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“हैदराबाद रेप की घटना का वीडियो इंटरनेट पर सर्च करने वाले देश में न्याय की मांग बेईमानी है”

फोटो साभार-सोशल मीडिया

फोटो साभार-सोशल मीडिया

क्या बलात्कार शब्द डरावना है? जी हां! जब भी इस शब्द को सुना और पढ़ा जाता है तो दिमाग में एक तस्वीर खुद बखुद ही उभर आती है। मानो एक महिला पर पुरुष का यौन हमला और उस महिला की ज़िंदगी का खात्मा।

पूरे विश्व में बलात्कार एक समस्या बनी हुई है लेकिन भारत में यह समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। वर्ष 2011 में देशभर में बलात्कार के कुल 7,112 मामले सामने आए थे। जबकि 2010 में 5,484 मामले ही दर्ज़ हुए थे।

आंकड़ों के हिसाब से एक वर्ष में बलात्कार के मामलों में 29.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में प्रतिदिन लगभग 50 बलात्कार के मामले थानों में पंजीकृत होते हैं।

यह जानने योग्य है कि इससे कई गुना मामले ऐसे भी रहे होंगे, जिन्हें परिवार ने इज्ज़त और डर के कारण पुलिस में दर्ज़ ही नहीं करवाए। ऐसी भी खबरें आती हैं पुलिस बलात्कार के ज़्यादातर मामले दर्ज़ ही नहीं करती है।

अभी हाल ही में हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक महिला के साथ गैंग रेप के बाद उसे जलाकर मार दिया गया। वहीं, झारखंड में लॉ की छात्रा के साथ बलात्कार की जघन्य व अमानवीय घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया।

क्या हुआ था हैदराबाद में?

देश में बढ़ती बलात्कार की घटनाओं के खिलाफ प्रदर्शन। फोटो साभार- सोशल मीडिया

हैदराबाद में वेटनरी डॉ. ड्यूटी समाप्त होने के बाद अपने घर आ रही थी। रास्ते में उसकी स्कूटी खराब हो गई। मदद के लिए 4 लोग मिले। ये चारों वही इंसान थे जिन पर महिला चिकित्सक ने मुसीबत के समय विश्वास किया।

ज़रा सोचिए कि वह वेटनरी डॉ. कितना खुश हुई होगी मददगार के तौर पर चार लोगों को पाकर लेकिन अगले ही पल मदद के लिए आए इंसानों ने वहशी जानवर बनकर अपना असली चेहरा दिखाते हैं। हद की सारी  बंदिशें तो तब टूट जाती हैं, जब बलात्कार के बाद वेटनरी डॉ. को जलाकर मार दिया जाता है।

झारखंड की हाल ही की घटना के अनुसार लॉ की स्टूडेंट अपने पुरुष मित्र के साथ बात कर रही होती है। 12 वहशी जानवर आते हैं और बंदूक की नोक पर उसे अगुआ करके ले जाते हैं, जिसका बाद बालात्कर की खबर से देश दहद उठता है।

हर बार सोशल मीडिया पर देशभर का गुस्सा फूटता है

रेप की घटनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन। फोटो साभार- सोशल मीडिया

असल में दुष्कर्म की ये दो घटनाएं कोई पहली या आखिरी नहीं है। जब भी कोई ऐसी घटना घटी है, देश के अलग-अलग हिस्सों से भिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो जाती हैं। सोशल मीडिया जो वर्तमान में आम जनता को अभिव्यक्ति का प्लैटफॉर्म प्रदान करता है, यहां भी खुशी हो या गम लोग अपनी अभिव्यक्ति ज़ाहिर करते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति जो सोशल मीडिया से जुड़ा हुआ है, ऐसी अमानवीय घटना पर अपना पक्ष रखकर गुस्सा ज़ाहिर करता आया है। यहां तक कि फांसी देने की मांगें भी उठीं लेकिन क्या कभी किसी बलात्कार की घटना के मद्देनज़र ये सज़ाएं अमल में आईं? शायद  नहीं! असल में समाज का बड़ा तबका बलात्कार उसे मानता है जिसमें रेप के बाद लड़की को मार दिया जाता है।

यानी अगर लड़की रेप के बाद ज़िंदा रह गई, तो उस तबके के अनुसार बलात्कार हुआ ही नहीं और तो और समाज के ये तबके सर्वाइवर के में पक्ष में खड़े होने के बजाए उसी से 100 सवाल पूछ बैठते हैं। सर्वाइवर के खिलाफ और रेपिस्ट के पक्ष में अनेकों झूठी कहानियां बना दी जाती हैं।

