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जिगर के छल्लों माई डियर लड़कियों सुनों….

जिगर के छल्लों माई डियर लड़कियों सुनों तुम्हें हर जगह कही न कही कई नामों से पुकारा जाता है जैसे बबुनी, बच्चिया, लइकी, छौड़ी, बाची,पटाखा, फुलझड़ी, टोटा, बाबू,सोना, Etc.. 
ई जो आज हम लिख रहे है न ई ख़ास तुम्हारे लिए हैं काहे सी कि तुम न सबसे ख़ास हो अउर ई बात हमेशा याद रखना। ई सारी दुनिया, ई हमारा समाज, ई सब तुम से ही हैं, तुम न कोई सेकंडरी चीज़ नहीं हो बे और न ही तुम कउनो से कउनो भी मायने में कम ही हो। मालूम है न तुमको समाज बोले तो नौटंकी है बस, सब तुम्ही से बनना है और तुम ही से बिगड़ना, 
पता यार ई दूसरों के मुताबिक़ बहुत ज़िन्दगी जी ली अब अपने लिए भी तो जीना सीखो।

बचपन से लेकर अब तक हर बात पर तुम्हें एडजेस्ट करने के लिए बोला जाता होगा और तुम भी अपना मन मार कर धड़ा धड़ एडजस्टमेंट में लग जाती होगी।। “पता है इसमें तुम्हारी राई बराबर भी गलती नहीं है”, 

लड़कियों को तो पहले से ही जुगाड़ू और किसी न किसी तरह काम चलाने का सर्टिफिकेट दे ही दिया जाता है। और मालूम तुम पैदा हुए नहीं की छप्पन तरह की जिम्मेदारियां आ जाती हैं तुम पर लेकिन पता है काहे ? 
“काहे की भरोसा और विश्वास का दूसरा रूप हो तुम”
कुछ लोगों को तो पता भी नहीं कि ई सीने में कितना दर्द छुपाती हो तुम। घर, परिवार, रिश्तेदार, दोस्त और प्रेमी ( अगर हो तो) सब के लिए समय निकालती हो तुम । न जाने इस दुनिया के कितने दर्द को यूं ही मुस्कुराते हुए झेल जाती हो तुम। कितनी गहराई होती है तुम्हारे अंदर कोई अंदाजा भी नहीं लगा पाता…. 
“हर एक रिश्ता कितनी खूबसूरती से निभाती हो तुम”
कहीं कोई अनहोनी हो जाए, जब सब रो रहे होते हैं और उन्हें किसी की जरूरत होती है सम्भलने के लिए, उस समय भी खुद को संभालने के बाद उन्हें सम्भालती हो तुम।।
दोस्ती यारी में भी अव्वल हो तुम,अपना सब कुछ हार कर भी दोस्त को जिताती हो तुम।
जब कोई नहीं देता है साथ, घर वाले भी मार देते हैं लात, उस परिस्थितियों से भी निकल आती हो यार तुम एक मजबूत स्तंभ बनकर।। 
लोग कितनी आसानी से कह देते हैं कि तुम चरित्रहीन हो, और तुम उसे भी एक पल में भुला देती हो “जैसे की रात गई और बात गई “।।खुद दर्द में होती हो, पछत्तर घाव होते हैं सीने में फिर भी उन सभी घावों को इग्नोर कर हंसते हुए लग जाती हो अपनी दिनचर्या में।। 
दुनिया भर की परेशानियों को दिल में संजोये हुए, छप्पन तरह की जिम्मेदारियों का बोझ लादे हुए, सिगरेट के कश में सुकून ढूंढ लेती हो, अबे यार तुम कमाल हो बे कमाल,कमाल तो कम बवाल हो बे तुम।। 
और हां ई तो हम डिसकस करना ही भूल गए, इस समय जमाना थोड़ा सा खराब चल रहा है। घबराइयेगा नहीं हम हैं,अभी तो बस तुम्हे तुम्हारा ही बोध करवा रहे थे थोड़ा सा की तुम बवाल हो, 
और हाँ कत्तई परेशान मत होना काहे कि 
“तुम ही ई समाज हो और तुम ही इसका भविष्य”
बाकी बहुत बड़ा हुआ जा रहा है और हम पर बड़ा लिखने का आरोप भी है तो और बड़ा नहीं कर सकते। 

ख़ैर चलो हम जल्दी ही फिर से मिलते हैं लड़कियों !! विभा पाठक

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