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नालंदा लोक सभा का जातीये गणित एंव इतिहास।

नालंदा ज़िला जो पहले पटना का हिस्सा था 1972 पटना ज़िले का विभाजन हुआ उसके बाद नालंदा ज़िला बना जिसका मुख्यालय बिहार शरीफ है। इसी नालंदा में अभी एक लोक सभा है क्षेत्र है नालंदा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र। नालंदा लोकसभा से एक से एक नेता चुन कर सांसद बने। नालंदा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार 1952 में कैलाश पति सिन्हा पहले सांसद निर्वाचित हुए। 1962, 67 तथा 71 के चुनाव में सिद्धेश्वर प्रसाद सांसद बने जो बाद में राज्यपाल भी बने। इस सीट से CPI के विजय कुमार यादव तीन बार सांसद निर्वाचित हुए। प्रखर समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस नालंदा से तीन बार सांसद निर्वाचित हुए केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री रहे। बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नालंदा से निर्वाचित होकर लोकसभा पहुँचे। पिछले तीन चुनाव से जदयू के कौशलेन्द्र कुमार नालंदा से सांसद हैं।

नालंदा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुर्मी वोटों का दबदबा रहा है इसी के वजह से नालंदा को जदयू का सबसे मज़बूत गड़ माना जाता है। 2019 लोक सभा चुनाव में नालंदा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में 21 लाख मतदाता थे। नालंदा ही क्यों देश की राजनीति में जाति अहम रोल निभाती है। कहा जाता है कि रोटी, बेटी और वोट जाति वालों को दिया जाता है। इसी के मुताबिक चुनाव में सियासी बिसात बिछाई जाती है। नालंदा में भी यही देखने को मिलता है।

नालंदा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का जातीय गणित कुछ एसा है। सबसे ज्यादा कुर्मी वोटर हैं जिसकी संख्या 4 लाख 12 हजार है। इन्हें परंपरागत तौर पर जदयू का वोटर माना जाता है। दूसरे नंबर पर यादव वोटर हैं। करीब 3 लाख 8 हजार यादव वोटर हैं। तीसरे नंबर पर मुस्लिम वोटर हैं 1 लाख 80 हजार हैं। मुसलमान वोटर जीत हार में अहम भूमिका निभाते हैं। बनिया वोटर करीब 1 लाख 60 हजार हैं। पासवान वोटर 1लाख 20 हजार हैं। कुशवाहा वोटर 1 लाख के क़रीब हैं। बेलदार वोटर 95 हज़ार हैं। बेलदार तथा कुशवाह वोटर को परंपरागत तौर पर जदयू का वोटर माना जाता है। राजपूत वोटर के संख्या 90 हज़ार के क़रीब हैं।

भूमिहार, कायस्थ और ब्राह्मण ये तीनों बीजेपी के वोट बैंक माने जाते हैं। ये तीनों मिलाकर करीब डेढ़ लाख वोटर हैं. जिसमें भूमिहार वोटरों की संख्या लगभग 95 हजार है. जबकि बाकी में कायस्थ और ब्राह्मण हैं।

नालंदा लोकसभा सीट पर कहार वोटरों की संख्या करीब 75 हजार है। जबकि 65 हजार मांझी और 95 हजार पासी चौधरी हैं। जबकि रविदास वोटरों की संख्या करीब 90 हजार है. यानि अगर इन चारों को मिला दें तो करीब 3 लाख 15 हजार वोटर हो जाते हैं। इसके अलावा माहुरी 25 हजार, कानू और दूसरी जाति के वोटर हैं। यानि आने वाले दिनों में नालंदा में काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। क्योंकि INDIA गठबंधन में (RJD-INC-CPI-CPIM-CPIML) है तो वहीं NDA गठबंधन में (JDU-BJP-RLM-LJPR-HAMS) हैं लड़ाई INDIA बनाम NDA है। अब तक के नतीजों में यहाँ किसी तीसरे मोर्चे या निर्दलीय का यहाँ कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ता है।

✍️ ज़ैन शाहब उस्मानी

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