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स्कूल है, स्टूडेंट्स हैं लेकिन टीचर ही नहीं हैं

राजस्थान के सुदूरवर्ती इलाकों में शिक्षा को लेकर बहुत सी समस्याएं हैं, जिसका प्रभाव इन बच्चों पर पड़ता है। जिसमें पारिवारिक समस्या हो, गाँव में स्कूल या मा-बाड़ी केंद्र ना होने की समस्या हो और विद्यालय में अध्यापकों की कमी होने के कारण यह समस्याएं बच्चों को और उनके परिवार को भुगतनी पड़ती हैं।

उदयपुर का आदिवासी समुदाय

उदयपुर जिले के कोटडा तहसील में आदिवासी समुदाय है। यहां विद्यालय में अध्यापक की कमी होने से भी बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ता है। अध्यापक की कमी से हर बच्चा पूरी तरह पढ़ पा रहा है या समझ पा रहा है, यह समझना एक अध्यापक के लिए आसान नहीं है।

सरकारी जानकारी के अनुसार 350 विद्यालय कोटडा क्षेत्र में कार्यरत है, जिनमें कुल नामांकित 45406 विद्यार्थी है। इन विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए 1909 अध्यापक के स्वीकृत पद में से 1039 अध्यापक वर्तमान में कार्यरत हैं और 870 पद आज भी रिक्त हैं। इन अध्यापक का कोटडा में ना रहना या यहां से अपना स्थानान्तरण करवाना ये बातें होती हैं, इसका कारण अध्यापकों को मिलने वाली सुविधाएं हैं। तहसील में रहकर जंगल के इलाकों में आना जाना इसके लिए उनके पास साधन की कमी है।

शिक्षक आवास में 1900 अध्यापक रहने के लिए क्षमता नहीं है। अगर यह क्षमता बढ़ जाए और अध्यापक के आने जाने के लिए सरकरी साधन मिले तो अध्यापक यहां रुक सकते हैं।  

अध्यापकों की समस्या बहुत ज़्यादा

कोटडा में अध्यापक बढ़ाना बहुत ज़रुरी है, क्योंकि स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या ज़्यादा हो और अध्यापक की कमी हो तो, विद्यार्थियों के पढ़ाई पर असर पड़ने लगता है। एक अध्यापक को कभी अवकाश पर जाना हो तो विद्यालय में उस दिन कोई नहीं होता, जिसकी वजह से विद्यार्थियों को पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं रहती है।

इसी कारण वे स्कूल आना बंद कर देते हैं, घर रहकर घर के काम में मदद करते हुए मज़दूरी करना शुरू कर देते हैं, उसके बाद पढ़ना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। 

29 गाँव में ना स्कूल ना आंगनबाड़ी

शिक्षा के मुद्दे पर जानकारी पूछताछ के समय मेरी कोटडा के खंड शिक्षा अधिकारी, सी. पि. जैसवाल जी से बात हुई तो उनसे कोटडा के 29 गाँव में स्कुल और मा-बाड़ी केंद्र ना होने के मुद्दे पर हमारी बात हुई इन 29 गाँव में कुछ गाँव ऐसे हैं, जिसमें 2 घर या 6 घर का ही एक गाँव है।

यहां बच्चे भी कम हैं इसीलिए इन बच्चो के लिए विद्यालय शुरू करने के अलावा इन्हें आस-पास के स्कूल में नामांकित किया गया और बाकी गाँव में जहां विद्यालय नहीं हैं, वहां विद्यालय शुरू करने हेतु सरकार को प्रस्ताव दिया गया है, यह उन्होंने जवाब दिया।    

इसी तरह कोटडा खंड के विकास अधिकारी धनपत जी से शिक्षा के समस्याओं पर कुछ सवाल पूछे गए।  

  1. सरकारी अहवाल के अनुसार 870 अध्यापक के पद रिक्त है इसका क्या कारण है?
  1. 599 अध्यापक के रिक्त पद अभी भी रिक्त हैं, इसके लिए क्या हम कोई काम कर रहे हैं?
  1. क्या हर शनिवार पहाड़ी इलाकों के विद्यालय को अधिकारिक अवकाश दिया जाता है?

शनिवार को विद्यालयों में ताले क्यों?

  1. शनिवार के दिन हमने कुछ विद्यालय विजिट किए तब हमने देखा वहा ताले चढ़े हुए थे इसका क्या कारन था?
  1. कोटडा के 25 पंचायतों में से 29 गाँवों में एक भी विद्यालय नही है इसका क्या कारण है?

धनपत जी और सीपी जैसवाल जी से संवाद करके यह बात पता चली कि बहुत सारी विद्यालयों में आज भी समस्या है। मगर इन समस्याओं का हल शासन स्तर पर ढूंढा जा रहा है। यह आश्वासक है मगर आदिवासी भाग के विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा मिलने के लिए और भी प्रयास करना वक्त की मांग है। 

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