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“मोहन भागवत जी इस देश को ज़िंदा रहने दीजिए, देश की संस्कृति को ज़िंदा रहने दीजिए”

श्रीमान मोहन भागवत जी, 17-5-2018
सरसंघ चालक
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ

नमस्कार,

मेरा नाम विमल भाई है। मैं उत्तराखंड में सन् 1988 से टिहरी बांध के विरोध में गंगा पर बन रहे बड़े बांधों के खिलाफ जनता और पर्यावरण के हक में काम करता हूं। हां साथ ही अपने देश से प्यार करता हूं उसके सही विकास के लिये सजग हूं। इसलिये आपको यह पत्र लिख रहा हूं। मेरे स्वर्गीय माता-पिता क्षत्रिय रहे हैं। उन्होंने मुझे सबसे प्रेम करना सिखाया है। इतिहास बताता है कि कोई भी देश शांतिकाल में ही आगे बढ़ा है। शायद आपको यह पत्र ना भी मिले इसलिये मैं इसे कही छपने देने की कोशिश कर रहा हूं। आपको आलोचना, सीधे पत्र द्वारा भेज रहा हूं ताकि संवाद हो सके। आपसे मिलने की कोशिश करुंगा। मगर अब तो मोदी जी ने आपको एक तंग घेरे में रख दिया है। 90 के दशक में आपसे मिलना आसान था।

देश की परिस्थिति 2014 के बाद जितनी तेज़ी से बदली है। आपकी राजनैतिक शाखा के कृत्यों के खिलाफ बहुत आंदोलन हो रहे हैं। सेमिनार बैठकें भी हो रही हैं। और आप जिस संगठन का नेतृत्व करते हैं उसके आनुषंगिक संगठनो द्वारा मुसलमानों पर विभत्सव तरीके से हमले हो रहे हैं। मुसलमानों की आस्था को चुनौती जा रही है, उनके रोज़गारों को खत्म करने की साज़िशें हो रही हैं। उनके शिक्षा संस्थानों पर हमले हो रहे हैं।

मैं संक्षिप्त में कहना चाहूंगा कि आप इतिहास को झूठी तरह से बदल रहे हैं, आप मुसलमानों की पारिवारिक संरचना और कुरान की गलत-सलत अपनी तरह से व्याख्या करते हैं। आप उनको दूध-दही से रोज़ा खोलने की सलाह देते हैं, बकरे की कुर्बानी की जगह अपने बेटों को कुर्बान करने की नसीहत देते हैं। शिक्षण संस्थानों पर हमले हो रहे हैं। उनके प्रति कटुता रखते हुये कभी आप सभी मुसलमानों को पूर्व में हिन्दू होने की बात करते हैं। ये कैसा अभ्यास है आपका?

बोलने के अधिकार पर आपके आनुषंगिक संगठन कब्ज़ा जमा रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि यह पहली बार हो रहा है। मैंने जब से होश संभाला है तब से RSS के साथ जुड़े लोगों को यही सब करते देखा है। किंतु आज आपका राजनैतिक दल सत्ता में है इसलिये ये हमले बहुत तेज़ी से बढ़े हैं।

युवाओं को थोड़ी सी ताकत का एहसास दिला कर अपने मनमाफिक चलाने के लिये हिन्दू अस्मिता का प्रश्न, मुस्लिम आबादी के फैलने का झूठा डर, ईसाइयों द्वारा धर्म परिवर्तन प्रचार करते हुये, इल्ज़ाम लगाकर आप तमाम तरह के हिन्दू युवाओं को उनके रोज़ी-रोटी के प्रश्न को एक तरफ करके, आपके अपने ऐजेंडे से जोड़ने की कोशिश करते रहे हैं।

