Site icon Youth Ki Awaaz

कन्यादान के नाम पर पॉलिसी बेचने वाली कंपनियों सुनो, मैं दहेज नहीं लूँगा!

आज भारत में जाने कितनी ही कंपनियां हैं जो हमें किसी दुर्घटना हो जाने पर, आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए पॉलिसी करवाती है और ऐसी स्थिति में हमारी मदद करती है। कुछ दिन पहले मैंने अपने शहर के सब्ज़ी मार्केट में एक विज्ञापन देखा कि ‘21 लाख अपनी बेटियों के कन्यादान के लिए’। फिर दिमाग घूम उठा कि ऐसा क्यों और किस लिए? पर दिमाग असल में थोड़ा अलग तरीके से घूमा था कि कन्यादान में 21 लाख की ज़रूरत तो नहीं होती। हमारे यहाँ तो लगता है एक मौली धागा, आटे की लोई, एक लोटा और जब तक पंडित का मंत्र खत्म न हो जाए, तब तक भाई के द्वारा ऊपर से डाला जाने वाला पानी। मगर इतने के लिए 21 लाख तो हरगिज़ नहीं लगते।

हाँ, फिर समझ आया कि भाई ये कन्यादान के नाम पर दी जाने वाली राशि यानि दहेज की बात हो रही है। दिमाग में चलने लगा कि एक तरफ दहेज को समाज ने सामाजिक बुराई घोषित किया हुआ है और दूसरी तरफ उसके लिए बीमा बेचा जा रहा है।

शिक्षा के बदले दहेज सुरक्षा कवच कैसे?

मगर वाह मेरे देश के वीरों। इसे भी इतने अच्छे तरीके से पेश किए हैं कि आज के युग का बाप भी आने वाले 20 वर्ष के बाद भी अपनी बिटिया के लिए शिक्षा नहीं बल्कि दहेज के लिए पॉलिसी करवाने का सोचेगा। दहेज के नाम पर आज भी मैंने देखा है कि अपने ही आस-पास कितने माता-पिता को लोन लेना पड़ता है। कई बार जीवन के अंतिम चरण में भी उस लोन को चुकाते-चुकाते ही वे मार जाते हैं। कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपने जीवन की सारी जमापूँजी बेटी के दहेज के लिए बचाई न कि बेटी के पढ़ाई के लिए। फिर वहीं आते हैं वो लोग जो अपनी छवि बनाए रखने के लिए दहेज जैसी इस कुप्रथा का समर्थन करते हैं और अपनी शान बनाने के लिए बेटी को दहेज़ देते हैं और इस सामाजिक बुराई को और सम्मान का विषय बना देते हैं । जाने कहाँ से आते हैं ये लोग जिनको बेटी की ख़ुशी के लिए दहेज उसका सुरक्षा कवच लगता है न कि उनकी शिक्षा।

पिछड़े माने जाने वाले आदिवासियों के रस्मों-रिवाज हैं बेहतर

कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें हम आदिवासी या ‘सो कॉल्ड अंसीवीलाइस्ड कहते हैं, पर जब आप उनकी विवाह की प्रथाएँ देखेंगे तो वहां दहेज जैसा कुछ नहीं नज़र आता। विवाह में कई जनजातियों में तो धन वधू के परिवार को दिया जाता है।

एक नसीहत लड़कों के लिए भी

यह तो विज्ञापन था। पर असल में एलआईसी का, योजना क्या है ये तो नहीं पता। पर बेटी के दहेज के लिए पॉलिसी मुझे तो सीधे-सीधे तौर पर दहेज प्रथा को बढ़ावा देने वाली लगी। अब सीधी सी बात है लड़कों दहेज के खिलाफ जाओ और थोड़ा अपने दम पर सारी चीज़ें लो यार। मुझे तो विवाह में दहेज पूरी तरह से गलत लगता है। यह ऐसी पॉलिसी है जो बेटियों के दहेज को बढ़ावा देने वाली लगती है। तो इस बात को कहने की और बार-बार कहने की ज़रूरत है कि मैं दहेज नहीं लूँगा!

Exit mobile version