{"id":423045,"date":"2019-03-22T18:49:38","date_gmt":"2019-03-22T13:19:38","guid":{"rendered":"https:\/\/www.youthkiawaaz.com\/2019\/03\/%e0%a4%b2%e0%a5%8b%e0%a4%95%e0%a4%a4%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%9a%e0%a5%8c%e0%a4%a5%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%ae%e0%a5%8d%e0%a4%ad-%e0%a4%b9\/"},"modified":"2024-04-24T16:47:48","modified_gmt":"2024-04-24T11:17:48","slug":"role-of-media-to-highlight-the-basic-issues-of-the-public-hindi-article","status":"publish","type":"post","link":"https:\/\/www.youthkiawaaz.com\/2019\/03\/role-of-media-to-highlight-the-basic-issues-of-the-public-hindi-article\/","title":{"rendered":"“\u091c\u0928\u0924\u093e \u092e\u0947\u0902 \u092a\u0928\u092a \u0930\u0939\u0947 \u0905\u0938\u0902\u0924\u094b\u0937 \u0915\u094b \u0928\u094d\u092f\u0942\u091c\u093c \u0921\u093f\u092c\u0947\u091f\u094d\u0938 \u0938\u0947 \u0915\u094d\u092f\u094b\u0902 \u0917\u093e\u092f\u092c \u0915\u093f\u092f\u093e \u091c\u093e \u0930\u0939\u093e \u0939\u0948?”"},"content":{"rendered":"
जब सत्ता के गलियारे में सवाल पहुंचने से पहले ही अपना दम तोड़ दे या फिर व्यापक संचार तंत्र में वह किसी अजनबी चेहरे की तरह अपनी गुमशुदा वजूद की तलाश करता नज़र आए, तब निरंकुशता के बादल जम्हूरियत के फलक पर स्वतः मंडराते हुए आवाम के लिए किसी तूफानी विभीषिका के सूचक बन जाते हैं।<\/p>
इसकी गर्जन किसी भी प्रतिरोध की आवाज़ को अपने शोर में दबा कर खत्म कर सकती है। लोकतंत्र में सत्ता की जवाबदेही की गैर-मौजूदगी, लोकतंत्र के पतन और तानाशाही के उदय के लिए सबसे माकूल परिस्थितियों का सृजन करती हैं।<\/p>
दुष्यंत ने लिखा है, “तेरा निज़ाम है सिल दे ज़ुबान शायर की यह एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए।” पिछले कुछ वक्त से घटनाएं एक के बाद एक मुसलसल जिस ओर अपने कदम बढ़ा रही हैं या उनका संचालन हुकूमत द्वारा किया जा रहा है, उसके बाद शायद ही कोई शक की गुंज़ाइश किसी भी सचेत मन मे ज़रा भी शेष रह जाती है।<\/p>