सोशल मीडिया के ज़माने में यह काम और भी आसान हो गया है। व्हाट्सएप और फेसबुक का आपके संगठन ने बहुत खतरनाक तरह से इस्तेमाल किया है। जिस पर आपको सत्ता का संरक्षण भी प्राप्त है। व्हाट्सएप और फेसबुक के ज़रिये घृणा फैलाना आसान हो गया है। 2014 के बाद देश के अनेक स्थानों पर आपका संगठन ये नये प्रयोग कर चुका है। आपकी सफलता है कि आपने इतना ज़हर फैला दिया है कि अब किसी खास व्यक्ति को भेजने की ज़रूरत नहीं होती है। बस संदेश फैलाओ और काम हो गया।

पुरानी बातों को हटा भी दे तो आपने हमें 2014 से बहुत ही व्यस्त रखा है। एक मुद्दा सिमटता नहीं कि नयी हत्या हो जाती है उस पर कुछ करते हैं तब तक हरियाणा में सैकड़ों मुस्लिम परिवार स्थानीय थाने में शरण लेकर रहते हैं। लिस्ट बहुत लंबी है आपको भी मालूम होगी। मैं RSS को देश में आतंक फैलाने का ज़िम्मेदार मानता हूं। इन सब के बावजूद भी आपको पत्र लिखने की ज़हमत इसलिए उठा रहा हूं कि मैं गांधी को मानता हूं और गांधी ने हिटलर को भी पत्र लिखा था।

मुझे विश्वास है कि आप कभी शांत मन से इस पर ज़रूर विचार करेंगे। कहीं कोई शब्द आपको यदि चुभता हुआ लगे तो उसे मेरे मन की बात मानकर मर्म ले लीजिएगा शब्द छोड़ दीजिएगा। ये भावनायें हैं इसलिये बातों का कोई क्रम नहीं है। वैसे मेरे देश के बहुसंख्यक लोग जो धर्मनिरपेक्ष हैं वह भी मेरे से खफा होंगे कि मैं आपको पत्र क्यों लिख रहा हूं मगर मुझे अभी भी अंधकार में विश्वास नज़र आता है। मुझे इस देश की मिट्टी पर, सदियों पुरानी इस देश की संस्कृति पर विश्वास है, गर्व है। इसलिये आपकी सोच और आप इस बात पर कुछ बदलाव ला पाएं तो वास्तव में मेरे जीवन की धन्यता होगी।

समाधान तो बातचीत से ही होता है। धमका-मार-हिंसा से तो र्सिफ शक्ति संतुलन होता है। आज आपकी सत्ता है तो पुरोहित जी के खिलाफ पुलिस अदालत में कोई खास सबूत पेश नहीं कर पाये और वे आज़ाद हैं दूसरी तरफ देखिये वर्तमान के साधुराज में दलित आर्मी के नेता चंद्रशेखर अदालत से बरी होकर भी जेल में है।

आपके पास तो पूरी जानकारी होगी वैसे मुझे मालूम है कि आपके कार्य मुंह ज़ुबानी चलते हैं। खासकर कि देश भर में मुस्लिम विरोधी कार्य। ताकि पकड़े गये तो आप भी कह देते हैं कि ये हमारे नहीं और वो भी शहीद हो जाते हैं किसी भी दुश्मन देश की जासूस की तरह। पाकिस्तान कभी अपने आतंकियों को नहीं अपनाता।

आप भूल जाते हैं कि देश के लाखों लाख बौद्ध मतावलंबी दलित रहे हैं और आपके “हिंदुओं” के हमले के कारण ही बने हैं इस बात को ध्यान में रखकर आपने बाबा साहब अंबेडकर को राम अंबेडकर कभी भगवा पोतकर और हिन्दू-हिन्दू एक हो जाओ का नारा देकर भ्रमित करने की कोशिश की है जो जारी भी है। देश में 2014 के बाद ना केवल दलितों पर अत्याचार बढ़ा है, बल्कि दलित नेतृत्व को हर तरह से दबाने का प्रयास चालू है। खासकर उत्तर प्रदेश में जहां तथा कथित रूप से एक साधू सत्ता में विराजमान है आपके द्वारा प्रचारित हिन्दू-हिन्दू आज इस तरह से लिया गया है कि साधू की परिभाषा भी बदल गई है। हमारे उत्तराखंड के योगी जी इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। उनकी हिन्दू वाहिनी भगवा रंग आतंकी रूप में नज़र आने लगी है। हो सकता है कि आपको यह बात तथाकथित हिन्दू राष्ट्र के लिए सकारात्मक लगती हो।

