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‘शादी की उम्र निकली जा रही है बेटी’ कहने वालों के नाम एक खत

डियर,

वो सभी लोग! जिन्हें लगता है कि शादी की एक उम्र (खासतौर से लड़कियों की) होती है और जिनके मुंह से कभी न कभी ‘तेरी उम्र हो गई है’ वाली बात निकली है, इनमें वो लड़कियां भी हैं जो अभी शादी वाली उम्र में नहीं आई हैं, लकी! पर कुछ टाइम के लिए। बहुत से वो लोग जिन्होंने दुनिया में सबके अच्छे बुरे का ठेका ले रखा है।

आज मैं आप सबसे शादी की उम्र को छूती और इसे पार कर चुकी (आपके हिसाब से) सभी लड़कियों की तरफ से बोलूंगी। आप गुस्से में पूछ सकते हैं कि मैंने क्या ठेका लिया है? हां! लिया है जैसे आपने लिया है दूसरे के अच्छे का, बिल्कुल वैसे ही।

सबसे पहले मैं आपसे ये पूछना चाहती हूं कि इंसान का जीवन क्या एक सीधी खींची हुई एक लकीर है जिसपर सबको कदमताल करना ज़रूरी है। बचपन में स्कूल जाओ फिर कॉलेज में कुछ साल तफरी करके दफ्तर को चले जाओ। दफ्तर के बाद शादी कर लो फिर बच्चे और उनकी ज़िम्मेदारी। सौभाग्य से अगर आप मर्द हुए तो दफ्तर में काम करो और अगर औरत हैं तो आपके पास दो विकल्प हैं या तो नौकरी छोड़ दें या फिर परिवार की ज़िम्मेदारी के साथ नौकरी करें। क्या इस खींची हुई लकीर पर चलना सबके लिए ज़रूरी है? अगर कोई इस लकीर से अलग सोचता है तो आप इसे आराम से पचा क्यों नहीं लेते?

ज़रूरी तो नहीं कि कोई आपके द्वारा निर्धारित शादी की उम्र तक अपने जीवन के मकसद तक पहुंच ही जाए। मकसद की बात लड़के-लड़कियों दोनों पर लागू होती है, पर लड़के के मकसद के बारे में तो फिर भी समाज में सुना होगा पर लड़कियों का तो मकसद ही आपने शादी बना दिया है। जिस लड़की को जितना अच्छा ससुराल मिल जाए वो उतनी कामयाब। अगर कोई लड़की मकसद वाली बात सोच ले तो ये बात तो आपके समझ से ही परे है। लड़की शादी नहीं कर रही है तो वो बेकार और नासमझ तो नहीं हो जाती है। वैसे भी आपकी बात को समझना और ना समझना ही तो किसी के समझदार और नासमझ होने का स्केल नहीं हो सकता है।

शादी ना करने की ये भी वजह हो सकती है कि उसे ऐसा इंसान नहीं मिला हो, जिसके साथ वो ज़िदगी भर रह पाये। उसका ऐसा इंसान ढूंढने का सफर लम्बा हो सकता है, उसे आप अपने तानों और बातों से और भारी मत बनाइये क्योंकि एक तो कोई जीवनसाथी के प्रश्न पर कंफ्यूज है और उस पर आपके ताने।

दुहाई तो छोटी बहनों की भी दी जाती है और कहा जाता है कि तुम्हारी वजह से छोटी बहनों की भी उम्र निकल रही है। कई लड़कियां तो छोटी बहनों की वजह से ही शादी कर लेती हैं। इसमें अगर किस्मत खराब और जल्दबाजी में गलत आदमी से शादी कर ली तो आप जैसे लोग ही गली के चौराहे पर खड़े होकर अफसोस में बड़ी-बड़ी चार बातें बनाएंगे।

आप लोग छोटी उम्र में लड़कियों की शादी की वकालत करते हुए कहते हैं कि छोटी उम्र की लड़कियां देखने में अच्छी लगती हैं। उनके चेहरे में एक मासूमियत होती हैं, जो बड़ी उम्र की लड़कियों में नहीं होती। जब कोई अच्छा लड़का और अच्छा घर (आपके अनुसार) होने के बावजूद एक लड़की अपने सपनों के लिए शादी से मना कर देती है तो उसकी दिमागी स्थिति खराब होने तक की बात कह दी जाती है। यह तो बड़ी अजीब बात है, आप दूसरे के जीवन पर अपना दिमाग मारें तो ठीक और दूसरा इंसान खुद के जीवन के बारे में सोचे (सही गलत कुछ भी सोचे) तो वो दिमागी तौर पर रिटायर?

आखिर में, मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती करने की जगह हाथ कमर पर रखकर पूरे गुस्से में कहना चाहती हूं कि प्लीज़ लाइफ में बहुत से काम और समाज में बहुत सी परेशनियां हैं जिस पर आप अपना ध्यान लगा सकते हैं। शायद आपके ध्यान लगाने से किसी की परेशानी बढ़ने की जगह कम ही हो जाए। एक और बात, हर इंसान को एक जीवन मिला है तो उसके हिसाब से उसे जीने दें। वो गलती करे या ना करे पर उसे खुद से करने दें। आपके द्वारा कराई गई गलती को वो बेचारा क्यों पूरी ज़िंदगी झेले?

मैं उन मम्मी-पापा से भी कहना चाहती हूं जिनकी बेटी, शादी की उम्र (आपके हिसाब से) होने के बाद भी शादी नहीं करना चाहती कि अपनी लड़की पर यकीन करें। हो सकता है कि उसके साथ की सभी लड़कियों की शादी हो गई हो और उनके बच्चे भी हों। ज़रूरी तो नहीं कि सभी शादीशुदा लड़कियां खुश ही हों और उनके अंदर खुद की पहचान बनाने की चाहत उबाल नहीं मारती हो। उस समय वो लड़कियां भी दुखी होती होंगी या फिर किस्मत में लिखा मानकर खुश होने की कोशिश करती होंगी।

निदा फाज़ली ने सही ही कहा है, “कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मी तो कहीं आसमां नहीं मिलता।” तो प्लीज़ अपनी लड़की को दूसरी लड़कियों से अलग ज़मी की फिक्र किए बिना उसको उसका आसमां छूनें दें।

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