उत्तर भारत में इस साल मौनसून देर से पहुंचा है। कुछ दिन और बारिश नहीं होती तो सरकार सूखे की घोषणा कर देती। बारिश देर से होने के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में धान की रोपाई में गिरावट दर्ज की गई है। दो दिन की बारिश से किसान खुश हैं लेकिन, शहर की जनता के लिए यह बारिश आफत बनकर आई है।
दो दिन की बारिश ने सरकारी कार्यों की पोल खोलकर कर रख दी है। दिल्ली, एनसीआर, लखनऊ और इलाहाबाद में बारिश की वजह से जगह-जगह सड़के बैठ गई हैं। रेलवे ट्रैकों पर पानी भर गया है। जिसके कारण रेल यातायात भी प्रभावित हुई है।
विकास के नाम पर सरकार करोड़ों रूपए सड़क, नालों और एसटीपी बनाने में खर्च करती हैं लेकिन, एक बारिश से सरकार के कार्यों की पोल खुल जाती है। ये हाल सिर्फ उत्तर प्रदेश या दिल्ली का नहीं है। पूरे भारत में बारिश की वजह से इस तरह की घटनाएं आम हो चली हैं। बारिश के दौरान सरकार को हर वर्ष एक ही तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है फिर भी सरकारें चेत नहीं रही हैं। इसका जीता-जगता उदाहरण मुंबई है। मुंबई में बारिश की वजह से हर वर्ष जल-जमाव होता है, जिसके कारण पूरी मुंबई प्रभावित होती है।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक बारिश के मौसम में भारत का यही हाल रहता है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में सरकार फौरी तौर पर सुविधाएं तो पहुंचा देती है लेकिन, सबक नहीं लेती। आखिर कब तक सरकारें लोगों की जान से खेलवाड़ करती रहेंगी।