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“महिला पुलिस सिर्फ डेस्क जॉब के लिए नहीं होतीं” -विजयंता गोयल

पुलिस में आना मेरे लिए थ्रिल था। मेरे पिता ने मेरा नाम विजयंता रखा क्योंकि वो भी कभी पुलिस सर्विस में जाना चाहते थे लेकिन जा नहीं सकें। उन्होंने तय किया कि उनकी बेटी पुलिस फोर्स का हिस्सा बनेगी।

दिल्ली पुलिस की डीसीपी आईपीएस विजयंता गोयल ने आज Youth Ki Awaaz Summit  में यह बात कही। विजयंता पुलिस प्रशासन में पितृसत्ता के वर्चस्व पर बात कर रही थीं।

पुलिस फ्रेंडली नहीं होती, जैसे सवाल के जवाब में विजयंता कहती हैं कि कॉन्सेप्ट ऑफ पावर की हमारे यहां बहुत हार्ड फीलिंग है। पावर का कॉन्सेप्ट हम बचपन से देखते हैं और इसका गहरा असर होता है लेकिन एक बात ये है कि डेमोक्रेटिक सिस्टम में पुलिस भी बहुत बदली है। अब पहले की तरह जैसे कलोनीयल ज़माने में हुआ करता था वैसी पुलिस नहीं रही गई है। अब वो ज़्यादा पारदर्शी और जनता के प्रति ज़िम्मेदार है इसलिए हम शांति, सेवा और न्याय में विश्वास रखते हैं।

विजयंता बताती हैं कि पुलिस में भी पुरुष सत्ता का वर्चस्व है। उन्होंने कहा कि जब महिला अधिकारी बनकर मेरी पहली बार तमिलनाडु में पोस्टिंग हुई थी तो मुझे एक सरकारी ज़मीन खाली करवाने का टास्क मिला, मेरे पुलिस साथी ने मुझसे आकर बोला, “मैडम आप घर जाइए मैं ये कर लूंगा” लेकिन मैंने उसे मना कर दिया।

ये एक पूर्वाग्रह है कि अगर कोई महिला पुलिस अधिकारी है तो वो कठिन काम नहीं कर सकती है। ऐसे कई छोटे-छोटे किस्से होते रहते हैं, जहां महिला पुलिस होने की वजह से हमेशा हमें नज़र में रखा जाता है लेकिन मैं अपने अनुभव से कह सकती हूं कि ज़्यादातर समय महिला पुलिस पुरुषों से भी बेहतर करती हैं।

विजयंता बताती हैं पुलिस फोर्स एक टफ फील्ड है। यहां कोई वर्किंग आवर नहीं है लेकिन ऐसे में समाज और परिवार की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है, उन्हें ऐसे टफ जॉब में काम कर रहीं महिलाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए, सपोर्ट करना चाहिए।

लेकिन ऐसा होता नहीं है। पुलिस में भी समाज जैसा ही पुरुषवाद है। चाहे थाने का लेवल पर हो या और कहीं और। जैसे महिला पुलिस को सामान्यत: डेस्क जॉब दिया जाता है। उन्हें हेल्प डेस्क पर बैठा दिया जाता है, रजिस्टर मेनटेन करने के लिए बोला जाता है लेकिन इससे समाज में भी गलत संदेश जाता है।

महिला पुलिस को भी मेनस्ट्रीम में लाने की ज़रूरत है। हमने छोटे-छोटे स्टेप लिए हैं। जैसे हम अपनी महिला साथी को जीप, बाइक सिखने और पेट्रोलिंग पर भेजने लगे हैं। यह संदेश जाना बहुत ज़रूरी है कि महिलाएं पुलिस सिर्फ डाटा एंट्री करने के लिए नहीं हैं। समाज और पुलिस के भीतर काम कर रहे पुरुषों को बदलने की ज़रूरत है।

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