वर्षों पुरानी एक कहानी सुनी थी सिद्धार्थ और हंस की। सभी ने खूब पढ़ी भी होगी। लेकिन आज के परिदृश्य में हम सभी ने जीवंत कहानी को सुना ही नहीं बल्कि देखा भी है। इस कहानी में एक पक्षी और एक इंसान है। लेकिन जब इंसानियत के बीच राजनीति का एंट्री हो जाये तो इंसानियत किसी काम की नहीं रह जाती। दरअसल, यूपी में अमेठी के रहने वाले मो. आरिफ और सारस की दोस्ती का नगमा इस तरह वायरल हुआ कि रातों रात में मो. आरिफ सोशल मीडिया के ताज बन गये। लेकिन ताज बनते ही उनके ऊपर इस तरह से गिरी गाज कि सिद्धार्थ और हंस की कहानी को एक बार फिर से जीवंत कर दिया।
एक सारस किसी अंजान व्यक्ति के पास जा गिरता है। जब सारस गिरा तब वो किसी तरह से वहां तक पहुंचा था। वहीं पर मौजूद मो. आरिफ नाम के शख्स ने उस सारस को उठा लिया और घर ले गया। घर लाते समय उस सारस को थोड़ी घबराहट भी हुई कि अब मेरा क्या होगा, लेकिन उस सारस पक्षी का मो. आरिफ ने इस तरह से इलाज किया कि वो सारस मो. आरिफ का शरीर का अभिन्न हिस्सा हो गया। धीरे-धीरे मो. आरिफ और सारस की दोस्ती का वीडियो सोशल मीडिया पर तब वायरल होती है। जब उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मो. आरिफ और सारस से मिलते हैं, वीडियो वायरल होने के बाद राजनीति गरमा जाती है और देखते ही देखते एक आदेश के बाद सारस पक्षी को मो. आरिफ से छीन लिया जाता है। इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाती है और जवाब तलब करने के लिए कहा जाता है। स्पष्टीकरण के बाद मो. आरिफ घर आ जाता है और सारस को एक चिड़ियाघर भेज दिया जाता है। यहीं से दोनों की दोस्ती में दरार आ जाती है।
क्या कहता है हमारा कानून
सोशल मीडिया पर आरिफ और सारस की दोस्ती की कहानी की बाढ़ आ जाती है। हर तरफ दोनों की दोस्ती का बखान होने लगता है, और लोग खुलकर राजनीति को कोसने लगते हैं। लोग कहते हैं कि अगर आरिफ और सारस के बीच राजनीति की एंट्री न होती तो आज भी सारस और आरिफ की दोस्ती बरकरार रहती। लेकिन अब बात करते हैं कानून की। वन्य जीव संरक्षण अधिनियनम 1972 के तहत धारा 02, 09, 29, 51 और 52 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
आप कुत्ता, बिल्ली, गाय, बकरी, भेड़ और खरगोश को पाल सकते हैं। आप तोता, मोर, बतख, मुर्गा, तीतर,उल्लू, बाज, ऊंट, बंदर, हाथी, सफेद चूहा, सांप, मछली, कछुआ, बारहसिंघा, रीछ, भालू और हिरन को नहीं पाल सकते हैं। फिलहाल, पक्षियों और जानवरों को पालने से पहले बाकायदा लाइसेंस की जरूरत होती है जो स्थानीय नगर निगम या नगर पालिका जारी करता है।