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हिन्दी में बढ़िया आर्टिकल लिखने के 5 बेहतरीन टिप्स

how to write a good article in hindi

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आज के डिजिटल युग में उन राइटर्स की मांग काफी अधिक बढ़ गई है, जो कम समय में बढ़िया आर्टिकल्स लिखते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि राइटिंग के लिए बहुत वक्त चाहिए। लंबी रिसर्च के बाद शांत वातावरण में बैठकर ही बढ़िया कंटेंट लिखा जा सकता है। यह बात सही है लेकिन आपका स्मार्ट वर्क आपको एक क्विक राइटर बना सकता है। आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे बढ़िया आर्टिकल लिखने के 5 टिप्स के बारे में (Tips To Write A Good Article.), ताकि आप बन पाएं एक क्विक राइटर।

ध्यान रहे कि आपको कुछ भी कंटेंट क्रिएट नहीं करना है। आपका कंटेंट इतना पावरफुल हो कि आने वाले दिनों में लोग उसे रिसर्च मटेरियल के तौर पर प्रयोग करें। डिजिटल स्पेस में तमाम कंटेंट के बीच वही कंटेंट उम्दा साबित हो पाते हैं, जो ना सिर्फ अच्छे से लिखे गए हों बल्कि उसमें नई बहस शुरू करने के लिए कुछ ना कुछ यूनिक चीज़ हो।

कुछ आइडियाज़ तैयार रखें

सबसे पहले तो यह स्पष्ट हो कि आपको लिखना किस टॉपिक (Writing Topics) पर है? जब ये क्लियर है तो समझ लीजिए अब आपका काम उतना मुश्किल नहीं है। आइडियाज़ कभी भी आ सकते हैं। ज़रूरी नहीं है कि जब आप लिखने बैठें तभी आपको सोचना शुरू करना है। हममें से बहुत से लोग आर्टिकल लिखने से कुछ रोज़ पहले से ही वॉक पर जाते हुए या कभी भी खाली समय में सोचते हैं कि आर्टिकल को बढ़िया कैसे बनाया जाए और इसी क्रम में जब कोई आइडिया आए तो आपको उसे लिख लेना है।

इससे फायदा यह होगा कि आर्टिकल लिखते वक्त आपको पता होगा किस पॉइंट के बाद आपको किस चीज़ पर बात करनी है और ये बेहद ज़रूरी है। यदि हम आइडियाज़ को तैयार नहीं रखेंगे तो संभावनाएं हैं कि आधा लिखकर ही कई दफा हम छोड़ दें आर्टिकल। ऐसा होता भी है और फिर वो ठंडे बस्ते में चला जाता है।

बाधाओं से दूरी बनाएं

पहली ज़रूरी शर्त ये कि आर्टिकल लिखते समय मल्टी टास्किंग यानि कि एक साथ बहुत सारा काम ना करें। कुछ राइटर्स की आदत होती है कि आर्टिकल भी लिख रहे हैं, बीच में उठ-उठकर कुकिंग भी कर ले रहे हैं या कोई और काम है तो वो भी कर ले रहे हैं। इसे बहुत लोग टाइम मैनेजमेंट का नाम दे सकते हैं मगर इससे परेशानी ये होगी कि आपको लगेगा आप अच्छा लिख रहे हैं मगर आप सिर्फ खानापूर्ति कर रहे होंगे। इसलिए कम-से-कम आर्टिकल लिखते वक्त सिर्फ एक ही काम करें यानि कि जब तक राइटिंग कंप्लीट ना हो जाए कुछ और ना करें। इससे आपकी राइटिंग की क्वालिटी पर असर नहीं पड़ेगा।

कई बार बाधाएं हमारे स्वयं के दिमाग में भी चल रही होती हैं। हम ठीक से सोच नहीं पाते हैं। तो ये तभी संभव है जब आप सब्जेक्ट मैटर को लेकर कॉन्फिडेंट हैं और जितना अधिक आप पढ़ेंगे सब्जेक्ट मैटर पर उतना अधिक आत्मविश्वास आएगा आपमें।

राइटिंग को सिंपल रखें

आप जितना ज़्यादा अपनी राइटिंग को सिंपल रखिएगा पाठक उतना ही अधिक आपसे जुड़ेंगे। कई लोग सोचते हैं कि आर्टिकल में भारी भरकम शब्दों का प्रयोग करने से पाठकों के बीच अच्छा प्रभाव पड़ेगा मगर सोचिए आपने जो लिखा है अगर पाठक उसे पढ़कर समझ ही ना पाए, तो लिखने का क्या फायदा? आप किसके लिए लिख रहे हैं? पाठकों के लिए ही ना!

