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जानिए हमारे देश के असली नायकों की बहादुरी के किस्सों के बारे में

जानिए हमारे देश के असली नायकों की बहादुरी के किस्सों के बारे में

भारतीय थल सेना के शौर्य की गाथाएं आपने सुनी और देखी भी होंगी। कुछ लोगों ने तो इस शौर्य को महसूस भी किया होगा। हीरोज तो आपने फिल्मों में देखे ही होंगे, जो अकेले ही ना जाने कितने ही दुश्मनों से लड़ जाते है परंतु वो तो सिर्फ एक फिल्म और उसके किरदार हैं हकीकत नहीं लेकिन हमारे देश के जवान हकीकत में दुश्मनों से लड़ कर देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा देते हैं। आइए आज हम इस लेख के ज़रिये जानते हैं  हमारे देश की जाबांज सेना के कार्य उसके उद्देश्य और सेना दिवस के महत्व को।

क्यों हर वर्ष 15 जनवरी को मनाया जाता है सेना दिवस?

फील्ड मार्शल के.एम करिअप्पा के सम्मान में प्रतिवर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है। 15 जनवरी सन 1949 के दिन जनरल करिअप्पा को आज़ाद भारत के ‘कमांडर इन चीफ’ के पद पर नियुक्त किया गया था। वे पहले भारतीय थे, जिसे कमांडर इन चीफ का पद मिला था।

क्या हैं सेना के कार्य व उद्देश्य?

स्वतंत्रता से लेकर अब तक भारतीय सेना  का सर्वप्रथम उद्देश्य रहा है। हमारे देश के दुश्मनों को ‘ईट का जवाब पत्थर से देना’ और भारत की एकता की रक्षा करना, बाहरी दुश्मनों से देश को सुरक्षित रखने के साथ ही देश के भीतर हो रही घटनाओं से देश को सुरक्षित रखना है। वर्तमान समय मे भारतीय थल सेना 1.4 मिलियन सैनिकों के साथ विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। यदि देश पर कभी भी कोई प्राकृतिक आपदा आन पड़ती है, जैसे बाढ़, तूफान, भूकंप और विस्फोट आदि समय में भी सैन्य बल देश सेवा में समर्पित रहता है।

ऐसे प्रमुख युद्ध जिनमें भारतीय सेना ने दिखाया अपना शौर्य

स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए पूर्व मे जितनी जंग देश के शूरवीरों ने लड़ी थीं, उतना ही परिश्रम स्वतंत्रता के बाद भी उसे कायम रखने के लिए हमारे देश की सेना किया है और करती आ रही है। हर समय देश की सीमा पर तैनात रह कर देश के दुश्मनों से युद्ध कर हमारी स्वतंत्रता की रक्षा करती आई है।

1. कश्मीर युद्ध (1947) : भारत को स्वतंत्रता मिले और पाकिस्तान को बने थोड़ा ही समय हुआ था कि देश में कश्मीर का युद्ध छिड़ गया। पाकिस्तान ने कश्मीर पर अपना अधिकार स्थापित करने के लिए सन 1947 में भारत पर आक्रमण किया था। उस समय में भी भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना की ईट से ईट बजा दी थी।

2. भारत और चीन का युद्ध (1962) : वर्ष 1962 का वो समय जब पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे और चीन से देश के राजनैतिक संबंध भी ठीक थे और साथ-ही-साथ उस दौरान भारत में हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा भी छाया रहता था। इन सबके बावजूद किसी को अंदाज़ा भी नहीं था कि भारत और चीन के बीच युद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी।

चीन ने ‘मैकमोहन रेखा’ को पार कर तिब्बत, अक्साई चीन और अरुणाचल प्रदेश के एक बड़े हिस्से को अपने कब्जे में कर लिया था। भारत और चीन के बीच यह युद्ध एक महीने तक चला जिसमें चीन की ओर से 80,000 सैनिक और भारत की तरफ से केवल 20,000 सैनिक युद्ध कर रहे थे। इस युद्ध मे भारतीय सैनिकों ने अपना पूरा शौर्य और साहस लगा दिया था, परंतु उन्हे आखिरकार हार का मुख देखना पड़ा और 20 नवंबर, 1962 को चीन ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी थी।

3. भारत और पाकिस्तान युद्ध (1965) और (1971) : भारत और पाक के बीच शुरुआत से ही जंग चलती आ रही है। सन 1965 मे पाक ने कश्मीर को हथियाने के लिए भारत पर दूसरी बार हमला किया परंतु उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। 1971 के युद्ध में भी भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारी हार का स्वाद चखाया था और इस युद्ध की जीत के बाद ‘बांग्लादेश’ का जन्म हुआ था।

4. कारगिल का युद्ध : वर्ष 1999 में हुआ यह युद्ध पाकिस्तानी सेना और कश्मीर मे छुपे पाकिस्तानी उग्रवादियों ने शुरू किया था, जो बार-बार भारत की सीमा मे घुसपैठ कर रहे थे। पाकिस्तानी सेना ने इस युद्ध मे ‘ऑपरेशन बद्र’ और भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ की शुरुआत की थी।

भारतीय सेना व थल सेना को देश के नागरिकों की सुरक्षा करने के लिए एक सलाम।

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