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DDA के शर्मनाक रवैय्ये पर डॉ. ऋषिराज भाटी से YKA की खास बातचीत

डॉ. ऋषिराज भाटी मंगलवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण(DDA) के जनसंपर्क निदेशक(Director-Public Relations) नियुक्त किए गए। मंंगलवार को ही उन्हें बताया गया कि DDA  को अब उनकी ज़रूरत नहीं है और वो वापस अपने पुराने काम पर जा सकते हैं। डॉ. भाटी ने जब वजह जानने की कोशिश की तो उन्हें बताया गया कि वो फिज़िकली डिसेबल्ड हैं और DDA को उनकी ज़रूरत नहीं है। DDA उपाध्यक्ष ने मौखिक रूप से ही डॉ. ऋषिराज भाटी को संदेश भेजवाया कि वो फील्ड ड्यूूटी नहीं कर पाएंगे क्योंकि वो डिसेबल्ड हैं और इसलिए वो इस काम के लायक नहीं हैं। इससे पहले भी डॉ. भाटी दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड में इसी पद पर कार्यरत रहे हैं। पर्सन विद डिसएबिलिटी को लेकर DDA के इस शर्मनाक रवैय्ये पर डॉ. ऋषिराज भाटी ने Youth Ki Awaaz से बात की।

प्रशांतडॉ. भाटी थोड़ा डीटेल से बताएंगे कि क्या हुआ मंगलवार को?

डॉ. भाटी– मंगलवार को 3 बजे मैंने ज्वाइन किया। प्रोटोकॉल के तहत मैं उपाध्यक्ष उदय प्रताप सिंह के ऑफिस उनसे एक प्रोटोकॉल मीटिंग के तहत मिलने पहुंचा। 5 बजे मुझे मेरे रिपोर्टिंग ऑफिसर महेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि मैं अब यहां काम नहीं कर सकता क्योंकि फील्ड ड्यूटी किसी डिसेबल्ड आदमी का काम नहीं।

प्रशांतआपकी क्या प्रतिक्रिया रही इसपे?

डॉ. भाटी– प्रतिक्रिया क्या रहेगी, ये उनकी सोच को दिखाता है। मैंने महेंद्र गुप्ता जी से कहा भी कि ये तो कहीं रूल में नहीं लिखा। गुप्ता जी ने कहा ठीक है मैं बात करता हूं। कोई फायद नहीं हुआ लेकिन उसका। मैं यही काम तो इतने सालों से लगातार कर रहा था। बस यहां पर उस पोजिशन का नाम बदल दिया गया। मुझे कोई डिमोलिशन साईट पर जाकर हथौड़े से कुछ तोड़ना थोड़े ही था। डायरेक्शन्स देने थे। और दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड में यही काम मैं सालों से कर रहा था।

प्रशांतआपने किसी को इस मामले को लेकर लिखा या बात की?

डॉ. भाटी– हां मैंने लिखा, और मीडिया में ये बातें आने के बाद मुझे एक जवाब आया जिसमें मुझे ही ज़िम्मेदार बताया जा रहा है। जवाब में लिखा गया है कि मेरी सहमती से हुआ है जो भी हुआ है। और ये भी कह रहे हैं कि मैं 15 दिन के बाद दुबारा ज्वाइन कर सकता हूं।

प्रशांतकुछ समझ में आता है ऐसा क्यों किया गया?

डॉ.भाटी– अब उनकी सोच ही ऐसी है तो क्या करें? डिसेबिलिटी कोई क्राइटेरिया थोड़े ही ना है। या तो आप जब इस पोस्ट का एड करते हैं तो ये एड में लिखना चाहिए कि कोई भी पर्सन विद डिसेबिलिटी अप्लाई नहीं कर सकता।

प्रशांतकभी डिसेबिलिटी की वजह से आपको इतनी तकलीफ हुई कि आप कुछ ना कर पाएं या जिन कामों का हवाला दिया गया आपको वो आप नहीं कर पाते?

डॉ.भाटी– नहीं, मैं दिन में करीब 600 किमी भी कार चला सकता हूं, पांचवीं मंज़िल पे बिना लिफ्ट के भी चढ़ जाता हूं। और हर रोज़ 80 किमी तो कार चलाता ही हूं। मैं तो अच्छी पब्लिसिटी करने आया था यहां, लेकिन उन्हें मेरे हाथों निगेटिव पब्लिसिटी ही करवानी थी। पहले IAS के इग्ज़ाम में नहीं लेते थे डिसेबल्ड लोगों को। अब जबसे रूल बना तो देखिए डिसेबल्ड लोग टॉप भी कर रहे हैं। इरा सिंघल को देखिए आप

प्रशांतकभी और भी कहीं पर डिसेबिलिटी की वजह से भेदभाव सहना पड़ा था इससे पहले?

डॉ. भाटी– पूरे लाइफ की बात करें तो सोसायटी में तो होता ही है ये सब, लेकिन किसी इतनी बड़ी पोस्ट पर पहली बार ऐसा कुछ देखना पड़ा है मुझे।

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