दिल्ली राज्य चुनाव आयोग द्वारा जब बीते दिन रोटेशन की प्रकिया को अंतिम रूप दिया गया तो लगभग दिल्ली नगर निगम के 272 सीटों का पूरा गणित ही बिगड़ गया ।
अगर रोटेशन की पूरी प्रक्रिया को समझें तो 2017 में जो सीट सामान्य , महिला , अनुसचित जाति तथा अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित थी । वहाँ अब यह सीटें परिवर्तित हो चुकी है । जो सीट सामान्य थी उसे महिला कर दिया गया जो महिला के लिए आरक्षित थी उसे सामान्य कर दिया गया । तथा जो सामान्य सीट थी उन्हें अनुसूचित जाति तथा महिला में परिवर्तित कर दिया गया ।
अब यह पार्षद बनने का सपना संजोयें लोगों में संभवतः कुछ के लिए यह खुशी का विषय भी है और कुछ के लिए यह निराशा का विषय है ।
अब जो आदेश राज्य चुनाव आयोग द्वारा जो आदेश जारी किया गया है उसे लेकर अब उसमें गड़बड़ी के आरोप लगने भी शुरू हो गए है जिसमे दिल्ली भाजपा के पूर्व सचिव का कहना है कि आरक्षण में नियमों की अनदेखी हुई है । उनका कहना है आयोग ने अपने ही फॉर्मूले का पालन नही किया और ऐसी सीटों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नही किया जिनमे वे सीटे आयोग के नियम के तहत ही शामिल होनी थी ।
बहरहाल अब समस्या उनके लिए खड़ी हो गई है जो हाल ही में कांग्रेस छोड़ के आम आदमी पार्टी तथा भाजपा में गए है । इस रोटेशन से उनकी पूरी गणित ही बिगड़ गयी है ।
रोटेशन की प्रकिया खत्म होने के बाद ऐसा देखा गया है कि जैसे ही आदेश जारी हुआ विभिन्न वार्डो के टिकट की दावेदारी कर रहे कार्यकर्ता ने रातोंरात अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी वाइफ की फ़ोटो लगा दी और जिनका गणित वार्ड में नही बैठा रातोंरात उन्होंने अपना वार्ड बदल लिया ।