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फोटो स्टोरी: जब कभी ना सोने वाले शहर को बारिश ने ठहरा दिया

मुसलसल बारिश खिड़कियों पर अच्छी लगती है छाते पर नहीं।

यूं तो मुंबई और बारिश के इश्क ने कई कवियों को जन्म दिया है लेकिन प्यार में जब खटास आती है तो सबकुछ बह जाना लाज़मी है। कुछ देर की ज़ोरदार बारिश में हज़ारों मुंबईकर जहां थे वहीं फंस गएं और प्रशासन की सच्चाई सड़कों पर तैरने लगी। जो शहर कभी सोता नहीं वो बेचैन था।

शहर की लाइफलाइन मुंबई लोकल हर दिन की तरह खुद में कई कहानियां समेटे थी, और उन कहानियों में वो जज़्बात थें जिन्हें गीली कर जाने वाली बरसात होनी अभी बाकी है।

रंगों से सराबोर मुंबई की बारिश (सांताक्रूज़ वेस्ट)
कुछ पल के लिए रुका मुंबई (सांताक्रूज़ वेस्ट)
बारिश से खुद को बचाने की कोशिश (सांताक्रूज़ वेस्ट)
जब लाइफलाइन, मुंबई लोकल ठहर गई (सांताक्रूज़ वेस्ट)
घर पहुंचने के लिए लोकल छोड़ कोई और साधन तलाशने जाते लोग (सांताक्रूज़ वेस्ट)
इंतज़ार (अंधेरी वेस्ट)
ख़त्म ना होने वाला इंतज़ार (अंधेरी वेस्ट)
समय का सदुपयोग (अंधेरी वेस्ट)
नींद त्रासदी नहीं देखती (अंधेरी वेस्ट)
शरणार्थी (अंधेरी वेस्ट)
घर पहुंचने की आस और इंतज़ार ( अंधेरी वेस्ट)
इंतज़ार का अंत (गोरेगांव वेस्ट)
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