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2017 में YKA पर इन 35 राइटर्स ने बेबाकी से कही अपनी बात

साल 2017 YKA के लिए बेहद खास था और इसकी वजह थी आप लोगों का ज़रूरी मुद्दों पर बेबाकी से YKA पर लिखना। आप सब ने इस साल ना सिर्फ अपनी बातों से हर बहस को एक नया मोड़ दिया बल्कि YKA पर बेझिझक लिखकर एक बेहतर और सामाजिक न्याय वाली दुनिया की उम्मीद कायम की। 2017 में हज़ारों नए लोग YKA से जुड़े और कई लेख ऐसे रहे जिसने दुनिया भर में बदलाव की एक नई मिसाल कायम की।

अब जब हम 2018 में एक बेहतर समाज की कल्पना के साथ प्रवेश कर रहे हैं, आइये उन यूज़र्स से आपको मिलवाते हैं जिन्होंने 2017 में YKA पर अपनी कुछ बेहद ही मज़बूत और बेबाक स्टोरीज़ शेयर की। आप जैसे ही ये यूज़र्स लगातार अपनी आवाज़ YKA के मंच से उठा रहे हैं।

1. आभा खेत्रपाल

प्रधांमंत्री ने डिसएबल्ड लोगों को नया नाम तो दे दिया लेकिन उन लोगों को असल में क्या चाहिए इसपर  किसी का ध्यान है?

2. सैयद तौहीद

उन फिल्मों और फिल्मीं शख्सियतों का सफर जो महज़ एक कहानी से ज़्यादा है।

3. सैवियो डायमेरी

क्रिकेट की मज़हब की तरह इबादत करने वाले देश में, सैवियो राष्ट्रीय स्तर के एथलिटों के हालात की कड़वी सच्चाई सामने ला रहे हैं।

4. प्रेरणा शर्मा

दुर्भाग्य है कि इस देश में महिलाओं को आज भी पीरियड्स को लेकर मिथ्याओं और वर्जनाओं की चादर में लपेटा जाता है। प्रेरणा बता रही हैं कि यह हालत छोटे शहर की लड़कियों के लिए और कितनी गंभीर है।

5. राजू मुर्मू

क्या मंगल पांडे को ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह करने वाला पहला इंसान बताकर एक ट्राइबल लीडर का हक छीना जा रहा है?

6. बिजया बिसवाल

यह भारत की दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई है कि यहां एक उम्र के बाद यह मान लिया जाता है कि इंसान की सेक्स को लेकर चाह बिल्कुल खत्म हो जाती है।

7. तनमय भादुरी

YKA के सबसे एक्टिव यूज़र्स में से एक तनमय एक ऐसी सच्चाई हमारे सामने ला रहे हैं जिसे हम शायद मुश्किल से ही पहचान पाते हैं।

8. दीपक भास्कर

बिहार में अरेंज मैरेज का इंटरव्यू दुनिया के सबसे मुश्किल इंटरव्यू में से है जहां आपको सिर्फ अपनी आदतों के हिसाब से नहीं आपने उठने, बैठने और चलने के लहज़े से भी जज किया जाता है।

9. नफीस अहमद

इस्लाम के विरुद्ध शुरू हुई दमनकारी जाती व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई का महत्व।

10. राजीव चौधरी

यह कोई खास मज़हब, समुदाय या जाती की बात नहीं है। यह एक ऐसी भीड़ है जो किसी तर्क को सुनने के लिए तैयार नहीं होती, इसे अपने हाथ खून से रंगने की आदत हो चुकी है।

11. तान्या झा

राम पर एक नयी राय- वो नाम जिसे मृत लोगों के पाप मिटाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है और ज़िंदा लोगों के मारने के लिए एक सहूलियत वाले बहाने के तौर पर भी।

12. उमेश कुमार रे

एक ऐसे म्यूज़ियम की जानकारी जहां दुनिया भर के ट्वायलेट्स और उसे इस्तेमाल करने की आदतों का ज़िक्र है।

13. सिमरन केशवानी

ऐसा साल जो पूरी तरह से ऑनलाइन नफरत से भरा रहा वहां ऑनलाइन ट्रोल्स से तर्कसंगत तरीके से निपटने का उदाहरण।

14. इशा चिटनिस

एक शर्मनाक याद जो बताती है कि कैसे हमारे समाज में यौन हिंसा को आम बात मान लिया गया है, साथ ही वो मज़बूत उदाहरण जो दिखाता है कि इसके खिलाफ आवाज़ उठाने से क्या बदल सकता है।