हद तो यह है कि सर्वाइवर का वीडियो सनी लियोन के पॉर्न वीडियो की तुलना में अधिक चाव से देखा जाता है।

हमारे समाज में बलात्कार के बाद सर्वाइवर और उसके परिवार को सहानभूति और मदद की ज़रूरत होती है। होता इसके विपरीत है जब वह पूरी उम्र जहालत भरी दुनिया में जीवन व्यतीत करने पर मजबूर हो जाती है। इस देश में बलात्कार के बाद सर्वाइवर को बलात्कारी द्वारा मार दिया जाता है। अगर ज़िंदा बच गई तो उसको यह कुंठित समाज तिल-तिलकर मारता है।

क्या सर्च कर रहे थे 80 लाख इंटरनेट यूज़र्स?

जैसे ही हैदराबाद में घटित घटना की खबर आई कि लोगों 80 लाख लोगों ने पॉर्न वेबसाइट पर वेटनरी डॉक्टर का नाम सर्च करना शुरू कर दिया। उसमें से लाखों सर्च करने वाले ऐसे भी रहे होंगे जो रेपिस्टों को फांसी हो, फांसी हो चिल्लाते रहते हैं।

शायद वे यह तलाश कर रहे थे कि 4 लोगों ने एक महिला के साथ कैसे सेक्स किया? क्या वीडियो इस लिए ढूंढ रहे थे ताकि विक्टिम के प्राइवेट पार्ट देखकर मज़ा ले सकें? तब तो सवाल जायज़ है कि ऐसे इंसान क्या भविष्य के बलात्कारी नहीं हैं? हमें यह समझना होगा कि जिस देश में लोग हैदराबाद जैसी घटना का वीडियो इंटरनेट पर सर्च करते हैं, वहां न्याय की मांग करना तो बेइमानी ही है।

हज़ारों व्हाट्सएप्प ग्रुप्स के ज़रिये फैलती है ऐसी फूहड़ता 

हज़ारो व्हाट्सएप्प ग्रुप में बलात्कार या ज़बरदस्ती करते वीडियो दिन-रात तैरते रहते हैं, जिन्हें लोग चाव से देखते ही नहीं बल्कि आगे अपने दोस्तों में सर्कुलेट भी करते रहते हैं। पिछले दिनों एक वीडियो वायरल हुई जिसमें भाजपा के एक नेता अपने ही पार्टी की महिला सदस्य के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पाए गए। इन महापुरुषों के सिक्के का दूसरा पहलू यानी चेहरा शराफत भरा है।

सोशल मीडिया पर लड़कियों को चंगुल में फंसाने व उनको प्रभावित करने के लिए बलात्कारियों को फांसी हो, कड़ी सज़ा, महिला सुरक्षा, रेपिस्ट का लिंग भंग आदि जैसी दर्ज़नों मांग करते रहते हैं।

आखिर सर्वाइवर का दोष क्या है?

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

रेप सर्वाइवर जब कहीं से गुज़रती है तो लोग उसे इस नज़र से देखते हैं मानो सारी गलती उसी की है। उसके शरीर को कपड़ों के अंदर से, अपनी गंदी आंखों से स्कैन करके कल्पनाओं में उस मंज़र को याद करते हैं कि कैसे उन लोगों के साथ इसने सेक्स किया होगा।

यहां तक कि कई लोग उस महिला के साथ कल्पनाओं में यौन सम्बन्ध तक बना लेते हैं। सच तो यह है कि हर गली, चौराहे और नुक्कड़ पर उसका हर पल बलात्कार होता रहता है। कटु सत्य तो येह भी है कि सर्वाइवर को इंसाफ मिले जैसी बातें महज़ काल्पनिक है। आपको शायद याद हो इसी वजह से दुखी होकर उन्नाव पीड़िता ने सार्वजनिक बयान दिया था कि क्या इंसाफ के लिए मुझे मरना पड़ेगा?

