मुसलसल बारिश खिड़कियों पर अच्छी लगती है छाते पर नहीं।
यूं तो मुंबई और बारिश के इश्क ने कई कवियों को जन्म दिया है लेकिन प्यार में जब खटास आती है तो सबकुछ बह जाना लाज़मी है। कुछ देर की ज़ोरदार बारिश में हज़ारों मुंबईकर जहां थे वहीं फंस गएं और प्रशासन की सच्चाई सड़कों पर तैरने लगी। जो शहर कभी सोता नहीं वो बेचैन था।
शहर की लाइफलाइन मुंबई लोकल हर दिन की तरह खुद में कई कहानियां समेटे थी, और उन कहानियों में वो जज़्बात थें जिन्हें गीली कर जाने वाली बरसात होनी अभी बाकी है।