15. प्रीति परिवर्तन

सन्नी लियोनी को हमारे समाज ने एक आइटम नंबर और एडल्ट फिल्मों कि एक्ट्रेस के तौर पर तो बखूबी अपनाया है लेकिन एक आम इंसान के तौर पर नहीं अपना पाए, इसी मुद्दे पर एक बेहद ही बेबाक राय।

16. जोश टॉक्स

उन लोगों की प्रेरणा देने वाली कहानी जो हज़ारों लोगों के जीवन में उम्मीद की रौशनी भरते हैं।

17. कुमार दीपक

हुक्मरानों को क्लाइमेट चेंज ज़रूरी मुद्दा नहीं लगता, लेकिन इसका सीधा असर जिनपर पड़ता है, कुमार उनकी कहानी सामने ला रहे हैं।

18. हरीश अय्यर

तलाक के बाद के सामाजिक शर्म के कारण कई लोग एक परेशानी भरी शादी में बंधे हैं। हरीश तलाक के बाद की उसी स्टीरियोटाइप को सामने ला रहे हैं।

19. अन्नू सिंह

जो लोग महिलाओं के साथ यौन हिंसा करते हैं जब वो रेप और यौन हिंसा की बढ़ती खबरों के बारे में पढ़ते हैं तो वो क्या सोचते हैं?

20. टीना एस

कंगना-ऋतिक मामले में वो राय जो बाकियों से अलग है।

21. नंदिनी मज़ूमदार

नशे की लत कैसे जिंदगी पर असर डालती है और कैसे यह किसी को भी हो सकता है इस विषय पर एक मज़बूत लेख। ऐसे हालात में जेंडर के आधार पर भेदभाव हालात को और भी बद्तर बना देते हैं।

22. द इगोइस्ट पोस्टस्ट्रक्चरलिस्ट

LGBTQ+ समुदाय भी भेदभाव से परे नहीं है।

23. पी राधाकृष्णन

5 लेखों की सिरीज़ में भारत के मुसलमानों की सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक हालातों पर सच्चर कमिटी की रिपोर्ट्स की व्याख्या।

24. सुचेतना सिन्हा

धर्म पर सवाल उठाने के खतरे, वो भी एक ऐसे समय में जब इसकी वजह से आपकी जान जा सकती है।

25. हरबंश सिंह

2002 दंगों के पहले दिन की आखोंदेखी और वो सबकुछ जिसने दंगे भड़काए।

26. एजेंट्स ऑफ इश्क

एक सर्वे के द्वारा महिलाओं की सेक्शुएलिटी को लेकर मिथ्याओं को तोड़ने की कोशिश।

27. दिल्ली यूनिवर्सिटी क्वियर कलेक्टिव

पूरे प्राइड महीने के दौरान इस यूज़र ने धारा 377 के इस दौर में खुलकर अपनी यौनिकता बताने वाली भावुक स्टोरीज़  हमारे साथ साझा की।

28. सक्षम मिश्रा

YKA पर खेल से जुड़ी कुछ बहुत ही रोचक स्टोरीज़ और रिपोर्ट्स।

29. रचना प्रियदर्शिनी

हम साल 2017 में हैं और कम से कम इतने सालों बाद बॉडी शेमिंग पर हम सबको शर्म तो आनी ही चाहिए।

30. शक्ति अवस्थी

 स्वघोषित भगवानों के हमारे देश में बाबा राम रहीम मामले में भड़की हिंसा के संदर्भ में एक ज़रूरी विश्लेषण।

31. निलुत्पल तिमसिना

ब्रेकिंग न्यूज़ और मीडिया ट्रायल के गंदे चलन पर ज़रूरी लेख।

32. सुरभी पांडे

यौन हिंसा पर चुप्पी तोड़ने से क्या बदल सकता है उसकी मिसाल।

33. उर्मिला चानम

HIV/AIDS को लेकर टैबूज़ और भेदभाव एक खतरनाक ओपिनियन को जन्म देता है।

34. प्रशांत प्रत्युष

सदियों पुराने अंधविश्वास कैसे अभी भी लोगों को जकड़े हुए है।

35. सुमंत्रा मुखर्जी

जब पूरी मीडिया राम रहीम और पद्मावती के पीछे भाग रही थी, सुमंत्रा ने किसानों के उन मुद्दों पर बात की जो शायद सरकार तक पहुंच ही नहीं पाती।

Youth Ki Awaaz की तरफ से आप सबको बधाई और शुक्रिया कि आप इस बदलाव का हिस्सा हैं। हम उम्मीद करते हैं कि 2018 में भी इसी तरह मुखरता से आपकी स्टोरीज़ Youth Ki Awaaz के मंच पर पब्लिश होती रहेंगी।

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