आशाराम और राम रहीम जैसे दर्जनों धार्मिक बाबा जो बलात्कार के आरोप में जेल में बंद हैं। उन पर केस भी चल रहे हैं। उनके लाखो अनुयाई उनके समर्थन में आज भी धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। मज़बूती से इन धार्मिक बाबाओं के समर्थन में और रेप विक्टिम के खिलाफ बोलते रहते हैं।

बलात्कारी फोर्स के जवानों का समर्थन करती सरकार

देश के अलग-अलग हिस्सों में जनता असंतोष की वजह से सत्ता के खिलाफ लड़ रही है। उन हिस्सों में फोर्स द्वारा बलात्कार किए गए। उन फोर्स के जवानों को सज़ा देने के बजाए देश की सत्ता उनको बचाने के लिए कोर्ट में केस लड़ती है।

सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी के साथ अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी गईं। यहां तक कि उनकी योनि में पत्थर भर दिए गए। यह सब अमानवीय कृत्य पुलिस अधीक्षक ने थाने के अंदर अंजाम दिए। सरकार ने पुलिस अधीक्षक को सज़ा ना देकर विरता का मेडल दिलवाया।

मीडिया का रवय्या

मीडिया जो अपने आपको लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहते नहीं थकती, आज वह लोकतंत्र को मारने पर तुली हुई है। वह सत्ता के इशारे पर लोकतंत्र को बर्बर समाज की तरफ ले जाना चाहती है। वह लोगों को भीड़तंत्र बनाने के लिए वैसी खबरें प्लांट करती हैं, जिसे देश की सत्ता चाहती है।

मीडिया जिसका मुख्य काम है ‘समस्या क्यों पैदा हुई और उसका समाधान क्या हो’, इस पर काम करने के बजाए फेक न्यूज़ फैलाने और हिन्दू-मुस्लिम का एजेंडा चलाने के पीछे लगी रहती है।

बलात्कार पर अरब देशों की सज़ाओं को अमल करने की मांग

फोटो साभार- Flickr

जब भी बलात्कार पर चर्चा होती है, तो बलात्कार की समस्या का समाधान कड़ी सज़ा के नाम पर फांसी, लिंग काटना और यहां तक कि अरब या मुस्लिम देशों की सज़ाओं को भारत में अमल कराने हेतु अनगिनत उदाहरण दिए जाते हैं।

फांसी अपने आप में ही अमानवीय है, जिसे किसी सभ्य समाज में मंजूर नहीं किया जा सकता। अतः रेपिस्ट को आजीवन कारावास मतलब आखरी सांस तक जेल के शिकंजों में रखा जाना चाहिए।

अरब और मुस्लिम देशों में धार्मिक रूढ़िवादी कानूनों का चलन है। इन देशों में महिलाओं के कोई मानवाधिकार नहीं हैं। उनके कानून बर्बर समाज के कानून हैं। हमारे मुल्क के आवाम ने उन बर्बर समाज को बहुत पीछे छोड़कर लोकतांत्रिक समाज में कदम रखा है।

इसलिए अरब के कानूनों को लागू करने की मांग बर्बर मांग है। जिसको कभी न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है। हमें समस्याओं के समाधान हेतु पीछे ना देखकर लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही आगे की तरफ देखकर हल ढूंढना पड़ेगा। कितने ही प्रगतिशील मुल्क और सभ्यताएं हैं, जहां यह समस्या बहुत कम है। हमको उन मुल्कों की सभ्यताओं से सीखना की ज़रूरत है।

क्या हो समाधान?

बलात्कार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए सबसे पहले बलात्कारी मानसिकता के खिलाफ जागरूकता अभियान संचालित करने की ज़रूरत है। बलात्कारी मानसिकता जिसकी जड़ पुरुषवादी समाज है, इस पर हमला करना बेहद ज़रूरी है। सोचिए हमारे समाज में महिलाओं को पैदा होने से मरने तक इंसान नहीं समझा जाता है।

महिलाओं को दोयम दर्जे़ का समझना, कमज़ोर मानकर चलना और इंसान की जगह वस्तु मानना कितना शर्मनाक है। ऐसे समाज मे पला-बढ़ा आदमी महिला को सम्मान देने की जगह उस पर हमला ही करेगा। इसलिए सबसे ज़रूरी है सामाजिक ढांचे में बदलाव करके समानता पर आधारित समाज बनाना।

सेक्स एजुकेशन की शिक्षा को लागू करना भी बेहद ज़रूरी है। सरकार को चाहिए कि बलात्कार के आरोप में जेल में बंद बलात्कारी को साइकेट्रिस्ट की टीम काउंसलिंग करे ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसकी बलात्कारी मानसिकता के पीछे क्या कारण है? ताकि भविष्य में ऐसी मानसिकता के खिलाफ काम किया जा सके।

हमें जाति, धर्म, देश को नज़रअंदाज़ करके निष्पक्ष होकर बलात्कारियों के खिलाफ और सर्वाइवर के पक्ष में ईमानदारी से खड़े होने की ज़रूरत है।

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