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“मैंने ठान लिया कि मुझे रुकना नहीं है, भले कितनी दिक्कतें आएं”

"मैंने ठान लिया कि मुझे रुकना नहीं है, भले कितनी दिक्कतें आएं"

मेरा नाम लक्ष्मी है। मैं दिल्ली से हूं और आप सभी की तरह मैं भी दिल्ली के एक छोटे समुदाय में रहती हूं। मैं जिस समुदाय से हूं, वहां सब लोग स्कूल जाते थे, लेकिन मैं नहीं जाती थी। मुझे अच्छा लगता था, यह देखकर कि बच्चे अपने कंधे पर बैग टांगे हुए जाते, पढ़कर आते और घर के आसपास खेलते रहते।

मैं स्कूल तो नहीं जाती थी, लेकिन एक मैडम मुझे फ्री में टयूशन पढ़ाती थी। मैं हमेशा स्कूल को लेकर खुद में सोचती रहती थी कि स्कूल ऐसा होगा या वैसा। मेरी टयूशन की मैडम अच्छी थीं, क्योंकि उनको देखकर मैं उत्सुक होती थी, उन्होंने मेरी काफी मदद की है, जो पढाई चौथी-पांचवीं कक्षा के बच्चों को आती थी, उतना मैडम ने मुझे 9 वर्ष की आयु में ही सिखा दिया था।

वह मुझे प्रेरणा देती थीं, मैंने उनसे बात की कि मुझे भी स्कूल जाना है और पढ़ना है। मैडम ने मेरा साथ दिया, उन्होंने मेरे घरवालों से बात की, हम स्कूल गए, मेरा इंटरव्यू हुआ और मेरा जब स्कूल में दाखिला हुआ, तो मैं बहुत खुश थी, क्योंकि एक ही बार में मैं स्कूल में तीसरी कक्षा में भर्ती हो गई।

मुझे बहुत गर्व हुआ और धीरे-धीरे मैंने स्कूल का अनुभव लिया। मैं संयुक्त परिवार में रहती हूं। मुझसे बड़े एक भाई और एक बहन हैं, उसके बाद मैं और एक छोटा भाई हैं जैसा कि परिवार के लिए सभी की सोच होती है कि घर के बड़े अपनी ज़िम्मेदारियां लें, सपोर्ट करें, घर को संभाले लेकिन मेरे ऊपर ज़िम्मेदारी थी, क्योंकि मैं घर के बारे में बहुत सोचती थी और अभी भी सोचती हूं।

मेरा रोज़ की दिनचर्या थी, उठकर खाना बनाकर लंच के साथ स्कूल जाना वापस आने के बाद टयूशन लेना और शाम को मम्मी के साथ काम पर जाना उनकी मदद करने के लिए, जब मैं 10वीं कक्षा में थी, तो मैं कम्यूटर-तकनीक सीखने के लिए बहुत उत्सुक थी। 

मुझे अपनी सहेली पिंकी से पता चला कि वह एक संस्था में कंप्यूटर सिखाती है। एक दिन मैं भी उसके पीछे-पीछे चली गई और जब मैं वहां पहुंची, तो मेरे लिए यह बहुत नई जगह थी। मुझे संस्था में अंदर जाते वक्त बहुत घबराहट भी हो रही थी और ऐसे ही धीरे-धीरे मैं लेवल-1 में जुड़ गई जिसमे कंप्यूटर सिखाते हैं और लेवल-2 कैमरा क्लास को भी मैंने अच्छे से पूरा कर लिया।

मैं उससे आगे जुड़ना चाहती थी, क्योंकि वह मेरे लिए सुरक्षित स्थान रहा लेकिन कुछ समय बाद मेरे परिवार में कई तरह की आर्थिक दिक्कतें आना शुरू हो गईं और मैं अपने घर वालों का समर्थन करना चाह रही थी। मैंने अपने एक दोस्त के ज़रिये एक नौकरी देखी और उसका इंटरव्यू भी दिया, जिसमें मेरा चयन भी हो गया था।

