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प्रदूषण को कम करने के लिए आखिर प्रदूषण बढ़ने तक का इंतज़ार क्यों?

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“वायु प्रदूषण का कहर जारी, जो मानव पर पड़ रहा भारी”

आज लगभग विश्व का हर देश वायु प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहा है लेकिन उससे बचने का कोई समुचित उपाय नहीं कर पाए हैं। यूं भी समुचित उपाय कोई देश तब ढूंढता है, जब वायु प्रदूषण तेजी पकड़ लेता है और जब सामान्य होता है, तब उसे सामान्य से और नीचे रखने के उपाय नहीं किए जाते ताकि दूरगामी संकटों से बचा जा सके।

हाल ही में भारत के दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के कहर को देखा जा सकता है और ये हाल ही की समस्या नहीं है बल्कि दिल्ली की प्रतिवर्ष की समस्या बन चुकी है, क्योंकि हमारी सरकारें इसके प्रति ना तो पहले से सतर्क रहती हैं और ना ही कोई समुचित प्रबंध करतीं हैं।

वायु प्रदूषण की समस्या से आज पूरा दिल्ली ‘त्राहिमाम त्राहिमाम’ कर रहा है। लोगों को अपना जीवन एक कैदी की भांति, स्वयं को अपने घरों में कैद रखकर गुज़ारना पड़ रहा है तथा ज़हर युक्त हवा लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

दोस्तों, हमारी सरकारें समय-समय पर अपने बहुत सारे कामों को गिनवातीं हैं कि हमने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया। वहीं, लगभग वर्ष भर वृक्षारोपण जारी भी रहता रहा है

लेकिन विडंबना यह है कि करोड़ों वृक्ष लगाए जाते हैं, उनमें हज़ार वृक्ष ही मुश्किल से तैयार हो पते हैं।  शेष वृक्ष कहां गए ? कैसे वायु प्रदूषण से बचा जा सकेगा?

कहा जाता है कि वृक्ष हमारे पर्यावरण को साफ रखने में हमारी मदद करते हैं और जब वृक्ष करोड़ों की संख्या में लगाए जाते हैं, तो करोड़ों की संख्या में तैयार क्यों नहीं होते हैं ? यानि कहीं-ना-कहीं हमारी सरकारों में कमी है, जो उनकी देखभाल को अच्छे तरीके से नहीं कर पाती है।

केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों की सरकारों व लोगों को भी इसके प्रति सतर्क रहना पड़ेगा, क्योंकि जनसंख्या सभी जगह बढ़ रही है और जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ हमें उन बहुमूल्य वस्तुओं को ध्यान में रखना होगा, जिनके सहारे हम हैं अर्थात हम नागरिकों को भी स्वयं अपने घर के आस-पास तथा पार्कों  में वृक्षों को लगाना होगा, साथ ही तथा उनकी देखभाल भी एक बालक की तरह करनी होगी।

वहीं, प्रत्येक राज्य की सरकारों को इस समस्या से बचने के लिए पहले से ही कुछ ऐसे समुचित नियम व कानून बनाने होंगे तथा उनका कड़ाई से पालन करने के लिए और  कराने के लिए भी तैयार रहना होगा।

जैसे:- इलेक्ट्रिक वाहनों को डीज़ल व पेट्रोल वाहनों की अपेक्षा अधिक बढ़ावा दिया जाए, प्रत्येक कारखाने की चिमनी से निकलने वाले धुएं को एयर फिल्टर संयंत्र से होकर ही गुज़ारा जाए तथा अधिकाधिक प्रदूषण उत्पन्न करने वाले संयंत्रों पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया जाए, जिससे कि हम लोगों को भी ऐसे दिनों को देखने के लिए मजबूर ना होना पड़े जैसे आज दिल्लीवासियों को देखना पड़ रहे हैं।

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