देश में पहली बार एनडीए यानि नेशनल डिफेंस अकादमी में महिलाओं को एंट्रेंस परीक्षा में बैठने का अवसर प्राप्त हुआ है, जिसका परिणाम 15 दिसंबर यानि बीते बुधवार को घोषित किया गया है।
आज 2022 में होने वाले परीक्षा का नोटिफिकेशन भी संघ लोक सेवा आयोग ने ज़ारी कर दिया है, जिसके अनुसार जो महिला कैंडिडेट 2 जुलाई 2003 से पहले और 1 जुलाई 2006 के बाद ना जन्मी हों, वो इस परीक्षा के लिए नामांकन कर सकती हैं। यह परीक्षा कुल 400 सीटों के लिए ली जाएगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2021 में फैसला सुनाया था कि अब महिलाएं भी एनडीए परीक्षा में शामिल होकर सेना का हिस्सा बन सकती हैं जबकि इससे पूर्व केवल पुरूष ही इस परीक्षा में शामिल हो सकते थे।
यूपीएससी ने एनडीए की परीक्षा 14 नवंबर, 2021 को आयोजित की जिसमें पहली बार पुरुष और महिला दोनों ने हिस्सा लिया और जहां कुल 5,75,856 परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया जिसमें से कुल 1,77,654 महिलाओं ने हिस्सा लिया, जिसमें 1,000 सफल महिलाओं को एनडीए 2 यानि इंटरव्यू राउंड के लिए सफल घोषित किया गया है।
ये आंकड़ा सुनने में बेहद अच्छा लग सकता है, क्योंकि पहली बार महिलाओं को पुरुषों के साथ परीक्षा में बैठने का समान अवसर मिला है लेकिन ये आंकड़े इतने सुखद भी नहीं और ना ही ये समानता को दर्शाते हैं।
इन आंकड़ों के अनुसार, तकरीबन 2 लाख महिलाओं ने इस परीक्षा में हिस्सा लिया लेकिन सलेक्शन केवल 1000 लड़कियों का हुआ यानि केवल 10% जी हां केवल 10% महिलाएं ही एनडीए परीक्षा का पहला लेवल पार कर पाईं लेकिन सोचने वाली बात यह है कि इस असमानता का क्या कारण है?
इस परीक्षा की एक परीक्षार्थी साक्षी कुमारी का कहना है कि ‘पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को कम समय मिला, क्योंकि पुरुषों को उनके सिलेबस और परीक्षा का समय पहले से निर्धारित था, लेकिन महिलाओं को परीक्षा के लिए केवल एक माह का समय मिला, जो पुरूषों के मुकाबले बेहद कम था।’
यदि महिलाओं को भी पुरूषों के समान उतना ही समय मिला होता, तो शायद सफल अभ्यर्थियों में महिलाओं की संख्या वर्तमान के आंकड़ों से अधिक होती। इसके साथ ही साक्षी ने ये भी चिंता जताई है कि 2022 में होने वाली परीक्षा की उम्र सीमा के अनुसार, वो पूरी तरह इस प्रतियोगिता से बाहर हो गईं हैं लेकिन नवंबर में हुई असमानता को पूरा करने के लिए महिलाओं को एक और अवसर दिया जाना चाहिए और उम्र सीमा एनडीए 1 के अनुसार होनी चाहिए। इससे महिलाओं को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का समान अवसर मिलेगा।