रैगिंग, जिसे हेजिंग, फेगिंग, बुलिंग, प्लेजिंग और हॉर्स प्लेइंग आदि नामों से भी जाना जाता है और इसका सामान्य अर्थ लगभग सभी को मालूम है।
कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में वरिष्ठ छात्र, नए छात्रों के समक्ष अपनी बड़ाई प्रकट करने या दादा बनने के लिए अपमानजनक रूप में पेश आते हैं। जिसमें अभद्र हरकतें करना, अभद्र तरीकों का प्रदर्शन करने पर मजबूर करना, ड्रेस कोड जारी करना, अभद्र भाषा का प्रयोग करना, फालतू आदेश देना, सिर झुकाकर चलने पर मजबूर करना और कभी-कभी तो यौन शोषण तक करना शामिल है।
यह कई बार बहुत घिनौना रूप धारण करता है और नए स्टूडेंट्स इस मानसिक और शारीरिक यातना को झेलने में अक्षम हो जाते हैं तथा कई तो मजबूरन आत्महत्या तक कर लेते हैं।
सैफई मेडिकल कॉलेज में रैगिंग
ऐसा ही कुछ सैफई मेडिकल कॉलेज में देखने को मिला। इस बार प्रथम वर्ष में वहां 200 स्टूडेंट्स ने प्रवेश लिया और इनकी रैगिंग रोकने के लिए प्रशासन ने हॉस्टल से लेकर कक्षाओं तक कड़े सुरक्षा के इंतज़ाम करने का दावा किया।
बावजूद इसके सीनियर्स का आदेश हॉस्टलों तक पहुंच गया, जिसमें उन्हें हॉस्टल से कॉलेज आने-जाने के दौरान सिर झुकाकर लाइन में लगकर चलने का फरमान सुनाया गया। कैंपस से निकलते समय इन छात्रों को एप्रेन के थर्ड बटन पर सिर रखने को कहा गया था।
स्टूडेंट्स के अनुसार रैगिंग पिछले छह दिनों से चल रही थी और इसमें छात्राओं को भी नहीं बख्शा गया। उन्हें भी चोटी बांधने के निर्देश दिए गए। बताया गया है कि सलाम ना करने पर बीते दिनों अवकाश के दौरान ही सभी छात्रों का सिर मुड़वा दिए गए थे।
हालांकि यह कोई पहली घटना नहीं है। पहले भी इस तरह की कई बड़ी घटनाएं घट चुकी हैं लेकिन इस घटना ने एक बार फिर से सभी का ध्यान रैगिंग की समस्या से निपटने के लिए गहन मंथन पर मजबूर किया है और विश्वविद्यालयी शिक्षा में इसे गंभीर समस्या रेखांकित किया है।
रैगिंग से बचने के सुझाव
यहां हम रैगिंग के विरुद्ध बने कानूनों की कोई खास चर्चा नहीं करेंगे लेकिन ऐसी घटनाओं पर काबू पाने के लिए कुछ सकारात्मक उपायों पर ज़रूर चर्चा करेंगे जो इन वरिष्ठ छात्रों के भीतर गहरी पैठी श्रेष्ठता की सामंती ग्रंथि को दबा सके। जैसे-
- रैगिंग की घटनाएं सबसे ज़्यादा छात्रावास में देखने को मिलती है इसलिए छात्रावास के आवंटन में समान वर्ष के छात्रों को एक छात्रावास आवंटित करने चाहिए।
- मेस में अलग-अलग कक्ष बनाए जाने चाहिए, जिससे सीनियर और जूनियर अलग-अलग खाना खा सकें।
- रैगिंग एक सामाजिक चुनौती है, अतः इस चुनौती का सामाजिकरण करना चाहिए और संबंधित विषय पर लगातार सेमिनार आयोजित करते रहना चाहिए।
- विषय से हटकर रैगिंग से संबंधित कुछ किताबें भी सिलेबस में जोड़ी जानी चाहिए। जिससे उनके अंदर चेतना विकसित हो सके।
- टोल फ्री नंबर जारी किए जाने चाहिए, जिससे कोई भी कभी भी शिकायत दर्ज़ करा सके।
- शिकायत पर कार्रवाही करते समय शिकायतकर्ता का नाम बिल्कुल गुप्त रखा जाना चाहिए।
- प्रशासन को एक गुप्त सहचर कमेटी गठित करना चाहिए, जिससे कमेटी के सहचर गुप्त जानकारी मुहैया करा सके।
- ज़रूरी हो तो पुलिस चौकी भी स्थापित करना चाहिए।
इस तरह के कई और भी उपाय हो सकते हैं, जिन्हें प्रयोग में लाने पर सकारात्मक बदलाव आ सकता है और उच्च शिक्षण संस्थानों में नवआगंतुक विद्यार्थियों के साथ ऐसा व्यवहार ना हो यह रोका जा सकता है।