कई दफा खासकर डिजिटल स्पेस में आपके आर्टिकल को इसलिए भी पढ़ा जाता है, क्योंकि लोगों को हिन्दी में बहुत सारे विषयों पर पर्याप्त अध्ययन सामग्रियां नहीं मिलती हैं। वे चाहते हैं कि आपका आर्टिकल उन्हें किसी खास इशू को समझने में मदद करे लेकिन सोचिए अगर उनकी मदद करने के बजाए आपका आर्टिकल उनका काम बढ़ाने लगे तो क्या फायदा? इसलिए सिंपल रखिए ताकि आपका आर्टिकल सब्जेक्ट मैटर पर लोगों के सवालों को हल करे।

लिखने के बाद आर्टिकल को एडिट ज़रूर करें

होता यह है दोस्तों कि भावनाएं कई दफा हमारे काम को बिगाड़ने का काम करती हैं। मैं आपको उदाहरण देता हूं। मैंने कई ऐसे राइटर्स को देखा है जिन्हें अच्छा तब लगता है जब उनका आर्टिकल 2000-5000 शब्दों के बीच हो। उन्हें लगता है कि लोग समझेंगे इसने मेहनत बहुत की है और बड़ा आर्टिकल है तो अच्छा ही लिखा होगा लेकिन ज़रूरी है कि हमें इस गफलत से बाहर निकलना होगा।

आप एक अच्छे राइटर तभी हैं जब आप एक अच्छे एडिटर हैं। इस बात को नोट करके रख लीजिए। आपको आर्टिकल लिखने के बाद उसे पढ़ना है जिसे कहते हैं ‘प्रूफ रीडिंग’। इसका मतलब यह नहीं है कि इसमें आपको सिर्फ मात्रात्मक गलतियां ही ठीक करनी हैं। आपको अपने आर्टिकल्स के पैराग्राफ्स को बार-बार पढ़ने की ज़रूरत है और जहां पर लगे कि इस लाइन को हटा देने या छोटा कर देने से कोई दिक्कत नहीं है, तो बेझिझक आप फैसला लीजिए।

टाइमर सेट करना ना भूलें

ये बात थोड़ी अजीब लग सकती है कि अरे टाइमर सेट करने से तो लगेगा कि हमारे सामने कोई खड़ा है और हमें एक दबाव में लिखना पड़ा रहा है। दोस्तों, डेडलाइन बहुत ज़रूरी चीज़ है! चाहे आप फ्रीलांस ही क्यों ना लिख रहे हों। टाइमर सेट रहने पर आपको यह पता चलेगा कि एक आर्टिकल लिखने में आपको कितना वक्त लग रहा है और यदि किसी भी समय लगे कि अधिक वक्त लग रहा है तो आप थोड़ी जल्दी सोचकर टाइम को बचा सकते हैं।

एक चीज़ आप नोटिस कीजिएगा कि जब आपने टाइमर सेट कर दिया तो जल्दी आपका दिमाग आसपास की चीज़ों में आपके ध्यान को आकर्षित नहीं होने देगा। इसलिए चाहे आपके पास स्मार्ट वॉच हो, मोबाइल हो या कोई डिवाइस तो उसमें ज़रूर टाइमर सेट करें। वॉक करते समय बहुत लोग टाइमर सेट करते हैं, क्योंकि वे हेल्थ को लेकर फिक्रमंद रहते हैं। तो ज़रूरी है कि राइटिंग के दौरान खर्च होने वाले आपके समय को लेकर भी आप उतने ही फिक्रमंद रहें।

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