आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ का वह डायलॉग तो आपको याद ही होगा, ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के।’ करोड़ों की कमाई करने वाली इस फिल्म ने लाखों-करोड़ों लड़कियों के सपनों को एक नई उड़ान दी। आज तो गाँवों, कस्बों और शहरों से लडकियां आगे आ रही हैं और खेलकूद की दुनिया में एक नया कीर्तिमान रच रही हैं।
साल 2018 की बात करें तो यह साल खेल जगत से जुड़ी महिलाओं के लिए काफी अच्छा रहा या यूं कहें तो उतार-चढ़ाव के पायदान पर बढ़ते हुए काफी रोचक रहा। किसी महिला खिलाड़ी को अगर हार का सामना पड़ा तब भी उनके हौसले कमज़ोर नहीं हुए, नई बुलंदियों पर आगे बढ़ने के लिए हिम्मत साथ निभाता रहा।
अनेकों भारतीय महिलाओं की प्रेरणा मैरी कॉम ने ‘विश्व महिला मुक्केबाज़ी चैम्पियनशिप’ में छठी बार स्वर्ण पदक जीतते हुए इतिहास रच दिया। तीन बच्चों की माँ 35 वर्षीय मैरी कॉम, जिन्हें अब लोग मैग्नीफिसेंट मैरी भी कहते हैं। वो 6 गोल्ड मेडल जीतने वाली दुनिया की पहली महिला बॉक्सर बन गई हैं।
उन्होंने अपने अनुभव के बल पर दसवीं महिला विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप के फाइनल में यूक्रेन की हना ओखोता को 5-0 से हराकर रिकॉर्ड छठा स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। इसके साथ ही उन्होंने क्यूबा के पुरुष मुक्केबाज़ फेलिक्स सेवोन (91 किलोग्राम भारवर्ग) की बराबरी भी कर ली। फेलिक्स ने 1986 से 1999 के बीच छ: स्वर्ण और एक रजत पदक जीता था।
उन माओं के लिए यह काफी प्रेरणादायी है जिन्हें लगता है कि बच्चों के बाद वे अपनी ज़िन्दगी अपनी तरह से नहीं जी सकतीं मगर आज लोग सुपर मॉम की फिटनेस से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ते हैं।
भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु के रैकेट जब हवा में लहराते हैं तब भारतीयों के दिलों की धड़कनें पदक की उम्मीद में और भी बढ़ जाती हैं। पीवी सिंधु की झोली में इस वर्ष एक और बड़ी उपलब्धि आ गई है। वह ‘वर्ल्ड टूर फाइनल्स’ का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय शटलर बन गई हैं।
उन्होंने 2017 की विश्व चैंपियन नोजोमी ओकुहारा को हराकर फाइनल्स के खिताबी मुकाबले में जीत दर्ज करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। इसके अलावा पीवी सिंधु ने 18वें एशियाई खेलों में बैडमिंटन महिला एकल का रजत पदक भी अपने नाम किया। इंडिया ओपन, कॉमन वेल्थ गेम्स, थाईलैंड ओपन और वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी वह उप-विजेता रहीं।
वही भारतीय स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में गोल्ड मेडल जीतकर यह साबित कर दिया कि क्यों वो महान खिलाड़ी हैं। उनकी जीत के साथ ही कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में भारत ने कुल 66 मेडल हासिल किए।
भारत की शीर्ष जिम्नास्ट दीपा करमाकर ने तुर्की के मर्सिन में चल हुई ‘एफआईजी कलात्मक जिम्नास्टिक्स वर्ल्ड चैलेंज कप’ की वाल्ट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर भारत को गर्व का पल दिया।
फेमिना के कवर पेज पर भी
फेमिना मैग्जीन ने एशियन गेम्स के अलग-अलग इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली हिमा दास, स्वप्ना बर्मन, राही सरनोबत और विनेश फोगाट को अपने कवर पेज पर जगह दी है। फेमिना ने अपने जनवरी के अंक में इन चारों गोल्डन गर्ल्स को ‘न्यूज़मेकर्स, गेम चेंजर्स’ के तौर पर पोज किया है और इनके ग्लैमरस अंदाज़ को पेश किया है।
इनके जोरदार प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय महिलाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है। लाखों करोड़ों महिलाओं की प्रेरणास्रोत बनी इन महिलाओं के प्रदर्शन पर हर भारतीय को गर्व है। उम्मीद है कि आने वाले वक्त में भी ये तमाम खिलाड़ी देश को गर्व का पल देती रहेंगी।