मेरी नौकरी टीवी के विज्ञापनों को देखकर, उनके बारे में लिखना था पर उसमें मेरा वेतन काफी कम था। इस नौकरी के 2 साल बाद मुझे महसूस हुआ कि मैं अपने बारे में क्यों नहीं सोच रही हूं? मुझे इस नौकरी के दौरान FAT में लेवल-3 में जुड़ने का मौका मिला पर उस समय मैंने इसमें जुड़ने से मना कर दिया था, क्योंकि मैंने सोचा कि अभी नहीं, अभी परिवार को मेरी ज़रूरत है लेकिन जब मुझे FAT से जुड़ने का दोबारा मौका मिला तो मैंने उसे ही चुना, क्योंकि नौकरी में वो आज़ादी नहीं थी। मुझे कुछ करना था इसलिए मैंने अपने लिए लेवल-3 करने का बेहतर ऑप्शन चुना, जिसमें मैंने ऑफिशियल काम सीखा।

मैं अपनी परेशानियों को किसी से साझा नहीं करती थी, क्योंकि मुझे लगता था कि लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे और मैं परेशान हो गई थी। मैंने कोशिश की कि मैं अपने अंदर कुछ ना रखूं। उस समय मैंने अपने लिए लोग ढूंढे अपने मन की बातों को साझा करने के लिए, जो मेरी बातों को समझें और मुझे काफी अच्छा महसूस हुआ।

मुझे FAT के ज़रिये राजस्थान में इंटर्नशिप करने के लिए मौका मिला और मैं वहां इंटर्नशिप करने गई। इसके कुछ समय बाद मेरे लिए एक रिश्ता आया लेकिन मैंने अपनी बात उनके सामने रखी कि अभी मुझे शादी नहीं करनी है। मैंने FAT से सीख लेकर एक जगह बनाई है कि वह मेरी बातों को समझ पाते हैं। इस समय मैंने अपने परिवार में अपने पार्टनर के बारे में भी बता दिया। मैं अपने परिवार में आत्मनिर्भर हूं, मैं परिवार की मदद भी करती हूं, खुद के लिए निर्णय भी लेती हूं और मैं कभी रुकी नहीं हूं।

लक्ष्मी FAT की वर्कशॉप के दौरान।

सवाल -जब शादी के लिए मना किया, तो परिवार वालो ने आपसे नहीं पूछा कि आप क्यों मना कर रहे हो?

जवाब- मुझसे बड़ी मेरी एक बहन है और मेरे लिए यह एक स्पेस भी था। इसलिए मैंने भी कहा कि मुझे अभी शादी नहीं करनी है, मैं काम कर रही हूं, तो परिवार को सपोर्ट कर पा रही हूं, तो इसलिए मैंने अपनी बात रखी कि मैं अभी शादी नहीं कर पाउंगी।

सवाल
 – जब आपने अपने पार्टनर के बारे में परिवार  बताया, तो उनकी क्या प्रतिक्रिया रही ?

जवाब- परिवार में शुरुआत में इस बात पर काफी गुस्सा, मतभेद था, लेकिन मैंने शांति से अपनी मम्मी से बात की, उसके बाद घर वालों को समझाया। इस को लेकर मेरे लिए काफी चुनौतियां रहीं, बातें बिगड़ गईं लेकिन धीरे-धीरे सब बातों को सही कर दिया।


लक्ष्मी वर्तमान में FAT में।

वर्तमान

जब आप दिल्ली, भारत में हमारे (FAT) कार्यालय आएंगे, तो आप युवा महिला नेतृत्व कार्यक्रम की पूर्व सहभागी लक्ष्मी से मिलेंगे और वर्तमान में (FAT) में एडमिन ट्रेनी हैं, जो हमेशा “टूलकिट” पहने हुए होती हैं। पंखे, ट्यूबलाइट, कुर्सियों, बिजली के तारों, दरवाजों से लेकर वह सब ठीक कर सकती हैं।

लक्ष्मी ने यह तकनीकी और यांत्रिक कौशल युवा महिला नेतृत्व कार्यक्रम में लेवल-3 के दौरान सीखी और इस कार्यक्रम के दौरान (STEM) अन्य  लड़कियों को भी सारी सुविधाएं प्रदान कीं।

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