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अब नहीं सुनाई देगी यह आवाज़ “मैं कमाल खान एनडीटीवी इंडिया”

अब नहीं सुनाई देगी यह आवाज़ “मैं कमाल खान एनडीटीवी इंडिया”
कमाल खान के गुज़र जाने की खबर जो सुन रहा है, वो एक सदमा सा महसूस कर रहा है। ये उमर जाने की न थी । कमाल खान का निधन दिल के दौरे पड़ ने से हुआ है। सोशल मीडिया पर लोगों ने कमाल खान को अपने अपने तरीक़े से श्रद्धांजलि देना शुरू कर दिया है।

वरिष्ठ पत्रकार नवीन कुमार लिखते हैं- ‘पत्रकारिता की एक पाठशाला ठप पड़ गई। कहन की एक काव्यशैली बिला गई। एनडीटीवी के कमाल खान हमारे बीच नहीं रहे। यह भारी शोक का समय है। श्रद्धांजलि।’

वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं- ‘ईश्वर से प्रार्थना है कोई चमत्कार हो जाये और मेरे दोस्त, सहयोगी छोटे भाई कमाल खान का हृदय फिर से धड़कने लगे . वह जितने शानदार इंसान हैं उतने ही शानदार पत्रकार.’

कमाल खान का करियर

कमाल खान एनडीटीवी जर्नलिस्ट में एक लोकप्रिय भारतीय रेजिडेंट संपादक थे, जिनकी मृत्यु 14 जनवरी 2022 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुई थी। कमाल को दिल का दौरा पड़ा था। कमाल खान के पास अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री थी और उन्होंने मास्को विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र और रूसी भाषा का किया।
कमाल खान भारतीय ‘नवभारत टाइम्स’ के लिए रूसी दुभाषिया के रूप में भी कामकर रहे थे। कमाल खान ने 2015 में एनडीटीवी में अपना करियर शुरू किया और उन्हें एनडीटीवी में कार्यकारी संपादक के रूप में 27 साल का अनुभव था।
कमाल खान का रिपोर्टिंग करने का बेबाक़ अंदाज़।
कमाल खान को उनकी बेहतरीन पत्रकारिता के लिए पत्रकारिता के क्षेत्र में भारत में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है रामनाथ गोयनका पुरस्कार मिला था. साथ ही भारत के राष्ट्रपति द्वारा गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से भी सम्मानित थे.
बात करें अगर कमाल खान अपनी खबर को पेश करने के अंदाज को लेकर काफी मशहूर थे ।साफ़ और बेबाक़ को सलीके से कहने वाले कमाल लखनवी पत्रकारिता की मिसाल थे ।
कमाल खान की अंतिम रिपोर्ट।

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