मुश्किल यह है कि आपने वास्तव में हिंदुओं के लिए और बहुत हद तक अन्य धर्मावलंबियों के लिए पवित्र गंगा बर्बादी पर ठोस कदम बिल्कुल नहीं उठाए हैं गंगा के बांध हिन्दू ठेकेदारों ने बनाए हैं। आप क्यों सनातन धर्म के भगवानों को बदनाम कर रहे है। मैं शुरु से देख रहा हूं आपने राम जी को किसी हिन्दी फिल्म की हीरो की तरह पेश कर दिया है। जैसे फिल्मी हीरो अपना सुडौल शरीर दिखाते हुये विलेन के इलाके पर हमला करते हुये दिखाया जाता है।

राम की करुणा, दया गायब कर दी। ऐसे ही हनुमान जी को आपने बना दिया। शिव सेना तक तो सह लिया था, शिव तो भोले बाबा हैं। इन सबसे प्रेम की जगह डरना सिखा रहे है आप। समाज को डराकर रख रहे हैं। ऐसा करके आप किस तरह से मुसलमानों को सबक सिखाना चाहते है?

आप तो भगवानों को मानते ही नहीं, आप कब जान पायेगें की प्रेम ही जोड़ता है। क्या राम ने वानरों को डराकर जोड़ा था। ऐसे अनेक प्रसंग आपको दे सकता हूं जिनको आप राम मंदिर में उकेरना चाहते हैं। मैं आप पर आरोप लगा रहा हूं कि RSS ने सनातन धर्म को विकृत ही किया है।

भागवत जी, आप इस देश की रंग बिरंगी मिट्टी के बने हैं, आप क्यों भूल रहे हैं इस बात को। हमें भगवे रंग से कोई परहेज़ नहीं, राम हमारे कई मामलों में आदर्श हो सकते हैं। किंतु आपके द्वारा छुपे-थोपे हुए रंग, सोच-विचार, गीत, नारे, तौर तरीके इस देश को कबूल नहीं होंगे। देखिए ना गांधी से लेकर गौरी लंकेश के बाद तक कलमें कहीं रुकी नहीं है। आप इस बात को देख ही रहे होगें।

पत्र लंबा हो रहा है किंतु उम्मीद है कि इस पत्र की पावती मुझे मिलेगी और मैं आपको अन्य बातें भी लिखकर भेजूंगा अगले पत्रों में।

आपसे जानना चाहता हूं कि मुसलमानों पर आप कब तक यह खेल खेलते रहेंगे? क्या उनको हर तरह से दबाने दूसरे दर्जे का नागरिक होना स्वीकार करवाने तक? दलितों पर अत्याचार बंद कराने के लिए कब सही वाली भूमिका ले रहे है?

मेरी और एक मांग है कि आप थोपना बंद कीजिए। अपनी बात कहिए और सरकार के भरोसे मत रहिए सरकार बदल जाती हैं। अगर आप इस सरकार से कुछ बदल पाएंगे तो अगली बार फिर नई सरकार कुछ बदल देगी। इस सत्य को आप भी जानते हैं। इसलिए आप देश की हर व्यक्ति के मस्तिष्क में हर तरह से ज़हर भी भर रहे हैं। वह सबसे कामयाब तरीका है पर फिर भी मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, आप पर भरोसा रखता हूं कि यह सब देश के लंबे इतिहास में मात्र एक क्षण सिद्ध होगा।

इस देश को ज़िंदा रहने दीजिए, इस देश की संस्कृति को ज़िंदा रहने दीजिए, फूलों को खिलने दीजिए, रंगों को बिखरने दीजिए, महकती फिज़ाओं में युवाओं को नए रास्ते तलाशने दीजिए हिन्दू राष्ट्र की चाह में देश को बर्बाद मत कीजिए।

अपेक्षा में,
विमल भाई
फरीदाबाद, हरियाणा, भारत

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