Site icon Youth Ki Awaaz

अगर सांवली रात खूबसूरत है तो सांवला रंग कैसे बुरा हो सकता है? 

एडिटर्स नोट- इस लेख ने सांवले रंग को लेकर बड़े स्तर पर चर्चा शुरू की। कई सांवली लड़कियों ने यूज़र से इस लेख के बाद बात करनी शुरू की और सोशल मीडिया पर अपना अनुभव और अपनी कहानी भी साझा किया। इस स्टोरी के बाद ट्रेडिशनल मीडिया में सांवले रंग को लेकर खुलकर चर्चा शुरू हुई। 

________________________________________________________________________________

काफी समय पहले नंदिता दास का यह पोस्टर फेसबुक पर दिखा था। ‘Stay Unfair, Stay Beautiful’ बहुत खूबसूरत लगता है यह शब्द। गोरेपन की चाहत के भ्रम को तोड़ता और सांवलेपन से प्यार करना सिखाता है यह शब्द। अपने सांवलेपन को लेकर अफसोस करने वाली तमाम लड़कियों में आत्मविश्वास भरता हुआ दिखता है यह शब्द।

पोस्टर आभार- इति

कभी मुझे भी मेरे इस सांवले रंग से चिढ़ होती थी, इसका कारण था सांवले रंग पर बचपन से लेकर आजतक लोगों से सुनी बातें। लोग सांवले रंग को लेकर हमारे ऊपर बेचारगी प्रकट करने में भी पीछे नहीं रहते। हमें गोरे होने के लिए ऐसी सलाह देते जैसे वे हमारे सबसे बड़े हितैषी हो।

छोटी थी, उस वक़्त बहुत अक्ल भी नहीं थी। समाज में गोरे और सांवले रंग के बीच के दोहरे व्यवहार का मेरे दिमाग पर भी असर पड़ता था। कई बार मैं माँ से बोलती भी थी  ‘माँ तुम तो गोरी हो पर मुझे सांवला क्यों जन्म दिया।’ कई बार आईने में अपना चेहरा देखकर उदास भी हो जाती थी।

कुछ वैसे लोग जो मेरी माँ से मिले थे,  मगर मेरे पिता जी से नहीं, मुझसे कहते थे ‘तुम काली कैसे हो गई जबकि आंटी तो गोरी हैं’। मुझे बुरा लगता और मैं अपने बचाव में बस इतना ही कहती ‘क्या है कि मैं अपने पापा पर गई हूँ।’

बाद में जब अक्ल आई तब अपनी ही सोच पर हंसी आने लगी। एक गोरे रंग को ही खूबसूरती का पैमाना बना बैठी थी मैं। जबसे उस गोरे रंग के भ्रम से निकली हूँ मुझे अपने सांवले रंग से प्यार हो गया है। अब अगर कोई फेयरनेस क्रीम लगाने की सलाह देता है, तो मुझे बहुत हंसी आती है।

अभी हाल में भी एक सज्जन मेरे सांवले रंग का मज़ाक बना रहे थे। उनका कहना था कि काले कपड़े की जगह मुझे ही खड़ा कर देना चाहिये फिर उस काले कपड़े की ज़रूरत ही नहीं होगी। छोटे में यह बात सुनी होती तो शायद उस वक़्त खुद को बहुत अपमानित महसूस करती, क्या पता मेरी आँखों में आंसू भी आ जाते। पर अब नहीं, अब आंसू की जगह हंसी आती है। हंसी क्यों, यह बताने की ज़रूरत नहीं समझती, इतना तो आप समझ ही चुके होंगे। खैर, गोरे रंग को खूबसूरती का पैमाना मानने वाले आज भी सांवले रंग को नीचा बताने में पीछे नहीं रहते।

इसका परिणाम, कई सांवली लड़कियां अपना पूरा आत्मविश्वास खो देती हैं, अपने अंदर के तमाम गुणों को भूल कर सांवलेपन के अफ़सोस और शर्म में जीने लगती हैं और लग जाती हैं खुद को गोरे बनाने की जुगत में। लेकिन शायद वो यह नहीं समझती कि ऐसा करके वे खुद उस तथाकथित समाज के भ्रम में फंसकर सांवलेपन का मज़ाक उड़ाने में लग जाती है।

फिल्म दिलवाले में काजोल की वापसी के साथ उनका एक नया रूप भी देखने को मिला। सांवली सी काजोल अब गोरेपन के आवरण के साथ दिखी। ज़ाहिर सी बात है, उन्होंने सांवले से गोरे होने के लिए तमाम महंगे ट्रीटमेंट का सहारा लिया होगा। खैर, यह उनका व्यक्तिगत चुनाव होगा, मगर उनके इस चुनाव के बाद आज वह हम सांवली लड़कियों के लिए सिर्फ एक कलाकर और एक अभिनेत्री भर ही रह सकीं, जबकि नंदिता दास आज तमाम सांवली लड़कियों की प्यार हैं। काजोल गोरेपन की चाहत के साथ तो आपने खुद ही सांवलेपन का मज़ाक उड़ाया है।

बस इतना ही कहना चाहती हूँ कि समाज से सांवलेपन के दोयम दर्जे के व्यवहार को ख़त्म करने के लिए सबसे पहले हमें खुद अपने सांवले रंग से प्यार करना सीखना होगा। अगर सांवली रात खूबसूरत है तो सांवला चेहरा कैसे बुरा हो सकता हैं ?

सांवली लड़कियों कभी अपने सांवले रंग को लेकर उदास मत होना। बहुत खूबसूरत है यह सांवला रंग। कहने दो दुनिया को जो कहना है। तुम्हारे सांवले रंग के कारण तुमसे कोई शादी करने से मना करता है तो खुश हो, क्योंकि ऐसे इंसान की हमें ज़रूरत भी नहीं। अगर तुम्हारे सावले रंग के लिए तुम्हारे प्रति कोई बेचारगी प्रकट करता है तो करने दो, क्योंकि तुम्हारा रंग नहीं बल्कि उसकी सोच बदसूरत है। उन तमाम फेयरनेस क्रीम को कह दो नहीं ज़रूरत हैं हमें तुम्हारी।

और अंत में बहुत-बहुत शुक्रिया नंदिता दास तुम्हारे इस शब्द के लिए stay unfair, stay beautiful and Dark is beautiful.

Exit mobile version