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वायु प्रदूषण के कारण बढ़ रहा है फेफड़ों के कैंसर का खतरा

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण

गरीब और मध्यमवर्ग के व्यक्ति के लिए काफी मुश्किल हो जाता है कैंसर जैसी बीमारी का इलाज करा पाना। यही नहीं, दिल्ली के एम्स जैसे संस्थानों में तो मरीज़ का नंबर आते-आते मरीज़ की मौत तक हो जाती है।

कैंसर होने पर लोग इसका इलाज कराते हैं ताकि इस गंभीर बीमारी से मुक्ति मिल सके मगर एक समाज के तौर पर हमलोग कतई संवेदनशील नहीं हैं, क्योंकि कहीं ना कहीं कैंसर के कारणों में कुछ प्रतिशत हम आम लोगों की भी भागीदारी होती है।

फेफड़ों के कैंसर में प्रदूषित हवा की बड़ी भूमिका

एक शोध के मुताबिक, वायु प्रदूषण की वजह से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक धूम्रपान, फेफड़ों के कैंसर की मुख्य वजह मानी जाती है। वहीं, कुछ हालिया सर्वेक्षणों में यह भी दावा किया गया है कि फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते मामलों में प्रदूषित हवा की भी बड़ी भूमिका है। डॉक्टरों का मानना है कि उन लोगों को भी कैंसर हो रहा है, जो धूम्रपान नहीं कर रहे हैं।

फोटो साभार- Pixabay

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पटना के चिकित्सकों की टीम ने मार्च 2012 से लेकर जून 2018 तक 150 से अधिक मरीज़ों के विश्लेषण में पाया कि धूम्रपान नहीं करने वाले व्यक्ति को भी कैंसर हो रहा है।

पटना के मशहूर कैंसर सर्जन डॉक्टर वी.पी. सिंह का कहना है कि लगभग 20 प्रतिशत मरीज़ ऐसे थे, जो धूम्रपान नहीं करते थे। उनका कहना है कि फेफड़ों से जुड़े कैंसर का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान होता है। डॉक्टर सिंह ने यह भी कहा कि फेफड़े के कैंसर से धूम्रपान करने वाले ही नहीं, बल्कि धूम्रपान ना करने वाले युवक और युवतियां भी जूझ रहे हैं।

तमाम तरह के जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद भी WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 76 लाख से ज़्यादा लोग कैंसर की बीमारी के शिकार होते हैं।

दिल्ली में तस्वीर और भी भयावह

वहीं, सर गंगा राम हॉस्पिटल एंड लंग केयर फाउंडेशन के दि सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के सर्जनों द्वारा किए गए शोध के मुताबिक दिल्ली की प्रदूषित हवा से फेफड़ों का कैंसर होने की आशंका है। अध्ययन में पिछले 30 वर्षों में हुए फेफड़ों के कैंसर की सर्जरी का विश्लेषण करने पर पाया गया कि सन् 1988 में 10 में से 9 मामले धूम्रपान करने वालों के थे, जबकि सन् 2018 तक यह धूम्रपान करने वालों और धूम्रपान ना करने वालों के बीच बराबर हो गया है।

गौरतलब है कि 50 वर्ष से कम आयु के 70% लोग, जिनके फेफड़ों के कैंसर की सर्जरी हुई थी, वे धूम्रपान नहीं करते थे। वहीं, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी का कहना है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण से बचने के लिए हर कोई दिल्ली-एनसीआर से बाहर नहीं जा सकता है। इसलिए स्वच्छ हवा की गुणवत्ता के लिए नागरिकों को जागरूक करना आवश्यक है।

फेफड़ों के कैंसर को पहचानने के आसान उपाय-

छाती में दर्द, छोटी सांसें लेना और हमेशा कफ रहना, चेहरे और गर्दन पर सूजन, थकान, सिरदर्द, हड्डियों में दर्द और वजन कम होना इस बीमारी के मुख्य कारण हैं।

कैंसर से बचने के उपाय-


नोट: राजकमल पंडित एक यूट्यूबर हैं। उनकी यह स्टोरी YKA क्लाइमेट फेलोशिप के तहत प्रकाशित की गई है।

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