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आखिर क्या है डोकलाम विवाद, जो करवा सकता है तीसरा विश्वयुद्ध

चीन साम्यवादी* देश होने के साथ-साथ एक विस्तारवादी* और साम्राज्यवादी* देश भी है और हाल ही में उपजा डोकलाम मुद्दा चीन की इसी विस्तारवादी नीति का हिस्सा है। हम सभी जानते हैं कि चीन की लालसा हमेशा से ही साम्राज्यविस्तार की रही है। डोकलाम पर वह अपना प्रभाव जमाकर अपनी शक्ति को और बढ़ाना चाहता है। आज डोकलाम क्षेत्र भारत और चीन दोनों के लिए ही शक्ति व सुरक्षा से जुड़ा सामरिक* और रणनीतिक* मुद्दा बन चुका है। आखिर यह क्षेत्र इतना अहम कैसे हो गया कि दक्षिण एशिया के साथ-साथ पश्चिमी देश भी इससे जुड़ी घटनाओं पर आंखें लगाए बैठे हैं?

कहा जा रहा है कि डोकलाम मुद्दे का अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो यह तीसरे विश्व-युद्ध को शुरू करने में अहम भूमिका निभा सकता है। परिणाम जो भी हो, उससे पहले हमें डोकलाम को जान लेना चाहिए आखिर इसके केंद्र में कौन है? सीधे तौर पर देखें तो डोकलाम, भूटान में ही आता है, लेकिन चीन इस बार डोकलाम पर अपना अधिकार जमाने की पूरी कोशिश कर रहा है। दूसरी तरफ भारत, भूटान से उसकी सुरक्षा संबंधी संधि के चलते बीच में आया है। इसी कारण यह क्षेत्र तीनों देशों के लिए विशेष सामरिक महत्व रखता है।

सवाल यह भी है कि डोकलाम भारत का क्षेत्र नहीं है इसके बावजूद चीनी सैनिक, भारतीय सैनिकों से लड़ रहे हैं। दरअसल मसला यह है कि डोकलाम भारत के चिकन नेक कहे जाने वाले सिलीगुड़ी इलाके के पास है, यही भारत की चिंता का सबसे बड़ा कारण है। असल में चिकन नेक उस इलाके को कहते हैं जो सामरिक रूप से किसी देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन संरचना के आधार पर कमज़ोर होता है, सिलीगुड़ी ऐसा ही क्षेत्र है। भारत की चिंता यह है कि अगर चीन भारत की चिकन नेक तक पहुंच जाता है तो वह भारत के सम्पूर्ण उत्तर-पूर्वी भाग को भारत से आराम से काट सकता है। डोकलाम से सिलीगुड़ी गलियारे की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है और 200 किलोमीटर लंबा व 60 किलोमीटर चौड़ा सिलीगुड़ी गलियारा भारत के लिए बहुत अहम है।

सिलीगुड़ी गलियारा दक्षिण की तरफ से बांग्लादेश और उत्तर की तरफ से चीन से घिरा है। नतीजन ट्रेन और रोड नेटवर्क से सम्पन्न यह इलाका चीन के लिए सैन्य साज़ो-सामान की आपूर्ति में महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके माध्यम से इन इलाकों में वह अपना बाज़ार भी स्थापित कर सकता है। अगर चीन द्वारा इस क्षेत्र में सड़क बना दी गई तो वह भारत के सिलीगुड़ी तक आराम से अपने युद्धक टैंको की आवाजाही को अंजाम दे सकता है, जो कि भारत की सामरिक सुरक्षा के साथ-साथ भारत की घरेलू राजनीति व व्यवस्था को भी प्रभावित करने में सक्षम होगा।

दूसरी तरफ भूटान के लिए भी यह क्षेत्र बहुत महत्व रखता है। भूटान का पहले से ही चीन के साथ सीमा विवाद चल रहा है। चीन के भूटान के साथ राजनयिक संबंध नहीं होने के कारण चीन प्रत्यक्ष रूप से भूटान के भू-क्षेत्रों पर अधिकार नहीं जमा पा रहा है, बल्कि इसके चलते वह कठिनाई महसूस करता है। चीन हालिया डोकलाम विवाद के माध्यम से भूटान पर दबाव बना रहा है। हालांकि चीन, डोकलाम पर अपने अधिकार को प्रमाणित करने के लिए साक्ष्य भी प्रस्तुत कर रहा है।

चीन द्वारा दिए गए एक साक्ष्य में कहा गया है कि डोकलाम क्षेत्र तिब्बत का है। 1960 से पहले भूटान के लोग इस क्षेत्र में पशु चराने के लिए चीन से अनुमति लेते थे, इसलिए यह साबित हो जाता है कि डोकलाम क्षेत्र चीन का ही है। लेकिन भूटान ने इस साक्ष्य को दरकिनार कर दिया तथा कहा कि चीन द्वारा जो संधि की गई थी उसी के अनुरूप इस क्षेत्र पर भूटान का ही अधिकार है। भूटान को यह भी चिंता है कि अगर डोकलाम चीन के पास चला गया तो इसके माध्यम से फिर वह धीरे-धीरे भूटान के राजनीतिक मामलों में भी हस्तक्षेप करेगा जिससे भूटान की भारत पर निर्भरता प्रभावित होगी। साथ ही चीन, भूटान के कई अन्य क्षेत्रों पर भी कब्ज़ा जमाने में सफल होने की स्थिति में पहुंच जाएगा।

इस तरह यह क्षेत्र भारत-भूटान-चीन के बीच त्रिकोणीय जंक्शन बनाता है, जिसमें इन तीनों ही देशों के अपने-अपने सुरक्षात्मक हित जुड़े हुए हैं। हालांकि जिस तरह से यह विवाद उभरा है, यह केवल भारत व भूटान को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण दक्षिण एशियाई देशों को प्रभावित करेगा।

इस समय भारत के लिए ज़रूरी है कि वह चीन के प्रतिद्वंदी देशों के साथ अपने सामरिक और व्यापारिक संबंधो को प्रगाढ़ करे। साथ ही हिन्द महासागर में सैन्य-अभ्यास करे और चीन पर गोलबंदी कर दक्षिण-पूर्वी देशों के साथ संबंधों को स्थापित करे ताकि चीन पर दबाव बनाया जा सके। यह भी ज़रूरी है कि भारत, अमेरिका के साथ इस सम्बन्ध में बातचीत व सहयोग को बनाए रखे। इसलिए अगर चीन को इस मुद्दे पर नियंत्रित करना है तो उसके प्रतिद्वंदी देशों के साथ भारत को सैन्य व व्यापारिक संबंधों को और आगे बढ़ाना और मजबूत करना होगा।
1)- साम्यवादी- Communist  2)- विस्तारवादी- Expansionist  3)- साम्राज्यवादी- imperialist  4)- सामरिक- War related strategy   5)- रणनीतिक- Strategic

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