कुछ साल पहले माँ-पापा के दामन में इक प्यारी सी कली खिली थी,
जो मम्मा-पापा की बहुत सारी मन्नतों के बाद मिली थी.
वो ना हर छोटी-छोटी बात पर मुझसे झगड़ती थी,
खुद की गलती होने पर भी मुझपर बिगड़ती थी.
रिमोट के लिए हमारे बीच पंगा हो जाता था,
और उसके रो लेने पर घर में दंगा हो जाता था.
उसके रो लेने भर से मैं पिघल जाता था,
उसके बात ना करने पर मचल जाता था
इक दिन वो पगली पढ़ने हमसे दूर चली गई,
कोई मंदसौर नाम के पराये शहर चली गई
वो बहुत भोली और मासूम बच्ची थी यार,
माना अभी छोटी थी पर दिल से बहुत अच्छी थी यार
दो दिन पहले उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था,
सच बोलूं मैं मन ही मन में बहुत घबरा रहा था
फिर कुछ देर बाद इक भयानक खबर फैल रही थी,
मेरी बहन मेरी लाडो कुछ देर पहले हवस का ज़हर झेल रही थी
उसका बदन मिला था किसी को चलती राह में,
तन पर कोई कपड़ा या चिथड़ा तक नहीं था बाह में
जैसे मेरे मम्मा-पापा की दुनिया वहीं ठहर गई थी,
उनकी बिटिया तो पढ़ने दूसरे शहर गई थी
वो तो बच्ची थी फिर कैसे उसका ये हाल हो गया,
मेरे घर का आंगन उस एक पल में बेहाल हो गया
दर्द का वो चरम पल उसने जाने कैसे झेला होगा,
उस बिचारी का मन इस भरी दुनिया में कितना अकेला होगा.
कितनी चीखी होगी वो कितनी रोई होगी,
उस हैवान की आत्मा आखिर कैसे सोई होगी.
मेरे घरवाले उसके बाद एक पल को भी सोये नहीं हैं,
माँ के आंसू सुख गए हैं, पापा अभी तक रोये नहीं हैं
आज मेरी बहन हमे छोड़ कर हमेशा के लिए हमसे दूर चली गई है,
मैं आखिर बेटी क्यों बनी ये सवाल छोड़ बदस्तूर गई है.
आखिर कब तक मेरी बहने यूं ही वासना की आग में जलती रहेगी,
और आदमी की हवस उनकी इज़्जत को यूं ही निगलती रहेगी.
तेरे भाई के होते हुए भी तू किसी रोज़ फिर हवस की इसी आग जल जाएगी,
माफ करना बहन हम तेरे भाई होकर आज शर्मिंदा है,
तेरा नरभक्षी सा हत्यारा अब तलक भी जिंदा है.