Site icon Youth Ki Awaaz

बच्चों में बढ़ती ऑनलाइन गेम्स की लत, एक बड़े मानसिक विकार का खतरा

बच्चों में बढ़ती ऑनलाइन गेम्स की लत, एक बड़े मानसिक विकार का खतरा

मोबाइल और इंटरनेट टेक्नोलॉजी ने हमें कई सहूलियतें दी हैं, हमारे जीवन को आसान बनाया, खासतौर पर कोविड काल में इसी के सहारे बच्चों की पढ़ाई चलती रही है लेकिन इसी टेक्नोलॉजी का एक दूसरा पहलू भी है, जो बेहद गंभीर, खतरनाक और जानलेवा है। 

वीडियो गेम मनोरंजन का एक आसान विकल्प है, जो बच्चों को भी आकर्षित करता है। यही वजह है कि आधुनिक और डिजिटल दौर के इस समय में वीडियो गेम अधिकतर बच्चों की पहली पसंद बन चुका है। ऐसे में कुछ पेरेंट्स इस बात से परेशान रहते हैं कि ‘वीडियो गेम खेलने के चक्कर में उनका बच्चा सही से ना पढ़ाई-लिखाई करता है, ना ही खाने-पीने पर ध्यान देता है।

WHO के मुताबिक मानसिक विकार है ऑनलाइन गेम्स

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने जून 2018 में ऑनलाइन गेमिंग को एक मानसिक स्वास्थ्य विकार घोषित किया था। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, ‘गेमिंग डिसऑर्डर गेमिंग को लेकर बिगड़ा हुआ नियंत्रण है, जिसका दूसरी दैनिक गतिविधियों पर भी दुष्प्रभाव प्रभाव पड़ता है। डब्ल्यूएचओ ने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज के ताज़ा अपडेट में यह भी कहा कि गेमिंग कोकीन और जुए जैसे पदार्थों की लत जैसी हो सकती है।’ 

गेम की लत पैसों के ट्रांजैक्शन तक पहुंची

आजकल बच्चे फोन और लैपटॉप पर ऑनलाइन कक्षाओं के साथ-साथ ऑनलाइन गेम्स की तरफ ज़्यादा समय बिता रहे हैं, जिससे बच्चों की आउटडोर एक्टिविटीज कम हो गई हैं। ऐसे में बच्चे फोन पर ही कई तरह के फ्री ऑनलाइन गेम्स डाउनलोड कर रहे हैं।

ये ऐसे गेम हैं, जिन्हें खेलते वक्त बच्चों को इनकी लत लग जाती है। इसके बाद लेवल अपग्रेड के नाम पर इन गेम्स में पैसों की डिमांड की जाती है। इस वजह से कई बच्चे बिना अपने माता-पिता से पूछे ही उनके कार्ड या यूपीआई से पैसों का ट्रांजैक्शन कर देते हैं। इसलिए अब यह बहुत ज़रूरी है कि बच्चों को समझाएं और उनकी मॉनिटरिंग करें।

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?

एक मनोचिकित्सक के अनुसार, ऑनलाइन गेम बच्चों की सेहत के लिए भी बेहद खराब हैं। ऑनलाइन गेम्स की वजह से बच्चे आउटडोर एक्टिविटी से दूर हो रहे हैं, जिससे उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि बच्चों को कुछ ऐसे इनडोर या आउटडोर गेम्स खिलाएं, जिनसे वह सेहतमंद रहें।

कैसे पहचानें बच्चों में गेम्स की लत को?

1 . जब बच्चा सबसे कटने लगे।

2 . बिना गेम्स के खाना-पीना नहीं करे।

3 . छोटी-छोटी बातों पर ज़्यादा गुस्सा करे।

4 . हर कुछ समय में मोबाइल-लैपटाॅप और टीवी की तरफ ज़रूरत से ज़्यादा ध्यान दें।

5 . उदास रहना।

6 . देर रात तक जागना।

कैसे करें बच्चों को मोबाइल से दूर?

1 . उन्हें घर के छोटे-मोटे कामों में लगाएं।

2 . बच्चों के साथ म्यूजिक-डांस जैसी एक्टिविटी करें।

3 . उनके साथ वाॅक-एक्सरसाइज जैसी एक्टिविटी करें।

4 . उन्हें उनके दोस्तों से वीडियो काॅल करवाएं।

5 . कहानी व उदाहरण के ज़रिये गेम्स के फायदे-नुकसान के बारे में बताएं।

माता-पिता को ऑनलाइन गेम्स के बजाय मैदानी खेलों पर बल देने की ज़रूरत

हम सभी को भलीभांति पता है कि बच्चों को उनके स्वस्थ सेहत के लिए जितना पौष्टिक भोजन ज़रूरी है, उतना ही उनको खेलना भी ज़रूरी है। वैसे भी बच्चों के लिए सबसे मनपसंद काम खेलना ही होता है। अधिकतर बच्चे अपने खाली समय को खेलने में ही बिताते हैं।

खेलना किसे पसंद नहीं होता है? बच्चों से लेकर बड़ो तक को खेलना बहुत पसंद होता है और यदि बच्चों के साथ-साथ बड़े भी खेलें, तो यह बहुत ही सुखद अनुभव होता है। बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए खेल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। 

खेल ना केवल बच्चों का शारीरिक विकास करता है बल्कि उनका बौद्धिक कौशल का भी निर्माण करता है। खेल में बच्चों को हार-जीत का सुखद एवं दुखद अहसास उनके मानसिक विकास को पुष्ट करता है। बच्चों में सीखने की क्षमता वयस्कों से कहीं अधिक होती है, यही कारण है कि बच्चे किसी भी सीख को बहुत ज़ल्दी सीख जाते हैं।

बच्चों की यह प्रवृति, उन्हें अपने बौद्धिक विकास को पुष्ट बनाने में बहुत मदद करती है। आधुनिकीकरण एवं शहरी प्रभाव के कारण वर्तमान में बच्चों में खेलने की प्रवृति का क्षीण होना एक मुख्य कारण बनता जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रो में मैदानी एवं पारंपरिक खेलों के स्थान पर इनडोर गेम्स ने अपनी जगह बच्चों के मन में जमा ली है। 

वर्तमान में बच्चे अब अधिक-से-अधिक समय अपने घर में रहकर इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स में बिताने लगे हैं। कंप्यूटर गेम, मोबाइल गेम आदि ने बच्चों को इतना व्यस्त कर दिया है कि उनको शारीरिक मेहनत वाले खेलों से अरुचि होने लगी है और कुछ दिनों बाद यदि खेलते भी हैं, तो बच्चे बहुत ही ज़ल्द अपने आप को थका हुआ समझने लगते हैं। बच्चों को खेलों से जुड़ने के लिए, उन्हें एक अच्छा माहौल का मिलना अति आवश्यक होता है।

संदर्भ :-विकिपीडिया।

Exit mobile version