुप्तकाल से बताया जाता है। गुप्तकाल के दौरान ही इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। मंदिर की वास्तुकला बताती है कि यह उस समय की बेहद उत्कृष्ट वास्तुकला थी। इस बात का साक्षी खुद ये मंदिर है। 

दशावतार मंदिर

आप जैसे ही मंदिर में प्रवेश करेंगे आपको गंगा और यमुना के खूबसूरत चित्र दिखाई देंगे। इस प्रवेश द्वार के ज़रिये आप गर्भगृह को आसानी से देख सकते हैं। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं। इसके अलावा मंदिर की मीनारें भी देखने योग्य हैं। मंदिर का माहौल काफी शांत भरा है। जहां आप आराम से बैठकर अपने मन की उथल-पुथल को आराम दे सकते हैं।

इन जगहों पर भी घूम सकते हैं आप

देवगढ़ और दशावतार मंदिर के अलावा भी देवगढ़ में देखने के लिए और भी जगहें मौजूद हैं। आप यहां नीलकंठश्वेर मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। घने जंगलों के बीच बसा यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण चंदेल काल के दौरान किया गया था।

भगवान शिव के इस मंदिर को शिव त्रिमूर्ति के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इसे पाली मंदिर भी कहा जाता है। इन धार्मिक स्थानों से अलग यहां एक पुरातात्विक संग्रहालय भी मौजूद है। इस संग्रहालय में भी आप कई प्राचीन मूर्तियों को देख सकते हैं। यहां भारतीय इतिहास की बहुमूल्य कलाओं को सुरक्षित रखा गया है।

देवगढ़ के आसपास के क्षेत्रों में की गई पुरातात्विक खुदाई के दौरान मिली मूर्तियों को यहां रखा गया है। खोजकर्ताओं के लिए यह जगह जानकारियों से भरी हुई है। अगर आपको इतिहास से जुड़ाव है और आपको उनके बारे में जानना पसंद है, तो यह जगह आपके लिए है। अन्य लोग यहां की वास्तुकला और खूबसूरती का आनंद उठा सकते हैं।

इस तरह से पहुंचें

ललितपुर ज़िले में स्थित देवगढ़ झांसी से काफी नज़दीक है।

नज़दीकी एयरपोर्ट-  ग्वालियर एयरपोर्ट (दूरी 235 किमी.)

ट्रेन से – जखलौन रेलवे स्टेशन

इसके अलावा आप यहां सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं। उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के कई शहरों से यहां तक के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है।

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