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समाज में व्याप्त वर्ग संघर्ष एवं असमानता को दर्शित करती है ‘स्क्विड गेम’

समाज में व्याप्त वर्ग संघर्ष एवं असमानता को दर्शित करती है 'स्क्विड गेम'

नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई कोरियन टीवी सीरीज़ स्क्विड गेम, जिसने दुनियाभर में तहलका मचा दिया और ये संसार में नेटफ्लिक्स की सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली सीरीज़ बन गई पर ऐसा हुआ क्यों? आखिर क्या था, इस सीरीज़ में जो लोगों को इतना ज़्यादा पसंद आया? यह एक विचार करने वाली बात है।

स्क्विड गेम को समझने के लिए हमें अपने समाज को समझना होगा, क्योंकि ये सीरीज़ सीधा हमारे समाज को पेश करती है। भले ही भारत हो, अमेरिका हो या साउथ कोरिया हमारा देश 2 वर्गों अमीर और गरीब में बंटा हुआ है। 

ये हर एक देश की समस्या है कि अमीर हर रोज़ अमीर हो रहा है और गरीब हर रोज़ गरीब। आम लोगों के जीवन में बहुत बड़ी-बड़ी समस्याएं हैं।

सबसे अहम समस्या है पैसा, ये समस्या भी है, समाधान भी। आम इंसान पैसे कमाने के लिए कुछ भी कर सकता है, अपना घर चलाने के लिए कुछ भी कर सकता है, वो नौकरी करता है, छोटे-मोटे काम करता है और कभी-कभी किसी बैंक से लोन भी ले लेता है।

नौकरीपेशा इंसान को इस बात का हमेशा डर रहता है कि उसकी नौकरी ना चली जाए और छोटा-मोटा काम धंधा करने वाले को काम फेल होने की चिंता हमेशा रहती है और दूसरी तरफ वाला वर्ग, किसी के ऊपर निर्भर नहीं है। उसके पास कितना पैसा है, इसका अंदाज़ा शायद उसे भी नहीं है। उसके सामने दूसरा वर्ग छोटे-छोटे कीड़ों जैसे लगता है और वो हर एक कोशिश करता है, उस वर्ग का पैसा हथियाने की।

सीरीज़ और कोरियन समाज

कोरिया देखने में एक खुशहाल देश लगता है लेकिन इसके अंदर बहुत सारी ऐसी समस्याएं हैं, जिन्हें इस शो में दिखाया गया है।

कोरिया में सबसे बड़ी दिक्क्त है असमानता की। कोरियन समाज में असमानता बहुत है, एक वर्ग इतना ऊपर है जिस तक पहुंच पाना आम लोगों के लिए बहुत मुश्किल है और दूसरी तरफ ऐसा समाज जिसे उच्च वर्गीय लोगों द्वारा कुचला जाता है। ये शोषण केवल एक तबके तक ही सीमित नहीं है ये प्रवासी मज़दूरों, बुजुर्गों तक फैला हुआ है।

एक सर्वे के मुताबिक, कोरियन लोग सबसे ज़्यादा कर्ज में दबे हुए हैं। वहां लोन पर ब्याज दर इतनी ज़्यादा बढ़ जाती है कि एक लोन उतारने के लिए दूसरा लोन लेना पड़ता है।

50 प्रतिशत लोग गरीब हैं और जिसमें सबसे ज़्यादा गंभीर हालत बुज़ुर्गों की है। दूसरी बड़ी समस्या यहां पर प्रतियोगिता की है। हर कोई एक-दूसरे से आगे निकलना चाहता है और इसके लिए कुछ भी कर सकता है।

कोरिया में बचपन से ही बच्चों के अंदर प्रतियोगिता की भावना और खुद को श्रेष्ठ साबित करने की भावना पैदा कर दी जाती है और सिखाया जाता है कि कामयाब होने के लिए कुछ भी करना जायज़ है, जिसके कारण कोरिया में बाकी देशों के मुकाबले सबसे ज़्यादा आत्महत्यांएं होती हैं और सबसे ज़्यादा स्कूली बच्चे ऐसे कदम उठाते हैं।

कोरियन सोसाइटी में सबसे ज़्यादा इनकम गैप है

एक और कड़वी सच्चाई कोरियन समाज कि जो हमें इस शो में दिखाई है, वो है भेदभाव पर भेदभाव केवल कोरिया ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या है।

जैसे शो के एक एपिसोड में दिखाया गया है कि जब सबको अपनी टीम चुनने का मौका मिलता है, तो सब नौजवान मर्दों को चुनना पसंद करते है ना कि बुजुर्ग या महिलाओं को, जो साफ-साफ हमें एक मर्द प्रधान समाज और सेक्सुअल भेदभाव को भी दिखता है और कोरिया समाज में बुजुर्गों की क्या अहमियत है, वो भी दिखती है।

हालांकि, सीरीज़ में नौजवानों का चुनाव उनकी ताकत की वजह से किया जाता है, ताकि खेल में जीत हासिल की जा सके लेकिन वास्तविक ज़िन्दगी में भी ऐसा ही प्रतियोगिता का माहौल रहता है, जहां महिलाओं और बुजुर्गों को दरकिनार किया जाता है।

कोरियन शो स्क्विड गेम केवल कोरिया देश का प्रतिबिम्ब नहीं है बल्कि यह पूरी दुनिया के देशों की सच्चाई दिखाने की हिम्मत रखता है। इस शो में बहुत सारी असली घटनाओं के रेफरेन्स भी दिए गए हैं अगर आपने अभी तक ये शो नहीं देखा तो आप किसका इंतज़ार कर रहे हैं, इस वीकेंड देख लीजिए।

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