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हम इतने जाहिल क्यों हैं कि सफेद चादर पर खून के दाग से चरित्र का सर्टिफिकेट देते हैं

आबिदा अब 23 की हो चुकी है, घर में उसकी शादी की बात पक्की है सब बहुत खुश हैं और मैं भी उसकी खुशी बांटने के लिए उसके घर गई उससे मिलने। मगर उसका चेहरा उतरा हुआ नज़र आया मैंने पूछा क्या हुआ तुझे, अभी से घर छोड़कर जाने की बात से उदास है?

पहले वो चुप रही फिर धीमी आवाज़ में उसने कहा, “तुम्हें पता है, मुझे बहुत डर लग रहा है कि मैं वर्जिन नहीं हूं और मेरी शादी हो रही है।” नम आंखों से मेरी दोस्त ने ये बोलते हुए मेरी तरफ देखा। मैंने कहा क्यों परेशान होती है आज का ज़माना अलग है और अगर तू नहीं है वर्जिन इससे क्या तू एक खराब लड़की बन जाएगी। क्या इसमें कुछ गलत है कि तूने किसी से इतना प्यार किया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया। और किसी को क्या पता चलेगा जब तक कि तू खुद नहीं बताएगी और छुपाने की भी क्या ज़रूरत है, तेरा चरित्र क्या तेरे हाइमन के टूटने से खत्म हो गया या तेरा वजूद खत्म हो गया?

इस पर उसने कहा,

अगर सबको पता चला तो सब शर्मिंदा हो जाएंगे, तुम तो जानती हो हमारे समाज में परदे की कितनी अहमियत है और मेरे होने वाले शौहर मुझे कभी नहीं अपनाएंगे। तू मेरे लिए एक काम करना तू बाहर रहती है वो किट ऑर्डर कर देना जिससे आप वर्जिनिटी फेक कर सकते हो।

उसकी ये बात सुनकर मुझे गुस्सा आया, वो खुद को कोस रही थी और मैं अपने समाज को जिसे धोखा मंज़ूर है, रेप मंज़ूर है मगर एक लड़की उन्हें पाक ही चाहिए अनछुई।

लड़के के लिए क्या नियम है ये तो नहीं बता सकते, मगर हां उन्हें 4 शादियों की इजाज़त है साथ ही हलाला की भी (जी कॉन्ट्रैक्ट पर एक रात या कुछ दिन या कुछ साल गुज़ारना)। फिर आबिदा ने बताया कि शादी के बाद होने वाली एक रस्म है जो उन्हीं लड़कियों की होती है जो पाक और अनछुई हों। मैंने पूछा कि ये कैसे पता चलता है लोगों को तो उसने बोला कि एक सफेद कपड़ा दिया जाता है जिससे मालूम पड़ता है लड़की वर्जिन है या नहीं।

उस समय मैं हैरान थी ये कैसे दिमागी जाहिल लोग हैं, ज़रूरी नहीं कि हर किसी का खून निकले, कुछ लड़कियों का हाइमन तो खेल कूद से, भारी समान उठाने से यहां तक साइकिल चलाने से भी टूट जाता है। और अगर लड़की का पहले कोई संबंध था भी और अगर उसने अपनी मर्ज़ी से किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाए भी तो क्या ?

ये उसकी निजी ज़िंदगी है, उसे हक है, उसकी इच्छा है, उसकी ज़रूरत है। क्या कहेगा समाज उसे गाली देगा ना। हां, मगर एक अनजान इंसान जिसे वो शादी तक जानती भी ना हो तुम उसे सजा संवार कर उसके आगे पेश कर दोगे, मगर अगर उसने कभी किसी से अपनी मर्ज़ी से संबंध बनाए तो तुम उस लड़की को चरित्रहीन बना दोगे। किसी का चरित्र क्या उसके निजी अंगों में होता है?

यकीन नहीं आया  कि आज के इस मॉडर्न ज़माने में लोगों को एक लड़की के चरित्र का टेस्ट करना होता है। मैंने अपनी कुछ रिश्तेदारों से जिनकी शादी हो चुकी है, गोपनीयता बनाए रखने के आधार पर बात की।

“मेरी शादी की वो पहली रात थी मेरे साथ मेरी फूफी मेरे ससुराल आयी थीं। उस समय फूफी ने एक सफेद कपड़ा दिया और बोला कि जो शौहर बोले उसकी बात मानना और बेड शीट के ऊपर ये कपड़ा बीछा लेना सुबह उस कपड़े को मेरी सास ने मांगा और देखा कि उसपर दाग है या नहीं, अगर ना होता तो शायद हर कोई मुझे बुरी निगाह से देखता।” मेरी बड़ी रिश्ते की बहन ने बताया।

तब समझ आया कि क्यों दुल्हन के घर की कोई बड़ी औरत जो उसकी मां ना हो विदाई के बाद एक रात के लिए साथ जाती है। जब इस बात का ज़िक्र मैंने अपनी हॉस्टल की लड़कियों से किया कि कैसे हमारे घरों  में ये सब प्रथाएं आज भी जगह बनाए हुई हैं, तो एक मेरी पीजी की लड़की नज़िया ने बोला कि कैसे उसकी बहन को शादी के बाद ताने पड़े, लोगों ने गिरी नज़रों से देखा जब कि वो कभी किसी के करीब नहीं गई थीं, उसकी देर से शादी  हुई थी।

आखिर क्या मज़ा आता है हमारे समाज के लोगों को खून देखने में? उससे चरित्र जांचने में? हर लड़की को इज्ज़त मिलना उसका अधिकार है। सफेद चादर पर दाग का पता नहीं, लेकिन लोगों की आंखों के आगे ज़रूर मोटे परदे पड़ गए हैं। आज लड़कियां डर रही हैं कि कहीं उन्हें भी चरित्रहीन ना माना जाए, ताने नहीं दिए जाए। उन्हें आज किट मंगाकर या सर्जरी कराकर वापस इज्ज़त चाहिए और वो बेचारी करें भी क्या आखिर वहीं गलत ठहराई जाती हैं। आज फेक किट का बिजनेस बढ़ रहा है जो इस बात की गवाही दे रहा है कि बस हम नाम के पढ़ें लिखे हैं सोच वही दकियानुसी है।

आज भी लोग चादर में दाग देख रहे हैं। लेकिन, दाग तो उनके मन में है। क्यों हर बार एक लड़की ही का चरित्र जांचा जाता है। क्यों एक लड़की को प्यार करने का आधिकार नहीं। जीवन जीने का हक नहीं।

अपने लिए ना सही बेटियों के लिए ये सब बंद करो, आवाज़ उठाओ ऐसे गलत रीति-रिवाज़ों के खिलाफ। इस सफेद चादर पर लाल निशान से कोई अच्छा नहीं होता, नेक नहीं होता, सुलझा नहीं होता। लड़कियों के चरित्र को परखने से पहले खुद एक इंसान होकर सोचे। आखिर कब तक ये अंधविश्वास चलेगा, आखिर कब तक ये अत्याचार चलेगा।

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