लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 92 मिनट का जो भाषण दिया, उसमें कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं को छुआ गया। जल संरक्षण, जनसंख्या विस्फोट और प्लास्टिक जैसे ज्वलंत मुद्दों को पीएम ने छुआ। प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण को लेकर जैन मुनि का ज़िक्र करते हुए एक वाकया सुनाया।
पीएम ने श्वेतांबर परंपरा के जैन मुनि आचार्य बुद्धिसागर और जैन तीर्थ महूडी का ज़िक्र किया। महूडी उत्तरी गुजरात के प्रमुख जैन तीर्थ हैं। पीएम ने कहा कि आचार्य बुद्धिसागर ने सौ वर्ष पूर्व लिखा था कि एक दिन ऐसा आएगा जब किराने की दुकानों पर पानी मिलेगा और आज यह कथन सार्थक हो चुका है।
इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से जल संरक्षण की अपील ज़रूर की मगर किसी ने शायद ही इसे गंभीरता से लिया हो। मैं सोच में हूं कि इतने गंभीर मुद्दे पर जहां सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के पीएम चिंताजनक स्थिति में हैं, वहां आम लोग गंभीर क्यों नहीं हैं?
जल संकट पर हमारी उदासीनता शर्मनाक
हमें समझना होगा कि पीएम का संबोधन मात्र एक कान से सुनकर, दूसरे कान से निकालने वाला नहीं है। पीएम ने जो महत्वपूर्ण मुद्दे सुझाये हैं, उनके बारे में हमें गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है। यदि हम ऐसा नहीं कर पाते हैं फिर तो यह शर्मनाक है।
इन सबके बीच मसला यह है कि क्या जल संरक्षण को लेकर हम पूरी तरह उदासीन हो चुके हैं? हम समझना ही नहीं चाहते कि जल संरक्षण मात्र सरकार का दायित्व नहीं है। सरकार की ज़िम्मेदारी यह है कि अपने कथनानुसार चार सालों में वह साढे तीन लाख करोड़ रुपये जल शक्ति मिशन पर खर्च करेगी लेकिन एक-एक बूंद जल बचाकर उसी सरकार का सहयोग करना हमारी ज़िम्मेदारी है।
चलिए मैं आपको कुछ तरीके बताता हूं जिनके ज़रिये हम जल संरक्षण कर सकते हैं-
आधा ग्लास पानी- ऐसा देखा जाता है कि जब भी आपके घर मेहमान आते हैं, तब आप उन्हें पूरी ग्लास भरकर पानी देते हैं और अंत में लगभग आधा ग्लास पानी वे फेंक देते हैं। क्या ऐसे हम कर पाएंगे जल संरक्षण?
वर्षा जल संचयन- करोड़ों की लागत से बने भवनों में वर्षा जल संचयन का प्रबंधन क्यों नहीं हो सकता? रेन वॉटर हार्वेस्टिंग पर सरकार ही क्यों कुछ करे? हमें भी तो अपनी ज़िम्मेदारी निभाने की ज़रूरत है। मामूली खर्च पर वर्षा जल संचयन प्रणाली बनवाकर आप भी भूमि के पानी को रिचार्ज कर सकते हैं।
रिसाइकलिंग- कई बार घरों में बाल्टी, ग्लास या जग में काफी देर तक रखे पानी को हम दूषित समझकर फेंक देते हैं। क्या हम इसका प्रयोग नहीं कर सकते? दूषित पानी को फेंकने की बजाये शौचालय, कपड़े धोने, गाड़ी या घर साफ करने और पेड़-पौधों में भी देकर उपयोग कर सकते हैं।
आज की तारीख में पानी की समस्या होते ही लोग सबमर्सिबल पंप लगवा लेते हैं। कई लोग तो अपने घरों की छत पर पानी की टंकी लगवा लेते हैं, शाॅवर में घंटों नहाते हैं लेकिन उन्हें यह भी तो समझना चाहिए कि संसाधन समाज के होते हैं। हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि अभी से जल संरक्षण पर जागरूर होकर इस दिशा में सराहनीय कार्य करें।