खरीदने वाला चाहिए, आप बिकने को तैयार रहें। आदमी की औकात उसके पद से होती है, पद तभी मिलता है जब उसे सम्मान मिलता है। सम्मान मिलता नहीं खरीदा जाता है। सम्मान खरीदने के लिए जमीर/ईमान बेचना ज़रूरी होता है। ज़मीर हर कोई नहीं बेच सकता। सम्मान खरीदना और ज़मीर बेचना बड़े लोगों का काम है। एक [envoke_twitter_link]गरीब किसान आत्महत्या तो कर सकता है, लेकिन न तो सम्मान खरीद सकता है और ना ही जमीर बेच सकता है।[/envoke_twitter_link]
झम्मन की ज़िंदगी गुज़र गई और अब वे गुज़रने लायक हो गए हैं, लेकिन उनकी झोली में एक भी सम्मान नहीं है। सम्मान ऐसे ही थोड़े मिल जाता है, उसके लिए आपको अपना ज़मीर बेचना पड़ता है।
खरीद का कोई समय नहीं होता। हमारे मेले में खरीद फरोख्त होती थी, चुनाव में, चुनाव के बाद, पुरस्कार के पहले और पुरस्कार के बाद भी खरीद होती है। खरीद वही सकता है जो उस खरीदे गए पुरस्कार से सम्मान और रोकड़ा तथा ओहदा खरीद सकें। जो सम्मान खरीद कर सम्मान के साथ-साथ रुपया बना सके। जो केवल सम्मान पाते हैं और उसका उपयोग नहीं कर पाते, उनका सम्मान पाना बेकार है। सम्मान से सम्मान और सम्मान से धन मिलता है। ईमानदार लोगों की तरह ईमानदार सम्मान भी बड़ी मुश्किल से मिलता है। इसके साथ यह भी जरूरी है कि ईमानदार सम्मान और ईमानदार सम्मान प्रदान करने वाले के साथ यह ज़रूरी नहीं कि सम्मान पाने वाला ईमानदार हो।
सवाल यह नहीं कि सम्मान ही खरीदे और बेचे जाते हैं। बेचने के लिए आपके पास बहुत कुछ है। आप अपने विचार बेच सकते है, जमीर तो आपको पहले बेचना पड़ेगा। नेता बेच सकते है, परीक्षा के समय प्रश्नपत्र बेच सकते है, शादी के मौसम में दूल्हा बेच सकते हैं। ऐसी कौन सी चीज है जो आप नहीं बेच सकते। अरे एक बार विधानसभा के सामने दुकान लगाकर तो देखो, सूटकेस भरा और ईमान डस्टबिन में।
चीज़ बेचना जितना आसान है, उससे ज्यादा मुश्किल है खरीदने वाले को ढूंढना। [envoke_twitter_link]खरीददार ऐसा होना चाहिए जो, आपकी इज्जत को बचाये रखे।[/envoke_twitter_link] आपने उसको अपना ज़मीर बेचा और उस ज़मीर को व्हाट्सएप पर डाल दिया, फेसबुक पर डाल दिया तो आपके घर वालों के साथ बाहर वालों के सामने भी इज्जत का फालूदा बन जाएगा। अगर उसने किताब लिख दी तो पूरे शहर में तहलका मच जाएगा। खरीदने वाला ऐसा होना चाहिए जो विश्वासपात्र हो, आपका करीबी हो, गरीब हो (भावनाओं से गरीब और गोपनीयता में अमीर) जो आपके बुरे समय का दोस्त और अच्छे समय का दुश्मन न हो।
अब आप समझ गए होंगे-आंख का अंधा और गांठ का पूरा होना चाहिए। आपको डिग्री, सम्मान, ओहदा सब कुछ मिल जाएगा। आपके पास संगठन होना चाहिए, आपकी पार्टी होनी चाहिए, आपका गैंग होना चाहिए, जो वोट/सपोर्ट/ओहदा दिला सके और उस ओहदे से सम्मान खरीद सकें, देने वालों को, पाने वालों को और उन्हें जो इस लायक नहीं, उन्हें खरीद सकें। [envoke_twitter_link]जिसके पास ईमान नहीं है, वह टिकाऊ नहीं, जिसके पास ईमान है बिकाऊ नहीं है।[/envoke_twitter_link]