By Khabar Lahariya:
इन दिनों शीना बोरा हत्याकांड की चर्चा खूब हो रही है। टी.वी चैनल, अखबारों और पत्रिकाओं में तरह तरह से इस कहानी को पेश किया जा रहा है। यह मामला मुंबई की एक लड़की शीना बोरा की हत्या का है। इसकी मां का नाम इंद्राणी मुखर्जी है। जो एक बड़े चैनल के मुखिया की पत्नी है। यह हत्या 2012 में हुई थी। मगर यह मामला हाल ही में खुला।
जांच के दौरान कई कडि़यां खुल रही हैं। हत्या में इंद्राणी मुखर्जी अभी केवल आरोपी है। लेकिन मीडिया इंद्राणी को दोषी करार दे चुका है। बहसें हो रही हैं, जिसमें टीवीवाले पूछते हैं कि क्या कोई मां अपनी बेटी की हत्या कर सकती है? दूसरा चैनल इंद्राणी के चरित्र पर सवाल उठाता है। पत्रकर चिल्लाते हैं, तीन पतियों से पूछताछ जारी ही थी कि चैथे पति के बारे में भी कुछ सुराग मिला है। आखिर शीना का बाप कौन है?
क्या मीडिया खबरों को एक चटपटी फिल्म की कहानी बनाने का हक रखता है? इस पूरे मामले में ऐसा लगा मानो मीडिया पुलिस और फिल्म बनाने वाले निर्देशक की भूमिका में आ गया है। मीडिया के लोग इंद्राणी के चरित्र का पोस्टमार्टम कर रहे हैं। अदालत का फैसला होने से पहले ही आरोपी को दोषी बना देना क्या मीडिया की भूमिका है?
This news has been republished from Khabar Lahariya as part of a collaboration with Youth Ki Awaaz.