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उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख दलित नेताओं में से कौन बनेगा दलित वोटों का सिरमौर?

उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख दलित नेताओं में से कौन बनेगा दलितों वोटों का सिरमौर?

भारत के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। निर्वाचन आयोग ने चुनावों की तारीखें भी घोषित कर दी हैं। कई चरणों में उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव संपन्न होंगे चुनाव संपन्न होने के बाद 10 मार्च को फाइनल रिजल्ट आएगा कि कौन बना यूपी का मुख्यमंत्री?

उत्तर प्रदेश में चुनावों के चलते लगातार सभी राजनैतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए रैलियां कर चुकी हैं। सभी पार्टियां सोशल मीडिया पर भी एक्टिव हो कर लगातार अपने उम्मीदवारों के प्रचार-प्रसार में लगी हुई हैं। 

पांचों राज्यों में से मुख्यतः सभी पार्टियों का ध्यान उत्तर प्रदेश की ओर अधिक है, क्योंकि सभी राज्यों में से उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सीटें सबसे ज़्यादा हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा दलित वोटर हैं इसलिए सभी पार्टियों का ध्यान दलित वोटों की तरफ अधिक है लेकिन चर्चा यह है कि 2022 में अब होने वाले चुनावों में दलित किस को वोट देगा?

उत्तर प्रदेश में दो बड़े दलित नेता हैं जिनमें से एक मुख्यतः चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी है, जी हां मैं बात कर रहा हूं बहन कुमारी मायावती की और दूसरा बड़ा चेहरा भीम आर्मी प्रमुख एवं आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद हैं।

दो बड़े दलित लीडर अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं, तो क्या दलितों का वोट बिखर जाएगा। जी, हां यह सच है क्योंकि उत्तर प्रदेश में दलितों की बड़ी आबादी है और जब दलित एक तरफ मायावती को और दूसरी तरफ चंद्रशेखर को वोट देगा, तो वोट बिखर जाएगा और इससे दोनों दलित नेताओं को बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा अगर इन दोनों में से कोई भी नेता अगर दूसरी पार्टी से गठबंधन कर लेता है, तो उस गठबंधन वाली पार्टी की जीत निश्चित होगी।

अगर हम बात करें मायावती की तो मुख्य बात यह है कि अबकी बार बहुजन समाज पार्टी ब्राह्मण समाज को साथ में लेकर भी बहुत सारे सम्मेलन कर चुकी है, तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ब्राह्मण समाज बहुजन समाज पार्टी को वोट देगा?

अगर ब्राह्मण समाज बहुजन समाज पार्टी को पूर्ण तरीके से वोट देता है, तो भारतीय जनता पार्टी की हार निश्चित होगी, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में ब्राह्मण समाज में से अधिकतर ब्राह्मण भारतीय जनता पार्टी को सपोर्ट करते हैं लेकिन भाजपा को सपोर्ट करने वाला ब्राह्मण अबकी बार बहुजन समाज पार्टी को वोट देगा, तो इससे बहुजन समाज पार्टी को बड़ी मज़बूती मिलेगी और मायावती ने जाट समाज के कई बड़े नेताओं को ज़िम्मेदारी दी हैं अगर जाट समाज भी बहुजन समाज पार्टी को पूर्ण रूप से वोट देगा, तो बहुजन समाज पार्टी की जीत निश्चित होगी तो सवाल यह भी बनता है कि क्या जाट समाज बहुजन समाज पार्टी को वोट देगा?

सरकार ने निर्देश दिए हैं कि कोरोना की वजह से सभी राजनैतिक पार्टियां रैली नहीं करेंगी और सभी का प्रचार- प्रसार डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सोशल मीडिया पर चलेगा। यदि हम बात करें सोशल मीडिया की तो 12 जनवरी को देर रात तक ट्विटर पर ट्रेंडिंग में चंद्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी चली और 13 जनवरी को ट्विटर पर बहुजन समाज पार्टी ट्रेंडिंग में चली।

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