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“यह भीड़ स्मार्टफोन से सिर्फ आपका वीडियो बनाएगी आपको बचाएगी नहीं”

Tabrez ansari

बड़े लोग कहते थे कि मौत का कोई भरोसा थोड़े ही है, कभी भी आ जाए लेकिन वे उस मौत की बात करते थे, जो ऊपर वाले की मर्ज़ी के नाम से जानी जाती थी। लोग डरे रहते थे और भला काम करते रहते थे। बड़े लोग कहते हैं कि समझदार इंसान वह है, जो मरने से पहले मौत की तैयारी कर ले, इसलिए पहले लोग पापों से दूर व पुण्यों के नज़दीक रहने की कोशिश करते थे।

खैर, वह ज़माना तो गुज़र गया है परन्तु आजकल भगवान की मर्ज़ी वाली मौत के साथ-साथ एक नई मौत भी मार्केट में आई है, जिसे आत्मा को परमात्मा से मिलाने के लिए यमराज लेकर नहीं आता है, ना ही रूह पर कब्ज़ा करने के लिए कोई मौत का फरिस्ता आता है। बल्कि कानून हाथ में लिए पांच-छह लोगों की भीड़ यह मौत लेकर आती है। खुद को ईश्वर का आराध्य मानने वाले, भयंकर, सर्वशक्तिमान, हाथ में लट्ठ लिए हुए एक विशेष प्रजाति के लोग, जो इंसानों जैसे ही होते हैं लेकिन उनका दिल कीचड़ और गंदगी से बना हुआ होता है।

यह जो आप कहते हैं ना कि दुनिया की भीड़ है, वह बचा लेगी आपको, तो आप वहम में हैं, आपको कोई बचाने वाला नहीं होगा। यह भीड़ हाथ में स्मार्टफोन लिए हुए मात्र आपका वीडियो बनाएगी और वायरल तक देगी या फिर कुछ लोग फेसबुक पर ही न्याय की गुहार लगा देंगे।

सच कहूं तो आपका मरना तय है, क्योंकि वीडियो में आप नायक हैं और मुख्य किरदार कर रहे हैं। अंत तक आपकी जीवन लीला समाप्त हो चुकी होगी, इसलिए अब तक सैंकड़ों मौत जो नई पद्धति से हुए है, उनके लिए न्याय मांग चुके लाखों लोगों की मेहनत पानी में मिल चुकी है। अब इन लोगों को इतना पावर भी मिल गया कि आपके चोरी करने पर आपको खम्बे से बांधकर कोई पप्पू, झप्पू, गप्पू, आंतकवादी संगठनों से भी ज़्यादा ताकतवर और संविधान से भी ऊपर उठा हुआ व्यक्ति आपको मौत की सज़ा दे सकता है। आपको मरते वक्त मोक्ष की प्राप्ति हो सके इसलिए, आपसे भगवान के नाम के नारे लगवाए जाते हैं, ताकि आपका उद्धार हो सके और आपको स्वर्ग में जगह मिल सके।

वर्तमान के फिल्मी माहौल को देखकर युवाओं में हरिश्चंद्र के तो गुण आने से रहें, इसलिए उनकी मानसिकता निर्मल की जगह क्रूर होती चली जा रही है। नेता लोग युवाओं की बेरोज़गारी का फायदा उठाकर अपना धनबल और भुजबल दोनों का डंका बजाने के लिए इन युवाओं का बारीकी से इस्तेमाल करते हैं।

कई जगहों पर बीफ रखने के इल्ज़ाम में मुस्लिमों पर अत्याचार हुए हैं, जिनके संबंध में मोदी जी ने भी कहा था,

गाय के नाम पर किसी को मारना स्वीकार्य नहीं होगा।

बहुत से उदाहरण हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि मॉब लिंचिंग अपनी चरम सीमा पर है, जिसमें अखलाक, पहलू खान और महाराष्ट्र में बच्चा चोरी के इल्ज़ाम में टैम्पू चालक पर भीड़ द्वारा अत्याचार करना आदि शामिल है। मॉब लिंचिंग की घटनाएं अब आम हो गई हैं, क्योंकि आए दिन हम ऐसी घटनाओं का ज़िक्र सुनते रहते हैं और अधिकतर अत्याचार मुस्लिमों और दलितों पर होता है। हाल ही में झारखंड में चौबीस वर्षीय तबरेज़ को चोरी के इल्ज़ाम में खम्बे से बांधकर पीटा जाता है, ऐसी घटनाओं से नागरिकों के दिलों में मॉब लिंचिंग के खौफ की पुख्ता जगह बनी जा रही है।

खैर, कहानी लंबी है इनकी, लिखने से कोई फायदा नहीं क्योंकि कितना लिखोगे? कोई सीमा तय हो कि हां, इतना लिखने पर इन्हें न्याय मिल जाएगा तो हम ज़रूर लिखेंगे, मिलकर लिखेंगे लेकिन कोई फायदा नहीं है, क्योंकि लोगों ने खुद को कानून समझ लिया है और कुछ समूहों को सत्ता का साथ मिलने की वजह से उन्होंने निडर होकर राष्ट्रनिर्माण के नाम पर अत्याचार करना शुरू कर दिया है।

राज्य सरकार और केंद्र सरकार को मिलकर मॉब लिंचिंग जैसे कुकृत्य को समाप्त करना होगा। इसके लिए धर्म और जाति के नाम पर उत्पात मचाने वाले समूहों पर नज़र रखी जाए, पुलिस को अधिक पावर दी जाए, लोगों का कानून व्यवस्था पर विश्वास दिलाया जाए और उन लोगों को कठोर दंड दिया जाए, जो अपराध करते हैं और फिर उसका वीडियो बनाकर वायरल करते हैं। देश में जल्द ही कानून लाया जाए ताकि ऐसी दानव परवर्ती वाली भीड़ के हाथों और किसी निर्दोष की जीवन लीला समाप्त ना हो सके।

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