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“बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हमें उनकी अभिरुचि चुनने की स्वतंत्रता देनी चाहिए”

"बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हमें उनकी अभिरुचि चुनने की स्वतंत्रता देनी चाहिए"

इस हफ्ते काम के सिलसिले में मेरा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय जाना हुआ, तो आज का किस्सा इस विद्यालय की बच्चियों के सपनों और उसके सन्दर्भ में हुई बातचीत के नाम है। ऐसे ही एक उद्योग व प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन के साझे आर पी एल (पूर्व शिक्षण की मान्यता कार्यक्रम ) ट्रेनिंग सेंटर पर हुए संवाद के बारे में भी मैं अगली कड़ी में बात करूंगी।

बच्चियां स्कूल से लौट आई थीं। मैं छात्रावास की वार्डन मैडम से चर्चा कर रही थी। मुझे आधे घंटे से उनका इंतज़ार था, क्योंकि अगर आप किसी शिक्षण संस्थान में आए हैं, तो बिना बच्चों से मिले आप उनके बारे में कुछ निर्णय या योजना के बारे में सोच कैसे सकते हैं?

मैंने वहां सब विद्यार्थियों से कहा कि आज हम आपके सपनों की बातें करेंगे। वो जो आपको बहुत प्यारा है। ऐसा कुछ जिसे आप घंटों कर सकते हैं या जिसमें आप निरंतर डूबे रह सकते हैं। वो जो आपकी आंखें चमका दे और फिर हम बात करेंगे उसमें किस प्रकार मेहनत करनी होगी?

आपको कौन सी स्किल्स उस क्षेत्र में आगे ले जाएंगी। क्या नज़रिया आज कल के समय में बहुत ज़रूरी है, खास बनने के लिए। मैंने उनसे अपनी ज़िन्दगी के अनुभव साझा किए कि व्यक्तिगत रूप से मैंने क्या गलतियां कीं और कैसे वे बारहवीं कक्षा से ही अपने पैशन की दिशा में काम करना शुरू कर सकती हैं।  

मैंने कहा कि अब से हर एक बच्ची खुद से आगे आकर यह बताएगी कि उसका सपना क्या है? इस तरह धीरे-धीरे परतें खुलती चली गईं। कुकिंग और बेकिंग से पैसा कमाना, कोविड के दौर में कैसे लोगों ने पैसे कमाए? उसके लिए कुछ नया सोचना, एक्सपेरिमेंट करना बहुत ज़रूरी है।

मैंने उन्हें बताया कि जो लोग सफल होते हैं, वे ढर्रे पर नहीं चलते। वे ओरिजिनल होते हैं। वे ज्ञान की तह तक जाने की कोशिश करते हैं जैसे एक बच्ची ने कहा कि उसे गार्डनिंग में बहुत रुचि है, मैंने उससे पूछा कि तुम्हें मिटटी, हवा, पानी की ज़रूरतों और अलग-अलग पौधों की अलग-अलग ज़रूरतों को कभी समझा है?

आज लोग अलग-अलग तकनीकों और बागवानी के प्रकारों पर काम कर रहे हैं पर आप बेसिक से कीजिए, अपने घर के आंगन से। सिलाई सीखने की चाह रखने वाली बच्चियों के लिए शहर या मोहल्ले की स्पेशलिस्ट बनने के लिए, एक अच्छी ड्रेस डिज़ाइनर बनने के लिए ज़रूरी नहीं है कि उन्हें महंगे फैशन डिजाइनिंग के कोर्स ही करने पड़ेंगे।

आप के अंदर आपकी कल्पनाशीलता और सीखने की ललक होनी चाहिए। इस बातचीत के दौर में सबको बहुत मज़ा आने लगा, खिलखिलाती मुस्कुराती बच्चियां कोई वकील, कोई उद्यमी बनना चाहती हैं और कोई पढ़ने की शौकीन है, किसी को राजनीति में जाना है। दो बहनें एनडीए के सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार महिलाओं को परीक्षा में शामिल करने के UPSC के नए इतिहास की सहभागी बनीं, वो आर्मी में जाना चाहती हैं। 

हमने चर्चा की कि राजनीति में जाने के लिए एक कुशल नेतृत्व विकसित करना होगा। स्कूल में लीडरशिप, अपने घर में, गाँव की समस्याओं में भागीदारी करनी होगी। हमने कंप्यूटर तकनीकी से जुड़े विशेष नए क्षेत्रों के बेसिक्स की बात की।

हमने माइक्रोबायोलॉजी, न्यूट्रिशन, पैथोलॉजी (जिसमें पढाई की इच्छा एक छात्रा ने जताई ), फार्मेसी, नर्सिंग की बात भी की, उसके लिए क्या करना होगा और कैसे हेल्थ सेक्टर में हर किस्म के कौशल और प्रशिक्षित लोगों की ज़रुरत है। वहां केवल डॉक्टर ही नहीं बहुत अन्य कार्यों के लिए अलग-अलग व्यक्तियों की ज़रूरत पड़ती है।  

इस बीच एक बच्ची के सवाल ने मुझे अचंभित कर दिया। मैडम यदि मुझे अलग-अलग लैंग्वेज सीखनी हो, तो इसके लिए मुझे क्या करना होगा? मैंने कहा मुझे भी नहीं पता, मैं आपको इसके बारे में अगले सेशन में बताउंगी। ऐसे ही एक बच्ची फोरेंसिक साइंस पढ़ना चाहती है।

मैं मानती हूं कि यह टीवी से आकर्षण हुआ होगा पर हमने बात की कि इसके लिए सबसे पहले तो आपका फोकस, आपकी ऑब्ज़र्वेशन की क्षमता वगैरह का बेहतरीन होना बहुत ज़रूरी है। इसकी पढाई कहां होती है वगैरह सब पर बात हुई।

मैंने इस एक्सरसाइज के दौरान बच्चियों को पहले खुद से यह बताने और सोचने का मौका दिया, जो स्कूल में हमारे बच्चे सोच नहीं पाते और लौटते वक्त मैंने कहा अब शाम हो गई है, तो हम आगे कुछ डिटेल्ड प्लान कर सकते हैं और हम फिर मिलेंगे। इस सेशन के दौरान मैं काफी सवालों के जवाब नहीं दे पाई, क्योंकि मेरे पास उस समय अधिक वक्त नहीं था।

 इस शाम ने मुझे यह सिखाया कि हर बच्चा बिल्कुल अलग होता है। उसके दिल की धड़कनें अलग-अलग किस्म के शौकों में तेज़ होती होंगी और हमने इस संवाद सत्र से यह भी ज़ोर डालने की कोशिश की कि करियर की ऊंचाई आपकी स्किल्स और आपकी स्किल्स आपके सीखने के जज़्बे, आपके अटूट अभ्यास और नए सोचने पर निर्भर करती है। 

करियर काउंसलिंग शायद विशेषज्ञ बेहतर कर पाएं पर इन रास्तों पर रौशनी डालना मेरा मकसद था। वहां से आते-आते मैंने कहा हम KGBV का एक व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाते हैं, तो एक बच्ची बोल पड़ी कि किसी के पास व्हाट्सएप्प वाला फोन ना हो तो? तो मानो मेरी तन्द्रा टूट गई। वंचित और ग्रामीण परिवेश से आने वाली इन बच्चियों के मुंह से निकला यह वह सच था, जो पिछली साल से देश भर में लाखों बच्चे महसूस कर रहे हैं। मैं विचारमग्न होकर घर के लिए निकल पड़ी।

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