Site icon Youth Ki Awaaz

संस्मरण : लता दी के लिए एक खुला खत

संस्मरण : लता दी के लिए एक खुला खत

खत लिखकर आपसे रूबरू हो रहा हूं। दिल में बहुत पीड़ा हो रही। आपका प्यारा चेहरा याद आ रहा। जीवन रहे आपसे मिलने का कभी सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ जब तक जिंदा रहीं आपका महफिल में जलवा कायम रहा। आज जबकि आप यहां नहीं तो एक वीराना सा लगता है। हालांकि, आपकी गौरवशाली विरासत शान से चलती रहेगी।

आपकी फनकारी का एक मामूली तलबगार आपको याद करता है। आपको साक्षात देखने का ज़रिया हालांकि छूट गया है मगर गायकी के शानदार सफ़र में अब खोजा करता हूं। पुराने इंटरव्यू को देखकर मन नहीं माना इसलिए खत लिखकर आप तक अपनी भावनाएं पहुंचा रहा हूं।

क्या नहीं बाकी कहने को और ज़िन्दगी गुज़र रही है। मौसम के इम्तिहान में ज़िन्दगी का साथ सबको नसीब नहीं। आपके गीतों को सुनकर गर किसी को प्यार की भाषा समझ ना आए तो क्या कहेंगी। भरोसा कर रहा हूं कि परमेश्वर के यहां आपको बड़ा मकाम ज़रूर मिलेगा। वहां भी दीवानों की महफिल सजा करेगी।

यहां इस दुनिया में लोग आपको काफी मिस करे रहे हैं, करते रहेंगे, क्योंकि यह एक ऐसा खालीपन है जो शायद कभी नहीं भरेगा और जिन्होंने आपको देखा, वो जो नहीं देख पाए वो भी आपकी कमी महसूस करेंगे। अकेलापन व उदासी उनके हिस्से सबसे ज़्यादा आई जिन्हें फनकारों से इश्क होता है।

पूरे जहान की तकलीफ तो आपको मालूम ही होगी। इस तकलीफ से गुज़रना शाश्वत हकीकत सी बन गई है। तन्हा हुए लोगों की पीड़ा आपसे शेयर कर रहा हूं। बहुत से मामलों में तन्हा आदमी की ठीक तरह से पहचान भी नहीं हो पाती है। आप समझ सकती हैं कि ऐसे लोगों को क्या तकलीफें होती होंगी? ऊपर वाले के दरबार में बेसहारों की एक अर्जी लगा दें शायद उनकी तकलीफों की एवज में वहां आराम नसीब हो।

नाम गुम जाएगा चेहरा यह बदल जाएगा, मेरी आवाज़ ही पहचान है गर याद रहे वक्त के साथ चीज़ों का बदल जाना हकीकत है लेकिन बीते कई दशकों में फिल्म इंडस्ट्री में एक चीज़ जो नहीं बदली थी, वो आप थी। आपका एक महान कैरिय रहा। एक्टिंग से अपने सफर की शुरूआत करके गायकी में आपने ज़बरदस्त शोहरत हासिल की। 

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के अपने दौर के सबसे काबिल गायकों के साथ आपके युगल गीतों का आज भी कोई सानी नहीं है। कुंदन लाल सहगल से लेकर मो.रफी एवम युवा दिलों की धड़कन किशोर दा के साथ कभी ना भूलने वाले गीतों को आपने अपनी आवाज़ दी। आपने 30 हज़ार के करीब गीतों को आवाज़ देकर कभी ना मिटने वाला इतिहास रचा है।

एक से बढ़कर हसीन गाने जो आपकी मखमली आवाज़ की खुशबू के बगैर अधूरे होते। यह खासियत हिंदी फिल्म संगीत की विरासत को याद दिलाती रहेगी। अपने दौर की सबसे कमाल की धुन सजाने वाले संगीतकारों का आपको सानिध्य प्राप्त हुआ।

‘हजारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा!’ आप के जाने से उपजे बड़े खालीपन को आप ही की विरासत भर सकती है, क्योंकि आप की जगह कोई नहीं ले सकता लेकिन कामयाबी के इस मुकाम को पाना आपके लिए आसान नहीं रहा। बड़ी सफलता की राह आसान नहीं होती है।

लता जी को भी अपने सफर की शुरुआत में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस दौर में आप ने गायकी में कदम रखा, वहां उस समय शमशाद बेगम, नूरजहां, सुरैया जैसे कई नाम शीर्ष पर थे। ऐसे में नूरजहां जी के साथ आप की तुलना होना इज्ज़त की बात थी। आप ने उस वक्त से गाना शुरु किया जब फिल्मों के लिए अच्छे घरों की लड़कियां कम ही गाती थीं। 

मोटी आवाज़ों का चलन था, तब पतली आवाज़ कह कर रिजेक्शन पाने वाली आप ने इसी आवाज़ के दम पर ‘दादा साहेब फाल्के’ से लेकर ‘भारत रत्न’ तक का एक अद्भुत सफर तय किया। आज जबकि कोविड ने आपको हमसे ले लिया। सारा वो आपका मंज़र हमारी आंखों के सामने से गुज़र रहा। आप बीमारी से जूझते मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में बसंत पंचमी के दूसरे दिन आप हमसे रूठ गई।

आप जिस दुनिया में चली गईं, वहां से गर कोई संदेश आता तो मन को सुकून होता। आपको मालूम हो कि आपके जाने के बाद चीज़ें कितनी बदल जाएंगी। शहर काफी बदल जाएगा। क्या बताऊं, क्या नहीं कुछ समझ में नहीं आ रहा है। आप के दर्ज़े की फनकार की कमी एक शाश्वत सच की तरह लिपट गई है। संगीत के महफिल के दीवाने अब उस आवाज़ को ढूंढा करेंगे। दुनिया में अबके दिन और रातों के वक्त को जीना हम जैसे कद्रदानों के लिए मुश्किल हो गया है।

कभी यह गुज़र जाता, कभी इंतज़ार बन जाता है। कभी उम्र हो जाती, ज़िन्दगी के सफर में कभी महफिल में तो कभी तन्हा जीना है। महफिलें जो आप ने कभी सुरों से सजाईं थीं, अब कोई और भी वहां आएगा, क्योंकि यह तो एक सिलसिला सा है लेकिन आपके लिए महफिल हमेशा गम करेगी।

सुरों की ख्वाहिश आपकी ख्वाहिश बन चुकी थी। आज जबकि रोज़ एक नाम गायकी से निकल कर आ रहा है और पुराने लोग पीछे छूट रहे हैं मगर ज़माना शायद यह नहीं जानता कि कुछ लोगों का कोई सानी नहीं होता। गीत संगीत की महान विरासत के प्रशंसक इस बात को समझते हैं।

वो अपने पुरखों की विरासत का सम्मान करते हैं, क्योंकि ज़िन्दगी समझते हैं। एक प्यार का नगमा, ज़िन्दगी और कुछ नहीं तेरी मेरी कहानी है इस गीत ने मुझे और मुझ जैसे कितने लोगों को जीवन का अर्थ समझ दिया है। आज जबकि आपका चेहरा जबकि दूर क्षितिज पर ओझल हो रहा है ऐस लगता है मानो कि आज जीवन में संध्या हो गई है।

Exit mobile version