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दिल्ली के नजफगढ़ में हम लड़कियों के सपनों का कोई मोल नहीं है

नजफगढ़  पश्चिमी दिल्ली का एक बाहरी इलाका है। बाहरी दिल्ली के बहुत से ऐसे इलाके हैं जिनके नाम दक्षिणी या सेंट्रल दिल्ली में रहने वालों ने शायद कभी ना सुने हों। इनकी छवि मेट्रोपोलिटन दिल्ली से बिलकुल अलग है। इनमें कई सारे गावों की श्रेणी में आते हैं और आज भी ये इलाके विकास से काफी दूर हैं। इन इलाकों में बसने वाली दिल्ली सेंट्रल दिल्ली में बसने वाली दिल्ली से बिल्कुल अलग है।

ये घनी आबादी वाले इलाके हैं, जहां आधारभूत सुविधाओं का बुरा हाल है। यहां आज भी रोड से लेकर ट्रांसपोर्टेशन सुविधाएं कमज़ोर हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए दूर-दराज के इलाकों में जाना पड़ता है। साथ ही पुलिस व्यवस्था भी मजबूत नहीं है। यही कारण है कि यहां की महिलाओं को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये सब आधारभूत सुविधाएं हैं और सुनने में बहुत मामूली लगती हैं।

पर हम सब शायद यह नहीं समझ पाते हैं कि इनका ना होना किसी भी लड़की को उसके सपने पूरे करने से बड़ी आसानी से रोक सकता है। ऐसे ही एक इलाके नजफगढ़ में रहते हुए मैंने यह जाना कि यहां रहने वाली लड़कियों और पढ़ने वाले छात्र वर्ग के जीवन में क्या समस्याएं हैं।

पहला यह कि यहां रहने वाले बच्चों की बड़ी आबादी नगर निगम स्कूलों में जाती है। इनमें से कई स्कूल अच्छी शिक्षा दे रहे हैं और इन इलाकों में बड़ी उम्मीद के तौर पर काम कर रहे हैं। पर मैं जहां रहती हूं, वहां लड़कियों को काफी कि.मी. पैदल चलकर स्कूल पहुंचना होता है। आबादी और क्षेत्रफल की तुलना में और अधिक स्कूलों की ज़रूरत है। साथ ही 10वीं के बाद कुछ लड़कियों के स्कूलों में केवल आर्ट्स विषय ही है। तो ऐसे में साइंस या कॉमर्स की पढ़ाई के लिए उन्हें और दूर-दराज के इलाकों में जाना पड़ता है। बहुत बार लड़कियां अपनी मर्ज़ी के विषय नहीं पढ़ पाती हैं।

यहां रहते हुए 12वीं के बाद स्नातक की पढ़ाई पूरी करना भी बड़ा चैलेंज है। पहले ही हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां लड़कियों को लोग पढ़ाना नहीं चाहते, उनकी शिक्षा पर ज़्यादा खर्च नहीं करना चाहते, घर से ज़्यादा दूर नहीं भेजना चाहते हैं। इन इलाकों में सरकारी कॉलेजों की बड़ी भारी कमी है। लड़कियों के लिए कॉलेजों की कमी है। जो एक-दो हैं भी तो उनमें शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं है। साथ ही कोर्स के विकल्पों में भी कमी है।

दूसरी बड़ी समस्या है यातायात की। कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है। जाम इतना लगता है कि बहुत कम ऐसे दिन गुज़रते हैं जब लोगों को यहां जाम की समस्या से दो चार नहीं होना पड़ता है। जाम के बड़े कारण हैं लोगों का अवैध अतिक्रमण, जहां-तहां गाड़ियां पार्क कर देना, कचरे के ढेर, रोड पर गड्ढे और ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही। इसकी वजह से दूर-दराज पढ़ने जाने वाले बच्चों का काफी समय जाम की वजह से बर्बाद हो जाता है, जिस कारण उन पर अतिरिक्त दबाव बनता है। क्योंकि मेट्रो उत्तरी और पश्चिमी दिल्ली के कई बाहरी इलाकों तक नहीं पहुंच पाई है। यही कारण है कि यहां जाने वाली डी.टी.सी और प्राइवेट बसों में भारी भीड़ रहती है। जिस कारण महिलाओं को सफर के दौरान काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आए दिन बसों में महिलाओं को बदतमीजी का सामना करना पड़ता है। महिला डी.टी.सी बसों की यहां बहुत ज़रूरत है।

इस तरह के बाहरी इलाकों में पुलिस पेट्रोलिंग और महिला सुरक्षा गार्ड की भी कमी है। इसलिए शाम होते ही आपको यहां पब्लिक प्लेस पर महिलाएं नहीं दिखेंगी।

स्कूल, कॉलेज, दफ्तर या घूमने जाने वाली महिलाओं पर यह अतिरिक्त दबाव रहता है कि वह घर अंधेरा होने से पहले पहुंच जाएं। यदि आप रात 9 बजे के बाद यहां आते हैं तो संभावना है कि आप पूरी डी.टी.सी बस में अकेली महिला हों, सड़क पर दूर-दूर तक कोई व्यक्ति न दिखे।

तो अब प्रशासन से मेरा यह कहना है कि लोग बदल रहे हैं। लड़कियां घरों से बाहर निकल अपने सपने पूरे कर रही हैं। ऐसे में उन्हें ये आधारभूत सुविधाएं दिया जाना उनका अधिकार है। अब ज़रूरी है कि प्रशासन अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करे और व्यवस्था मज़बूत करे। इन सभी आधारभूत समस्याओं पर काम करे ताकि इन इलाकों से भी बड़ी संख्या में महिलाएं बाहर निकलें, और अपने सपने पूरे करें। साथ ही लोगों को भी ज़िम्मेदार रवैया अपनाना चाहिए, इन कारणों से बच्चों को शिक्षा से वंचित रखना समस्या का समाधान नहीं। तभी ये इलाके पिछड़े इलाकों की श्रेणी से निकल कर विकसित हो पाएंगे।

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